
CJI BR Gavai: न्यायमूर्ति बीआर गवई ने 15 मई को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। वे देश के पहले बौद्ध समुदाय से आने वाले CJI हैं। अपने 7 महीने के कार्यकाल में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में लंबित 81,000 से अधिक मामलों का सामना करना है, जिनमें कई संवेदनशील और बहुचर्चित मुद्दे शामिल हैं।
राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में 81,768 मामले लंबित हैं। इनमें से 28,553 केस एक वर्ष से कम पुराने हैं, जबकि कई केस 5 से 10 वर्षों से लंबित हैं। नए CJI गवई ने शपथ से पहले ही मीडिया से वादा किया कि वे लंबित मामलों को कम करने की दिशा में गंभीर कदम उठाएंगे।
विवादास्पद वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 120 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं। 17 अप्रैल को तत्कालीन CJI संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई की और इसे 15 मई को नए मुख्य न्यायाधीश की पीठ के पास भेज दिया।
तेलंगाना सरकार द्वारा हैदराबाद विश्वविद्यालय के पास वन भूमि पर आईटी पार्क निर्माण की योजना का छात्रों और पर्यावरणविदों ने विरोध किया। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और CJI गवई की अध्यक्षता में कोर्ट ने तुरंत इस परियोजना पर रोक लगा दी। अब इस मामले की अगली सुनवाई 15 मई को होगी।
8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपालों को विधानमंडल द्वारा पारित विधेयकों को "अनिश्चितकाल" तक रोकने की परंपरा पर विराम लगाते हुए समयसीमा तय की। केरल के राज्यपाल से जुड़ा मामला अब भी कोर्ट में लंबित है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 375 और भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 में वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है। महिला अधिकार संगठनों की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में सुनवाई शुरू की, लेकिन इसे बाद में स्थगित कर दिया गया था। अब CJI गवई के कार्यकाल में इसपर निर्णायक सुनवाई की संभावना है।
हाल ही में भ्रष्टाचार के आरोप, राजनीतिक हस्तक्षेप और उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पदों द्वारा न्यायपालिका पर टिप्पणी ने न्याय व्यवस्था की स्वतंत्रता और गरिमा पर गंभीर बहस छेड़ दी है। CJI गवई को इस परिस्थिति में संतुलन और न्यायपालिका की प्रतिष्ठा बनाए रखने की चुनौती का सामना करना होगा।