भारत में लुप्तप्राय Cheetah से फिर जंगलों को किया जाएगा आबाद, अफ्रीकी देशों से 14 चीता लाने की तैयारी

भारत सरकार चीता लाने के लिए अफ्रीकी देशों के साथ परामर्श बैठक आयोजित करने की प्रक्रिया में है। कार्य योजना के अनुसार पांच साल की अवधि में दक्षिण अफ्रीका/नामीबिया/अन्य अफ्रीकी देशों से कुल 12-14 चीतों को लाया जाएगा।

Asianet News Hindi | Published : Feb 7, 2022 1:17 PM IST

नई दिल्ली। भारत से लुप्तप्राय चीता (Cheetah) एक बार फिर जंगल में विचरण करते दिखेंगे। देश में चीता की आबादी बढ़ाने के लिए सरकार ने अफ्रीकी देशों से परामर्श लेना शुरू कर दिया है। जल्द ही करीब 14 चीता यहां लाकर संरक्षित करने के साथ आबादी बढ़ाने में सहयोग करेंगे।

लोकसभा में जानकारी देते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (Minister of State, Ministry of Environment, Forest & Climate Change) अश्विनी कुमार चौबे (Ashwini Kumar Choubey) ने कहा कि भारत सरकार (GoI) चीता लाने के लिए अफ्रीकी देशों के साथ परामर्श बैठक आयोजित करने की प्रक्रिया में है। कार्य योजना के अनुसार पांच साल की अवधि में दक्षिण अफ्रीका/नामीबिया/अन्य अफ्रीकी देशों से कुल 12-14 चीतों को लाया जाएगा। ऐसे शुरू किए गए चीता को जंगली में छोड़ने से पहले सैटेलाइट/जीएसएम-जीपीएस-वीएचएफ रेडियो-कॉलर से लैस किया जाएगा ताकि दूर से निगरानी की जा सके।

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1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था चीता

भारत सरकार ने 1952 में चीता को देश से विलुप्त घोषित कर दिया गया था। वर्तमान में भारत में किसी भी राष्ट्रीय उद्यान या वन्यजीव अभयारण्य में कोई चीता नहीं है।

नई चीता आबादी स्थापित की जाएगी

देश में नई चीता आबादी बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। विभिन्न पार्कों/भंडार/क्षेत्रों से लगभग 12-14 जंगली चीता 8-10 नर और 4-6 मादा को रखने की व्यवस्था की जाएगी। यह चीता प्रजनन आयु वर्ग जो आनुवंशिक रूप से विविध, रोग मुक्त, व्यवहारिक रूप से ध्वनि के प्रति सहनशील हैं। एक नई चीता आबादी स्थापित करने के लिए दक्षिण अफ्रीका / नामीबिया / अन्य अफ्रीकी देशों से आवश्यक रूप से पांच साल के लिए संस्थापक स्टॉक के रूप में आयात किया जाएगा और आवश्यक पड़ने पर फिर से नई खेप लाई जाएगी। 

विलुप्त होने वाला एकमात्र बड़ा मांसाहारी

स्वतंत्र भारत में विलुप्त होने वाला एकमात्र बड़ा मांसाहारी चीता है। भारत में जंगली में कोई चीता नहीं बचा है, इसलिए उन्हें भारत में लाने के लिए उन्हें विदेश से लाना पड़ता है। चीता भारतीय पारिस्थितिक तंत्र का एक अभिन्न अंग, एक प्रमुख विकासवादी शक्ति और एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक विरासत रहा है। उनकी बहाली से खुले जंगल, घास के मैदान और झाड़-झंखाड़ पारिस्थितिकी तंत्र के बेहतर संरक्षण की संभावना होगी, जिसके लिए वे एक प्रमुख प्रजाति के रूप में काम करेंगे।

प्रोजेक्ट के लिए धन आवंटन किया गया

वर्ष 2021-22 से 2025-26 के लिए चीता परिचय परियोजना के लिए टाइगर प्रोजेक्ट की चल रही केंद्र प्रायोजित योजना के तहत 38.70 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

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