महाराष्ट्र में संवैधानिक संकट: 48 घंटे में सरकार बनाने का दावा नहीं किया तो होगा ये सब, प्रेसिडेंट रूल का भी खतरा

महाराष्ट्र विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 8 नवंबर को समाप्त होने वाला है। लेकिन अभी तक शिवसेना और बीजेपी के बीच सरकार के गठन को लेकर तनातनी जारी है। अगर 7 नवंबर से पहले शपथ ग्रहण नहीं हुई तो राज्य को संवैधानिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। जिससे राज्य में राष्ट्रपति शासन भी लागू किए जाने का खतरा है।

 
 

Asianet News Hindi | Published : Nov 5, 2019 5:17 AM IST / Updated: Nov 05 2019, 11:09 AM IST

मुंबई. महाराष्ट्र विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 8 नवंबर को समाप्त होने वाला है। लेकिन अभी तक शिवसेना और बीजेपी के बीच सरकार के गठन को लेकर तनातनी जारी है। अगर 7 नवंबर से पहले शपथ ग्रहण नहीं हुई तो राज्य को संवैधानिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। जिससे राज्य में राष्ट्रपति शासन भी लागू किए जाने का खतरा है।

राज्य के वित्त मंत्री ने कहा...
शुक्रवार को राज्य के वित्त मंत्री और भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि नई सरकार का गठन तय समय सीमा में ही करना होगा। यदि 7 नवंबर से पहले नई सरकार नहीं बनी तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाएगा। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद भी सरकार के गठन नहीं होने के बाद वित्त मंत्री का बयान आया है। 

कोश्यारी पर होगी स्पॉट लाइट
विधायिका सचिवालय के एक अधिकारी के अनुसार, अगर सरकार बनाने के लिए कोई भी पार्टी दावेदारी के लिए आगे नहीं आती है। तो स्पॉटलाइट राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर होगी, जिन्हें सबसे बड़ी पार्टी के नेता को आमंत्रित करना होगा। यदि सरकार अभी भी नहीं बनी है, तो कोशियारी को दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के नेता को बुलाना होगा।

"लीगल कन्वेंशन के अनुसार, कोशियारी को सभी संभावनाओं का पता लगाना होगा। यदि वह विफल रहते हैं, तो उनके पास राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।" 

दिवाली के कारण हुई देरी
हालांकि, भाजपा-शिवसेना गठबंधन में भरोसा जताते हुए, मुनगंटीवार ने कहा कि एनडीए के सहयोगियों के बीच बातचीत में देरी दिवाली त्योहार के कारण हुई थी, एक या दो दिन में बातचीत की जाएगी। उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र के लोगों ने किसी पार्टी को नहीं बल्कि महायुति को जनादेश दिया है। हमारा गठबंधन मजबूत है।"

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