चारधाम: 19 नवंबर को बंद होंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट, मंदिर प्रबंधन ने भक्तों की मौजूदगी में दशहरे पर की घोषणा

Published : Oct 25, 2020, 05:16 PM ISTUpdated : Oct 25, 2020, 05:19 PM IST
चारधाम: 19 नवंबर को बंद होंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट, मंदिर प्रबंधन ने भक्तों की मौजूदगी में दशहरे पर की घोषणा

सार

देश के चारधाम में से एक बद्रीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर को बंद कर दिए जाएंगे। इसकी घोषणा रविवार को बद्रीनाथ मंदिर प्रबंधन ने दशहरे के पावन मौके पर की है। मंदिर प्रबंधन के मुताबिक, 19 नवंबर के दिन दोपहर 3.35 मिनट पर मंदिर के कपाट सर्दियों के लिए बंद किए जाएंगे। 

बद्रीनाथ. देश के चारधाम में से एक बद्रीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर को बंद कर दिए जाएंगे। इसकी घोषणा रविवार को बद्रीनाथ मंदिर प्रबंधन ने दशहरे के पावन मौके पर की है। मंदिर प्रबंधन के मुताबिक, 19 नवंबर के दिन दोपहर 3.35 मिनट पर मंदिर के कपाट सर्दियों के लिए बंद किए जाएंगे। आपको बता दें कि हर साल विजयादशमी के मौके पर बद्रीनाथ धाम के कपाट सर्दियों के लिए बंद करने की तिथि घोषित की जाती है।

भक्तों की मौजूदगी में की गई घोषणा

दरअसल, रविवार सुबह मंदिर के रावल ईश्वरप्रदास नंबूदरी, धर्माधिकारी भुवनचंद्र उनियाल, देवस्थानम् बोर्ड के अधिकारियों, मंदिर समिति से जुड़े लोगों और भक्तों की उपस्थिति में कपाट बंद करने की तिथि घोषित की गई है। बद्रीनाथ धाम के अलावा 15 नवंबर को गंगोत्री, 16 नवंबर को यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट बंद किए जाएंगे।

मनुष्यों के बाद देवता करते हैं यहां पूजा

भुवनचंद्र उनियाल ने बताया कि 'जब सूर्य वृश्चिक राशि में रहता है, तब इसकी आधी अवधि तक मनुष्यों का बद्रीनाथ धाम में पूजा का अधिकार रहता है। इसके बाद यहां पूजा करने का अधिकार देवताओं का रहता है।' मालूम हो कि बद्रीनाथ धाम देश के चारधाम में भी शामिल है और ये चारों धाम देवभूमि कहे जाने वाले राज्य उत्तराखंड में स्थित हैं। बद्रीनाथ धाम अलकनंदा नदी के किनारे है जो करीब 3,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। सर्दियों में यहां का टेम्परेचर बहुत ठंडा हो जाता है जिसकी वजह से बर्फबारी होती है। इसी वजह से बद्रीनाथ मंदिर के कपाट शीत ऋतु में बंद कर दिए जाते हैं।

क्या है मंदिर से जुड़ी प्राचीन मान्यता

मान्यता है कि पुराने समय में भगवान विष्णुजी ने इसी क्षेत्र में तपस्या की थी। उस समय महालक्ष्मी ने बदरी यानी बेर का पेड़ बनकर विष्णुजी को छाया प्रदान की थी। लक्ष्मीजी के इस सर्मपण से भगवान प्रसन्न हुए। विष्णुजी ने इस जगह को बद्रीनाथ नाम से प्रसिद्ध होने का वरदान दिया था।

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