जम्मू कश्मीर में धारा 370(Article 370) हटने के बाद से आतंकवादियों के खिलाफ सख्त मुहिम(terrorists encounter) छिड़ी हुई है। शुक्रवार को राजौरी में 2 आतंकवादी मारे गए। घाटी में इन दिनों ऑपरेशन क्लीन चल रहा है।
जम्मू-कश्मीर. घाटी में धारा 370(Article 370) हटने के बाद से आतंकवाद के खिलाफ अब कड़ी सख्ती दिखाई जा रही है। पिछले लंबे समय से आतंकवादियों को सीधे शूटआउट किया जा रहा है। शुक्रवार को राजौरा इलाके में सुरक्षाबलों ने 2 आतंकवादियों को मार गिराया। यह मुठभेड़ जिले के थानामंडी इलाके में हुई।(इनसेट तस्वीर सांबा सेक्टर की है, जहां बड़ी मात्रा में हथियार मिले)
पाकिस्तान से घुसपैठ को तैयार हैं 140 आतंकवादी
सुरक्षाबलों को सूचना मिली थी कि थानामंडी इलाके में कुछ आतंकवादी छुपे हुए हैं। इसके बाद यहां सर्चिंग शुरू की गई। सुरक्षाबलों को देखकर आतंकवादियों ने फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में दोनों आतंकवादी मारे गए। राजौरी की एसपी शीमा नबी कसबा ने इसकी पुष्टि की। बता दें कि फरवरी में संघर्ष विराम के लिए सहमति बनने के बावजूद पाकिस्तान लगातार आतंकवादियों की घुसपैठ करा रहा है। खुफिया सूत्रों ने अलर्ट जारी किया है कि सीमा पार से 140 आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में घुसने की तैयारी में है। इसके बाद से सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
इस एनकाउंटर को मिलाकर एक साल में 90 आतंकवादी ढेर
मंगलवार(3 जुलाई) को बांदीपोर के चंदाजी इलाके में सुरक्षाबलों ने एक आतंकवादी मार गिराया था।इससे पहले 31 जुलाई को सुरक्षाबलों ने पुलवामा अटैक सहित अन्य आतंकी हमलों में शामिल अबू सैफुल्ला उर्फ लंबू को मार गिराया था। सुरक्षाबलों ने पिछले एक साल में अब तक 90 आतंकवादियों को मार गिराया है। इनमें से कई बड़े आतंकी हमलों में शामिल रहे थे।
31 जुलाई को तालिबान से जुड़ा रहा लंबू मारा गया था
पुलवामा के नागबेरन-तरसर वन क्षेत्र में हुई इस मुठभेड़ में 14 फरवरी, 2019 को हुए पुलवामा अटैक सहित अन्य आतंकी हमलों में शामिल अबू सैफुल्ला सहित एक अन्य आतंकी मारा गया था। इसे अदनान, इस्माइल और लंबू के नाम से भी पहचाना जाता था। आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा यह आतंकी 2017 से घाटी में सक्रिय था। यह जैश के संस्थापक मौलाना मसूद अजहर का करीबी रिश्तेदार था। करीब साढ़े छह फीट हाइट होने की वजह से इसे लंबू पुकारा जाने लगा था। पुलिस अधिकारी विजय कुमार ने बताया कि लंबू पाकिस्तान समर्थक मौलाना अजहर का एक बड़ा सहयोगी था। लंबू वाहन से चलने वाले आईईडी(विस्फोटक) का स्पेशलिस्ट था। इसका इस्तेमाल तालिबान अकसर अफगानिस्तान में इस्तेमाल करता है। इसी का इस्तेमाल पुलवामा अटैक में किया गया था। लंबू तालिबान से भी जुड़ा रहा।
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