1990 में कश्मीर घाटी में हुए कश्मीरी पंडितों के नरसंहार पर बनी फिल्म The Kashmir Files को लेकर जर्नलिस्ट राणा अयूब(Rana Ayyub) ने वाशिंगटन पोस्ट में लिखे एक आर्टिकल के जरिये अपनी भड़ास निकाली है। राणा अयूब ने इस संबंध में twitter पर वाशिंगटन पोस्ट की लिंक शेयर करते हुए कमेंट भी किया है।
नई दिल्ली. विवेक अग्निहोत्री की फिल्म The Kashmir Files लगातार चर्चाओं में है। 1990 में कश्मीर घाटी में हुए कश्मीरी पंडितों के नरसंहार पर बनी फिल्म The Kashmir Files को लेकर जर्नलिस्ट राणा अयूब(Rana Ayyub) ने वाशिंगटन पोस्ट में लिखे एक आर्टिकल के जरिये अपनी भड़ास निकाली है। राणा अयूब ने इस संबंध में twitter पर वाशिंगटन पोस्ट की लिंक शेयर करते हुए कमेंट भी किया है। उन्होंने लिखा-मैंने दो बार #KashmirFiles देखने की कोशिश की। दूसरी बार मैंने 30 मिनट में सबसे खराब मुस्लिम विरोधी गालियां सुनने के बाद थिएटर छोड़ दिया। जब मैंने विरोध किया तो मुझे पाकिस्तान जाने के लिए कहा गया। भारत में नफरत की लहर पर वाशिंगटन पोस्ट के लिए मेरा नवीनतम लेख।
सब मुल्ले आतंकवादी हैं?
राणा अयूब ने washingtonpost.com में The Kashmir Files को लेकर कुछ ऐसा लिखा-दो हफ्ते पहले मैंने परिवार और दोस्तों की सलाह पर फिल्म देखने की हिम्मत जुटाई। द कश्मीर फाइल्स, जो 1990 के दशक में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय 'कश्मीरी पंडितों' के पलायन को दिखाती है; ने पूरे भारत के सिनेमाघरों में मुस्लिम विरोधी नफरतभरे नारे लगाए हैं। जैसे ही मैंने थिएटर में प्रवेश किया, दर्शकों ने भारत माता की जय(भारत की जय) के नारे लगाए। यह एक राष्ट्रवादी नारा है, जिसे बार-बार मुसलमानों के खिलाफ हथियार बनाया गया है। वहां व्हीलचेयर पर बैठा एक आदमी भी 'सब मुल्ले आतंकवादी हैं' के नारों में शामिल हो गया।
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20 मिनट के भीतर फिल्म में मुसलमानों को परेशान करने वाले द़ृश्य थे
राणा अयूब ने लिखा नारेबाजी के बीच फिल्म शुरू होने से पहले ही मैं उठकर चली गई। अगले दिन फिर फिल्म देखने की कोशिश की। तब आगे की लाइन में बैठे लड़कों के एक ग्रुप ने भारत माता की जय के नारे लगाना शुरू कर दिए। चौथी पंक्ति में एक गर्भवती महिला और बुजुर्ग व्यक्ति बैठे थे। वे गर्व से बोल कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अंडर में भारत के इतिहास को भुनाया गया। फिल्म शुरू हुई, तो 20 मिनट के अंदर ही मुस्लिमों को परेशान करने वाले दृश्य थे।
जय श्री राम के नारे
राणा अयूब ने लिखा कि इस बीच दर्शकों ने जय श्री राम का जाप करना शुरू कर दिया। अगली पंक्ति में बैठे लड़कों ने सीटी बजाईं और नारे लगाए। मेरे बगल में बैठी गर्भवती ने अपने पति की ओर रुख किया-'ये मुसलमान पैदाइशी कमीने हैं।' जब नफरत को सहन करने में असमर्थ होने पर मैंने उन्हें बताया कि मैं एक मुसलमान हूं और वे जिस भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे वह मेरे समुदाय के खिलाफ अभद्र भाषा थी। महिला ने जवाब दिया-"नफरत वह है, जो आपका धर्म सिखाता है, हमारा नहीं।" हमारे पास बैठे अन्य लोग उसके बयान पर जय-जयकार करने लगे और मैंने थिएटर छोड़ दिया। एक आदमी मुझ पर चिल्लाया "जा पाकिस्तान!" (पाकिस्तान जाओ)। जब मैंने एक थिएटर मैनेजर से बदतमीजी करने और गाली-गलौज की शिकायत की, तो उसने मुंह फेर लिया। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रही है। थिएटर खचाखच भरे हैं। भारत सरकार ने इसे देश की भलाई के लिए महत्वपूर्ण मानते हुए टैक्स फ्री कर दिया है।
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इस्लामफोबिक नफरत भड़काने की ताकत
राणा अयूब ने जिक्र किया-मैंने पहले भी लिखा है कि इन फिल्मों में राष्ट्रवादी उत्साह और इस्लामोफोबिक नफरत को भड़काने की ताकत है। लेकिन "द कश्मीर फाइल्स" की रिकॉर्ड तोड़ सफलता ने प्रचार को नरसंहार के स्तर पर ले गई है।
मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसी हैं राणा अयूब
पिछले महीने प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) मामले में वाशिंगटन पोस्ट की स्तंभकार राणा अय्यूब के 1.77 करोड़ रुपए कुर्क (Attached) कर लिए थे। ईडी के एक अधिकारी के अनुसार अय्यूब ने कथित तौर पर तीन अभियानों के लिए दान में मिले पैसे के कुछ हिस्सों का इस्तेमाल निजी खर्चों के लिए किया था। बता दें कि राणा अय्यूब तहलका पत्रिका में पत्रकार थीं। तहलका के संपादक तरुण तेजपाल पर यौन शोषण के आरोप लगने के बाद अय्यूब ने वहां से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद से वह स्वतंत्र पत्रकारिता के जरिए तमाम अखबारों और मैग्जीनों में लेख लिख रही हैं।