कांग्रेस का असंतुष्ट खेमा भी आएगा साथ, सोनिया गांधी से मिले गुलाम नबी आजाद...

G-23 लगातार संगठन के पुनर्गठन की मांग कर रहा है। ग्रुप ने पहली बार 2020 में पत्र लिखा था। इस पत्र में पार्टी की लगातार हार पर नेतृत्व पर सवाल उठे थे। हालांकि, यह ग्रुप अलग-थलग पड़ गया था। लेकिन कांग्रेस के पंजाब में सत्ता गंवाने, अन्य चार राज्यों में बुरी हार के बाद एक बार फिर कांग्रेस में एकजुटता की पुरजोर कोशिशें शुरू हो चुकी हैं। 

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने शनिवार को पार्टी नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam nabi Azad) से मुलाकात की है। सोनिया गांधी और जी-23 (G-23) के नेता गुलाम नबी आजाद की यह मुलाकात पांच राज्यों में कांग्रेस की बड़े पैमाने पर हार के बाद चल रहे समीक्षाओं के दौर के बीच हुई है। हालांकि, गुलाम नबी आजाद ने इस मीटिंग को एक रूटीन मीटिंग बताया है। लेकिन माना जा रहा है कि सोनिया गांधी के कांग्रेस में आंतरिक सुधारों की पहल के बाद दोनों गुटों के एक साथ आकर रणनीति पर मंथन शुरू हो चुका है।

क्या कहा गुलाम नबी आजाद ने?

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सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष के साथ यह एक अच्छी बैठक थी। यह मीडिया के लिए खबर हो सकती है लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष के साथ एक नियमित, सामान्य बैठक थी। उन्होंने कहा, "चर्चा इस बात पर थी कि कांग्रेस पार्टी एकजुट होकर आगामी चुनावों की तैयारी कैसे कर सकती है। नेतृत्व पर कोई सवाल ही नहीं था। किसी ने भी श्रीमती गांधी को सीडब्ल्यूसी में पद छोड़ने के लिए नहीं कहा था।"

सीडब्ल्यूसी मीटिंग के बाद बदले हैं हालात

पार्टी के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय, कांग्रेस वर्किंग कमेटी की रविवार की बैठक में गांधी-परिवार के वफादारों के रुख से असंतुष्टों ने बुधवार से कई बैठकें की हैं। गांधी परिवार के वफादार नुकसान के बावजूद गांधी परिवार के नेतृत्व पर पूरा भरोसा जता रहे हैं। पिछली सीडब्ल्यूसी बैठक में, पार्टी नेताओं ने सोनिया गांधी के अपने बच्चों राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ सभी पदों से हटने की पेशकश को ठुकरा दिया था।

G-23 लगातार संगठन के पुनर्गठन की मांग कर रहा है। ग्रुप ने पहली बार 2020 में सोनिया गांधी पत्र लिखा था। इस पत्र में पार्टी की लगातार हार पर नेतृत्व पर सवाल उठे थे। हालांकि, यह ग्रुप अलग-थलग पड़ गया था। लेकिन कांग्रेस के पंजाब में सत्ता गंवाने, अन्य चार राज्यों में बुरी हार के बाद एक बार फिर कांग्रेस में एकजुटता की पुरजोर कोशिशें शुरू हो चुकी हैं। 

समूह ने बुधवार को एक बयान में कहा, "कांग्रेस के लिए आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका सभी स्तरों पर समावेशी और सामूहिक नेतृत्व और निर्णय लेने का एक मॉडल अपनाना था।" उन्होंने जोर देकर कहा कि वे कांग्रेस को मजबूत करना चाहते हैं और इसे किसी भी तरह से कमजोर नहीं करना चाहते हैं।

सोनिया गांधी की बैठक को परिवार द्वारा जी-23 तक पहुंचने के व्यापक प्रयास के हिस्से के रूप में देखा गया। शनिवार को राहुल गांधी ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से संपर्क किया था, जो बुधवार को जी-23 बैठक में शामिल हुए थे।

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