Covid 19 वैक्सीन के तीसरे डोज के अंतर को कम करने की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट से खारिज, कहा - ये नीतिगत मामला

Vaccine third dose : जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने शुक्रवार को हुई सुनवाई में कहा कि यह सरकार का नीतिगत मामला है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए दिशांक धवन ने कहा कि बूस्टर के लिए 9 महीने का अंतर रखने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ (WHO)ने कहा है कि टीकाकरण का प्रभाव लगभग 3 महीने रहता है। 

नई दिल्ली। 10 जनवरी से फ्रंट लाइन, हेल्थ वर्कर्स और 60 साल से अधिक उम्र वाले बीमारियों से ग्रसित लोगों को कोरोना वैक्सीन की तीसरी डोज (Precaution dose) लगाई जा रही है। पिछले दिनों दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi high court) में एक जनहित याचिका (PIL) दायर कर केंद्र को कोविड 19 वैक्सीन की सेकंड डोज और तीसरी डोज (Precaution dose) में अंतर कम करने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने इसे नीतिगत मामला बताते हुए इसे खारिज कर दिया।

याचिका में दिए गए वैक्सीन के असर के तर्क
जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने शुक्रवार को हुई सुनवाई में कहा कि यह सरकार का नीतिगत मामला है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए दिशांक धवन ने कहा कि बूस्टर के लिए 9 महीने का अंतर रखने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ (WHO)ने कहा है कि टीकाकरण का प्रभाव लगभग 3 महीने रहता है। ओमीक्रोन एक घातक संक्रमण है, जो पहले ही 56 देशों को संक्रमित कर चुका है। इसलिए प्रिकॉशन डोज का अंतर कम करना चाहिए। धवन ने याचिका के माध्यम से केंद्र को उचित निर्देश देने की भी मांग की कि बूस्टर डोज या प्रिकॉशन डोज लेते समय फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के तत्काल परिवार को प्राथमिकता दी जाए।

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दूसरे देशों का उदाहरण दिया
याचिका में आगे कहा गया कि सितंबर 2021 में WHO ने COVID-19 वैक्सीन संरचना (TAG-CO-VAC) पर तकनीकी सलाहकार समूह की स्थापना की। 18 विशेषज्ञों का यह समूह COVID-19 वैक्सीन को लेकर सिफारिशें करता है। इसके बाद से SARS-CoV-2 वायरस कई वैरिएंट बदल चुका है। और WHO ने अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और ओमीक्रोन को वैरिएंट ऑफ कंसर्न बताया है। याचिका में कहा गया है कि कई अन्य देश अपने फ्रंट लाइन और हेल्थ वर्कर्स को को दूसरी डोज के 3 से 4 महीने बाद बूस्टर डोज लगा रहे हैं। इसके बावजूद भारत सरकार ने प्रिकॉशन डोज में 9 महीने का अंतर रखा है, जबकि 9 हफ्ते का अंतर रखने की बात किसी भी अध्ययन में नहीं कही गई है। फ्रंटलाइन वर्कर्स हर दिन नए वायरस का सामना कर रहे हैं। 

श्रीलंका में भी तीसरे डोज का अंतर कम
इसके अलावा, कई फ्रंट लाइन वर्कर्स और हेल्थ वर्कर्स हैं, जिन्हें अप्रैल 2021 के बाद वैक्सीन की दूसरी खुराक मिली, वे अपनी एहतियाती खुराक/टीकाकरण की तीसरी डोज प्राप्त करने में असमर्थ हैं, जबकि यह समय की आवश्यकता है। याचिका में कहा गया है विकासशील देशों के साथ ही हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका में भी तीसरी डोज हमसे पहले दी जा रही है।  

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