डीडीसी चुनाव नतीजे: 5 पॉइंट्स में जानिए जम्मू कश्मीर में भाजपा कैसे बनी सबसे बड़ी पार्टी ?
भाजपा इस जीत को लोकतंत्र की जात बता रही है, तो वहीं, गुपकार गठबंधन का कहना है कि यह आर्टिकल 370 बहाल करने की दिशा में जनता की मुहर है। आईए जानते हैं कि यह चुनाव भाजपा के लिए कैसे अहम है, और वह कैसे राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनी?
श्रीनगर. जम्मू कश्मीर में पहली बार डिस्टिक डेवलपमेंट काउंसिल चुनाव (डीडीसी चुनाव) हुए। इन चुनावों में गुपकार गठबंधन को 112 सीटें मिलीं। हालांकि, भाजपा इन चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। भाजपा ने 75 सीटों पर जीत हासिल की। नेशनल कांफ्रेंस को 67 सीट, पीडीपी को 27 और कांग्रेस को 26, अपनी पार्टी को 12 सीटें मिलीं। जबकि 49 निर्दलियों ने भी इस चुनाव में जीत हासिल की। भाजपा इस जीत को लोकतंत्र की जात बता रही है, तो वहीं, गुपकार गठबंधन का कहना है कि यह आर्टिकल 370 बहाल करने की दिशा में जनता की मुहर है। आईए जानते हैं कि यह चुनाव भाजपा के लिए कैसे अहम है, और वह कैसे राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनी?
डीडीसी चुनाव क्या है? जम्मू कश्मीर में यह पहला डीडीसी चुनाव है। आर्टिकल 370 हटने से पहले जम्मू कश्मीर में त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली नहीं थी। कुछ महीने पहले ही केंद्र ने जम्मू और कश्मीर पंचायती राज अधिनियम, 1989 में संशोधन के लिए सहमित दी थी। अब इन चुनावों के बाद जम्मू में 10 और कश्मीर में 10 समेत कुल 20 जिलों में डीडीसी का गठन किया जाएगा। जम्मू कश्मीर के प्रत्येक जिले में 14 निर्वाचन क्षेत्र चुने गए हैं। इस तरह से राज्य में डीडीसी की 280 सीटें हैं, यही डीडीसी प्रतिनिधियों का चयन करेंगे।
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कब हुआ चुनाव, किसने किसके साथ मिलकर लड़ा चुनाव? जम्मू कश्मीर में 8 चरणों में 28 नवंबर से 19 दिसंबर तक चुनाव हुए थे। इस चुनाव में भाजपा, कांग्रेस और अपनी पार्टी ने अकेले अकेले चुनाव लड़ा था। वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रैटिक पार्टी, पीपल्स कॉन्फ्रेंस, सीपीआई, सीपीआईएम, अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस और जम्मू और कश्मीर पीपल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) पार्टियां ने गठबंधन में चुनाव लड़ा। इसे गुपकार गठबंधन नाम दिया गया।
कैसे भाजपा बनी सबसे बड़ी पार्टी ?
1- पीएम मोदी के विकास के मंत्र पर मिला साथ धारा 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में यह पहला चुनाव था। भाजपा का कहना है कि इस चुनाव में पीएम मोदी की विकास की सोच पर मुहर लगी है। पीएम मोदी ने 2015 में डेवलेपमेंट पैकेज का ऐलान किया था। हाल ही में एक इंटरव्यू में जम्मू कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा ने बताया था कि राज्य में 54 प्रोजेक्ट में से 20 पूरे हो चुके हैं। बाकी बड़ी परियोजनाएं 2022 तक पूरी हो जाएंगी। इसके अलावा पीएम मोदी ने राज्य में 2 एम्स, 5 मेडिकल कॉलेज, एनआईटी, आईआईटी और आईआईए, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस देने का ऐलान किया है। इन पर भी समय से काम पूरा हो जाएगा। इसके अलावा उन्होंने बताया था कि औद्योगिकरण की नीति पर ही मुहर लग गई है, जिससे राज्य में 2-3 सालों में 30 हजार करोड़ रुपए का निवेश आएगा। मोदी सरकार ने 2025 तक 80% युवाओं को रोजगार देने का लक्ष्य रखा है।
2- राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़ा चुनाव भाजपा ने यह चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़ा। यह चुनाव मुख्य तौर पर आर्टिकल 370 मुद्दे पर लड़ा गया। खास बात ये रही कि इस चुनाव में भाजपा को सिर्फ जम्मू ही नहीं, कश्मीर में भी 3 सीटें मिली हैं। जबकि श्रीनगर में भाजपा की रणनीति सफल होते दिखी। भाजपा ने यह चुनाव धारा 370, विकास, आतंकवाद, पाकिस्तान जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़ा।
3- जम्मू में भाजपा को मिली बड़ी सफलता जम्मू कश्मीर में जम्मू का क्षेत्र भाजपा के लिए 2014 विधानसभा चुनाव की तरह ही रहा। यहां भाजपा ने 72 सीटें जीतीं। वहीं, गुपकार को 25 और कांग्रेस को 17 सीटें मिलीं। जम्मू क्षेत्र में हिंदू जनसंख्या ज्यादा है। यहां करीब 61% आबादी हिंदुओं की है। ऐसे में भाजपा को जम्मू से ही बड़ी बढ़त मिली। इससे पहले 2014 में भी भाजपा ने जम्मू में सबसे ज्यादा विधानसभा सीटें जीती थीं।
4- भाजपा ने उतारी केंद्रीय मंत्रियों की फौज हाल ही में हैदराबाद में नगर निगम चुनाव हुए थे। इस चुनाव में भाजपा ने केंद्रीय मंत्रियों की फौज चुनाव प्रचार में उतारी थी। इसी रणनीति के तहत भाजपा ने जम्मू कश्मीर में भी भाजपा के बड़े नेताओं को प्रचार के लिए भेजा। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को प्रभारी बनाया गया था। इसके अलावा चुनाव प्रचार में मुख्तार अब्बास नकवी, स्मृति ईरानी, अनुराग ठाकुर, जितेंद्र सिंह, किशनपाल गुर्जर, जनरल वीके सिंह, हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, शाहनवाज हुसैन, भाजपा सांसद हंस राज हंस, मनोज तिवारी, केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह ने जमकर प्रचार किया।
5- मुफ्ती का बड़बोलापन पड़ा भारी इस चुनाव में महबूबा मुफ्ती की पार्टी को 27 सीटों पर संतोष करना पड़ा। माना जा रहा है कि मुफ्ती का बड़बोलापन उनके लिए भारी पड़ गया। महबूबा मुफ्ती ने रिहा होने के बाद कहा था कि वे जब तक तिरंगा नहीं उठाएंगी, जब तक कश्मीर में आर्टिकल 370 बहाल नहीं करा देतीं। वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूख अब्दुल्ला ने भी कश्मीर में आर्टिकल 370 की बहाली के लिए चीन से मदद मांगी थी। चुनाव नतीजों के बाद मुफ्ती पर तंज कसते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा, यह जानना जरूरी है कि निर्दलियों को कांग्रेस और पीडीपी से ज्यादा वोट मिले हैं। महबूबा मुफ्ती, जिन्होंने तिरंगा फहराने से इनकार कर दिया था, उन्हें जनता ने करारा जवाब दिया है।