भारत सरकार ने मंगलवार को फिल्म एक्ट्रेस आशा पारेख को 2022 का दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड देने का ऐलान किया। 30 सितंबर को विज्ञान भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें यह अवॉर्ड देंगी। बता दें कि फिल्मों में योगदान के लिए हर साल दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड दिया जाता है।
Dada Saheb Phalke Award: भारत सरकार ने मंगलवार को फिल्म एक्ट्रेस आशा पारेख को 2022 का दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड देने का ऐलान किया। 30 सितंबर को विज्ञान भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें यह अवॉर्ड देंगी। इस बात की जानकारी खुद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दी। ठाकुर ने बताया कि आशा पारेख जी को हिंदी सिनेमा में उनके योगदान के लिए इस पुरस्कार से नवाजा जाएगा। बता दें कि फिल्मों में योगदान के लिए हर साल दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड दिया जाता है।
कब शुरू हुआ दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड?
दादा साहेब फाल्के के सम्मान में भारत सरकार ने 1969 में 'दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड' शुरू किया। यह भारतीय सिनेमा का सबसे सम्मानित पुरस्कार है। सबसे पहले यह पुरस्कार देविका रानी को मिला था। 1971 में भारतीय डाक ने दादा साहेब फाल्के के सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया था।
क्यों दिया जाता है यह अवॉर्ड?
दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड भारतीय सिनेमा में आजीवन योगदान के लिए दिया जाता है। इस पुरस्कार की शुरुआत दादा साहब फाल्के के जन्म शताब्दी वर्ष 1969 से हुई। इस साल राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के लिए आयोजित 17वें समारोह में पहली बार यह अवॉर्ड एक्ट्रेस देविका रानी को दिया गया था।
कैसे चुना जाता है अवॉर्ड विनर?
दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स समारोह में दिया जाता है। यह पूरी प्रक्रिया केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आती है। पहला दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड 1969 में देविका रानी को मिला था। वहीं रजनीकांत को 2021 में इस अवॉर्ड से नवाजा गया। इस तरह अब तक कुल 51 लोगों को यह दिया जा चुका है।
दादा साहेब अवॉर्ड में क्या मिलता है?
दादा साहेब अवॉर्ड में एक स्वर्ण कमल, शॉल और 10 लाख रुपए कैश दिए जाते हैं। इसके साथ ही 'दादा साहेब फाल्के अकादमी' के द्वारा हर साल दादा साहेब फाल्के के नाम पर कुल तीन पुरस्कार दिए जाते हैं। जिनमें फाल्के रत्न अवार्ड, फाल्के कल्पतरु अवार्ड और दादासाहेब फाल्के अकादमी अवार्ड शामिल हैं।
अब तक इन्हें मिल चुका दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड?
देविका रानी, बीरेन्द्रनाथ सरकार, पृथ्वीराज कपूर (मरणोपरांत), पंकज मलिक, रूबी मेयर्स, बीएन रेड्डी, धीरेन्द्रनाथ गांगुली, कानन देवी, नितिन बोस, रायचंद बोरल, सोहराब मोदी, पैदी जयराज, नौशाद, एलवी प्रसाद, दुर्गा खोटे, सत्यजीत रे, वी शांताराम, बी नागा रेड्डी, अशोक कुमार, लता मंगेशकर, अक्किनेनी नागेश्वर राव, भालजी पेंढरकर, भूपेन हजारिका, मजरूह सुल्तानपुरी, दिलीप कुमार, राज कुमार (कन्नड़), शिवाजी गणेशन, कवि प्रदीप, बीआर चोपड़ा, ऋषिकेश मुखर्जी, आशा भोंसले, यश चोपड़ा, देव आनंद, मृणाल सेन, अदूर गोपालकृष्णन, श्याम बेनेगल, तपन सिन्हा, मन्ना डे, वीके मूर्ति, डी रामानायडू, के बालाचंदर, सौमित्र चटर्जी, प्राण, गुलजार, शशि कपूर, मनोज कुमार, के विश्वनाथ, विनोद खन्ना, अमिताभ बच्चन और रजनीकांत।
कौन थे दादा साहेब फाल्के?
दादासाहेब फाल्के को भारतीय सिनेमा का पितामह भी कहा जाता है। उनका जन्म 30 अप्रैल, 1870 को महाराष्ट्र के नासिक में एक मराठी फैमिली में हुआ था। दादा साहेब की पढ़ाई शिक्षा कला भवन, बड़ौदा से हुई। उन्होंने मुंबई के सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट से एक्टिंग की ट्रेनिंग ली। वे शौकिया जादूगर भी थे। कहा जाता है कि उन्होंने क्रिसमस के मौके पर ‘ईसा मसीह’ पर बनी एक फिल्म देखी। इसे देखने के बाद ही उन्होंने ये फैसला कर लिया था कि वो भी फिल्म बनाएंगे। 1912 में उन्होंने फिल्म 'हरिश्चंद्र' बनाने का फैसला किया। इस फिल्म के डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, लाइटमैन, कैमरा डिपार्टमेंट सबकुछ उन्होंने ही संभाला। यहां तक कि फिल्म के स्क्रिप्ट राइटर भी वही थे।
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