वेल्लोर. तमिलनाडु के वेल्लोर में दलितों के साथ भेदभाव का मामला सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्हें शवों के दाह संस्कार के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। पहले शवों को करीब 20 फीट ऊंचे ओवरब्रिज से गिराते हैं। इसके बाद पलार नदी किनारे दाह संस्कार करते हैं।
आखिर शवों को ओवरब्रिज से गिराना क्यों पड़ता है?
- ट्विटर पर एक दलित के दाह संस्कार का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें शव को लटकाते हुए दिखाया गया है। नारायणपुरम में रहने वाले दलित कॉलोनी के 55 साल के कुप्पन की पिछले शुक्रवार को एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी।
- टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, यहां पुल बनने के बाद अन्य जाती के लोगों ने नदी तक जाने वाले रास्ते पर अतिक्रमण कर लिया है और दलितों को अपने खेत के जरिए मृतकों को ले जाने से मना कर दिया।
- कुप्पन के भतीजे विजय ने कहा, शनिवार को जब हमने अपने चाचा के शव को खेत से ले जाने की कोशिश की तो हमें रोक दिया गया। झड़प के डर से ग्रामीणों ने पुल से शव को गिराने का फैसला किया।
- दलित कॉलोनी के ही रहने वाले कृष्णा ने कहा, गांव के श्मशान में जगह की कमी की वजह से नदी किनारे अंतिम संस्कार किया जाता है। ऐसा चार साल से करते आ रहे हैं।
- दलितों ने जिला प्रशासन को दोषी ठहराया। उन्होंने अतिक्रमण हटाने के लिए प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की है। इस मामले में जब वेल्लोर के कलेक्टर ए शनमुगा सुंदरम से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि एक टीम इस मामले की जांच कर रही है और उचित कार्रवाई की जाएगी।