केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बिल को पेश करते हुए कांग्रेस पार्टी पर जोरदार हमला बोला। जिसके बाद कांग्रेस के नेता आनंद शर्मा ने पलटवार करते हुए दो टूक जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने बिल के विरोध करने को लेकर कहा कि विरोध का कारण राजनैतिक नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरदार पटेल यदि पीएम मोदी से मिलते तो बहुत नाराज होते।
नई दिल्ली. केंद्र की मोदी सरकार द्वारा राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश किया गया। इस दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बिल को पेश करते हुए कांग्रेस पार्टी पर जोरदार हमला बोला। जिसके बाद कांग्रेस के नेता आनंद शर्मा ने पलटवार करते हुए दो टूक जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने बिल के विरोध करने को लेकर कहा कि विरोध का कारण राजनैतिक नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार कांग्रेस पर देश को बांटने का आरोप लगाती है। लेकिन, सच तो ये है कि हिंदू महासभा की बैठक में दो देशों की थ्योरी पास हुई थी। इस बैठक में वीर सावरकर भी मौजूद थे।
संविधान की परीक्षा में फेल है बिल
कांग्रेस की ओर से आनंद शर्मा ने कहा, '2016 और अब के बिल में काफी अंतर है, सबसे बात करने का जो दावा किया जा रहा है उससे मैं सहमत नहीं हूं। इतिहास इसको कैसे देखेगा, उसे वक्त बताएगा। ये बिल संवैधानिक, नैतिक आधार पर गलत है, ये बिल प्रस्तावना के खिलाफ है। ये बिल लोगों को बांटने वाला है। हिंदुस्तान की आजादी के बाद देश का बंटवारा हुआ था, तब संविधान सभा ने नागरिकता पर व्यापक चर्चा हुई थी। बंटवारे की पीड़ा पूरे देश को थी, जिन्होंने इस पर चर्चा की उन्हें इसके बारे में पता था।' राज्यसभा में नागरिकता बिल पर चर्चा के दौरान आनंद शर्मा ने कहा कि किसी भी पार्टी का घोषणापत्र संविधान से बड़ा नहीं होता। संविधान की परीक्षा में आपका बिल फेल है।
इतिहास को नहीं बदला जा सकता
आनंद शर्मा ने कहा, 'इतिहास को बदला नहीं जा सकता। कई लोगों ने यह कोशिश की, लेकिन वे बदल नहीं पाए। कभी न कभी जब परिवर्तन होते हैं, तो सच्चाई और इतिहास प्रचंड रूप में खुद को प्रकट करता है। दो देशों की थ्योरी कांग्रेस नहीं लाई थी, वह 1937 में अहमदाबाद में हिंदू महासभा ने प्रस्ताव पारित किया था। उसकी अध्यक्षता वीर सावरकर जी ने की थी। उसके एक साल बाद 1938 में मुस्लिम लीग का अधिवेशन हुआ, इसमें पार्टिशन ऑफ इंडिया प्रस्ताव पेश किया गया।
धर्म के आधार पर कभी नहीं दी गई नागरिकता
आनंद शर्मा ने कहा कि 1955 में आया सिटिजनशिप एक्ट आया। उसके बाद 9 बार इसमें बदलाव किए गए, लेकिन संविधान से इसका कोई टकराव नहीं हुआ। क्योंकि धर्म के आधार पर भारत में नागरिकता इसके पहले कभी नहीं दी गई। आनंद शर्मा ने कहा कि CAB और NRC से देश में असुरक्षा का माहौल है। असम अभी जल रहा है, सरकार बताए कि असम में इतनी असुरक्षा का माहौल क्यों है?
घोषणा पत्र नहीं हो सकता संविधान
आज सरदार पटेल पीएम मोदी से नाराज होंगे। आनंद शर्मा ने कहा कि असम में आज बच्चे सड़क पर क्यों हैं, जो डिटेंशन सेंटर बनाया गया है तो वहां पर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को भेजना चाहिए। किसी राजनीतिक दल का घोषणापत्र देश का संविधान नहीं हो सकता है। असम में आज लोग जल रहे हैं, उनके मन में असुरक्षा है लेकिन आप पूरे देश में NRC लाने की बात कह रहे हैं। आनंद शर्मा ने बोले कि गांधी-पटेल का नाम लेने से कुछ नहीं होगा, अगर सरदार पटेल पीएम मोदी से मिलते तो बहुत नाराज होते..गांधी का चश्मा सिर्फ विज्ञापन के लिए नहीं है।
वाजपेयी पर भी खड़े करेंगे सवाल
कांग्रेस नेता ने कहा कि अभी तक 9 संशोधन आए, गोवा, दमन-दीव, पुड्डूचेरी, युंगाडा, श्रीलंका, केन्या से आए लोगों को भारत की नागरिकता दी गई। 6 साल देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी थे, क्या उनपर भी सवाल खड़ा करेंगे। नागरिकता देते वक्त संसद ने धर्म को आधार नहीं बनाया, ये बिल आर्टिकल 14 का उल्लंघन है। भारत ने सदियों से लोगों को शरण दी है, यहूदी-पारसी-ईसाई सभी को भारत ने शरण दी थी। कांग्रेस नेता ने इस दौरान 9/11 का जिक्र किया, लेकिन 126 साल में 9/11 पर चार घटनाएं हुई हैं। महात्मा गांधी का सत्याग्रह भी 9/11 को शुरू हुआ था। 9 सितंबर को ही स्वामी विवेकानंद ने भाषण दिया था, उन्होंने कहा था कि मैं ऐसे देश से संबंध रखता हूं जो हर धर्म के लोगों को शरण देता है।