नारद केस: ममता को झटका; हाईकोर्ट ने TMC नेताओं की जमानत के फैसले पर रोक लगाई; CBI ने दायर की थी याचिका

पश्चिम बंगाल में सोमवार को नारद केस के चलते हाई वोल्टेज ड्रामा चलता रहा। दरअसल, सीबीआई ने नारद घोटाले में ममता सरकार के दो मंत्रियों, एक विधायक और एक अन्य नेता को गिरफ्तार किया था। इसके बाद ममता बनर्जी और टीएमसी नेताओं ने सीबीआई दफ्तर में धरना दिया। वहीं, कार्यकर्ताओं ने दफ्तर पर पथराव भी किया। हालांकि, देर शाम कोर्ट ने चारों नेताओं को जमानत दे दी है। 

Asianet News Hindi | Published : May 17, 2021 4:54 AM IST / Updated: May 18 2021, 11:32 AM IST

कोलकाता, पश्चिम बंगाल. पश्चिम बंगाल में सोमवार को नारद केस के चलते हाई वोल्टेज ड्रामा देर रात तक चलता रहा। दरअसल, कलकत्ता हाईकोर्ट ने नारद घोटाले में ममता सरकार के दो मंत्रियों, एक विधायक और एक अन्य नेता की जमानत पर रोक लगा दी। सीबीआई ने सोमवार को इन नेताओं को गिरप्तार किया था। इसके बाद निचली अदालत ने इन नेताओं को जमानत दे दी थी। सीबीआई निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची। सीबीआई ने याचिका दायर कर कहा, सीबीआई ने कहा कि एजेंसी राज्य में ठीक से काम करने में असमर्थ हैं और उनकी जांच प्रभावित हो रही है। इसके बाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी। 

सीबीआई ने नारद स्टिंग ऑपरेशन में ममता सरकार के मंत्री फिरहाद हकीम और सुब्रत मुखर्जी सहित टीएमसी विधायक मदन मित्रा और पूर्व भाजपा नेता सोवन चटर्जी को गिरफ्तार किया था। इसके बाद ममता बनर्जी सीबीआई दफ्तर जा पहुंचीं। पीछे-पीछे बड़ी संख्या में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता भी आ गए। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने पथराव शुरू कर दिया। पुलिस ने लाठी चार्ज करके उन्हें वहां से खदेड़ा। इस हिंसा के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने ममता बनर्जी के खिलाफ FIR दर्ज करा दी। इस मामले में राज्यपाल ने भी ममता सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए पुलिस को नकारा साबित कर दिया। जानिए पूरा मामला...

पहले जमानत मिली, फिर रद्द हुई

सीबीआई के फैसले के खिलाफ टीएमसी ने निचली अदालत का रुख किया था। अदालत ने चारों नेताओं को जमानत दे दी थी। लेकिन सीबीआई इसके खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची। जहां पर कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बदलते हुए जमानत पर रोक लगा दी।

टीएमसी के लिए ऐसे शुरू हुआ बुरा दिन 

सीबीआई ने नारद घोटाले में फंसे ममता सरकार के मंत्री फिरहाद हकीम और सुब्रत मुखर्जी सहित टीएमसी विधायक मदन मित्रा और पूर्व भाजपा नेता सोवन चटर्जी के यहां छापामार कार्रवाई की। बाद में इन्हें पूछताछ के लिए सीबीआई के दफ्तर लाया गया, फिर गिरफ्तार कर लिया। इस बीच तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने सीबीआई दफ्तर के बाहर प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने सीबीआई के दफ्तर पर पथराव भी किया। उन्हें खदेड़ने पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा। इसे लेकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने नाराजगी जताते हुए बंगाल पुलिस पर सवाल उठाए हैं। उन्हाेंने कहा कि क्या पुलिस सिर्फ दर्शक बन गई है? इस मामले में बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने ममता बनर्जी के खिलाफ FIR दर्ज कराई है। इसकी कॉपी राज्यपाल को भेजी गई है।

ममता बनर्जी पहुंचीं सीबीआई दफ्तर

रेड की जानकारी लगते ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नाराज होकर फौरन सीबीआई दफ्तर पहुंचीं। बताया जा रहा है किउन्होंने सीबीआई अधिकारियों से कहा कि आप मुझे भी गिरफ्तार करिए। ममता ने कहा कि सिर्फ तृणमूल के नेताओं को ही क्यों गिरफ्तार किया जा रहा है? उन्होंने भाजपा में गए मुकुल रॉय और शुभेंदु अधिकारी पर कोई एक्शन नहीं लिए जाने पर भी सवाल उठाए। इन नेताओं के वकील ने दलील दी कि बिना नोटिस के किसी मंत्री या विधायक को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने भी नेताओं की गिरफ्तारी को असंवैधानिक बताकर राज्यपाल पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने बिना राज्य सरकार के परामर्श(सीबीआई को केस दर्ज करने अनुमति) के बदले की भावना से यह काम किया है। राज्यपाल खून चूसने वाले बन गए हैं। अब वे 2024 के चुनाव से पहले टिकट हासिल करने की कोशिश मे लगे हैं। इसलिए वो टीएमसी के खिलाफ मनमर्जी कर रहे हैं। सांसद ने कहा कि वे इन गिरफ्तारियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कोविड 19 के दौरान कई बार फैसला सुनाया है कि पुलिस किसी भी व्यक्ति को बेवजह हिरासत में नहीं ले सकती है। इसके बावजूद सीबीआई और पुलिस ने हमारे सदस्यों को गिरफ्तार किया। बता दें कि मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह से पहले ही राज्यपाल जगदीप खनखड़ ने नारद घोटाले में इन नेताओं के खिलाफ केस को हरी झंडी दे दी थी। 

सीबीआई की टीम सोमवार सुबह ही परिवहन मंत्री और कोलकाता नगर निगम के अध्यक्ष फिरहाद हकीम के घर पहुंच गई थी। जब सीबीआई हकीम को अपने साथ ले जा रही थी, तब उन्होंने मीडिया से कहा कि उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है। सीबीआई की टीम सुब्रत मुखर्जी और मदन मित्रा को भी अपने साथ दफ्तर लेकर गई। सोवन चटर्जी के घर पर भी छापा मारा गया। सोवन चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन टिकट नहीं मिलने पर भाजपा से अलग हो गए थे। हालांकि पहले सीबीआई ने इनमें से किसी की भी गिरफ्तारी से मना किया था, लेकिन बाद में सीबीआई के मुख्य सूचना अधिकारी आरसी जोशी ने इसकी पुष्टि कर दी।

मंत्रिमंडल के शपथ के साथ ही विवाद...
शपथ ग्रहण से पहले ही राज्य में चौंकाने वाला घटनाक्रम हो गया था। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने नारद घोटाले में 4 नेताओं पर केस चलाने की अनुमति दे दी थी। इस मामले की जांच CBI कर रही है। बता दें कि ये नेता हैं फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और सोवन चटर्जी। इस मामले में भाजपा में शामिल होकर ममता बनर्जी को हरा चुके सुवेंदु अधिकारी का नाम भी शामिल था, लेकिन लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने उन पर मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी थी।

यह है नारद घोटाला
2016 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नारद न्यूज के सीईओ मैथ्यु सैमुअल ने एक स्टिंग वीडियो जारी किया था। इसमें वे एक कंपनी के प्रतिनिधि के तौर पर तृणमूल कांग्रेस के तत्कालीन 7 सांसदों, तीन मंत्रियों और कोलकाता नगर निगम के मेयर शोभन चटर्जी को काम कराने के एवज में रिश्वत देते नजर आ रहे थे। इस मामले ने राजनीति भूचाल ला दिया था। सीबीआई बंगाल में हुए शारदा, रोजवैली सहित कई चिटफंड घोटालों की जांच कर रही है, नारद उनमें एक है।

 

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