10 दिन में इन पांच बड़े मामलों पर फैसला सुना सकता है सुप्रीम कोर्ट

चीफ जस्टिस गोगोई को जिन अहम मामलों में फैसले सुनाने हैं, उनमें सबसे अहम अयोध्या में जमीन विवाद है। रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में 2.77 एकड़ जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना 40 दिन तक सुनवाई की है। 

नई दिल्ली. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। इससे पहले उनके पास 10 कामकाजी दिन बचे हैं। इस दौरान उन्हें धर्म, रक्षा और राजनीति जैसे 5 बड़े मामलों पर फैसले सुनाने हैं।

1- अयोध्या जमीन विवाद

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चीफ जस्टिस गोगोई को जिन अहम मामलों में फैसले सुनाने हैं, उनमें सबसे अहम अयोध्या में जमीन विवाद है। रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में 2.77 एकड़ जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना 40 दिन तक सुनवाई की है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया। 2010 के इलाहाबाद के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 14 याचिका दायर की गईं थीं।

2. सबरीमाला पर फैसले के खिलाफ दायर याचिकां पर भी फैसला बाकी

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच सबरीमाला मंदिर पर दायर पुनर्याचिकाओं पर भी फैसला सुना सकते हैं। ये याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के सितंबर 2018 के फैसले के विरोध में दायर की गईं थीं। सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर की 700 साल पुरानी परंपराओं को बदलते हुए महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी थी। इस फैसले केक खिलाफ 65 याचिकाएं दायर की गई हैं।

3. राफेल डील

सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2018 में राफेल डील पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इस फैसले को प्रशांत भूषण, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने चुनौती दी है। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि पिछले फैसले से पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को गलत जानकारी दी है। इस मामले में 10 मई को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

4. 'चौकीदार चोर है' को लेकर राहुल गांधी पर फैसला

10 मई को ही सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी द्वारा राहुल गांधी के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर भी फैसला सुरक्षित रख लिया था। साथ ही उन्हें 'चौकीदार चोर है' के नारे के लिए माफी भी मांगने के लिए कहा था। राफेल पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि अब अदालत ने भी मान लिया है कि चौकीदार चोर है।

5. फाइनेंस एक्ट पर भी फैसला संभव

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच ने फाइनेंस एक्ट 2017 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर भी फैसला सुरक्षित रख लिया है, यह संसद में पास हो चुका है। 

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