उद्धव ठाकरे ने बाला साहेब के बताए रास्ते पर चलने की बजाय झूठी धर्मनिरपेक्षता दिखाने और मुख्यमंत्री बनने का निर्णय लिया। खैर अभी भी यह देखने वाली बात होगी कि यह बेमेल गठबंधन कैसे चलता है और कितने दिनों तक चलता है।
महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में शासन करना किसी भी पार्टी के लिए आसान बात नहीं है। ऊपर से यदि सरकार कभी भी गिर जाने वाले गठबंधन के जरिए बनी हो, जिसका कोई कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तक ना हो तो यह और भी मुश्किल काम है, पर महाराष्ट्र में हाल ही में सत्ता आए उद्धव ठाकरे इन सब बातों की कोई परवाह नहीं करते।
महाराष्ट्र में लोग सुबह सोकर उठे तो राज्य से राष्ट्रपति शासन हट चुका था और देवेन्द्र पड़णवीस राज्य के मुख्यमंत्री बन चुके थे। अजित पवार को राज्य का उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। दरअसल अजित पवार ने भाजपा को NCP के विधायकों का समर्थन देकर राज्य में सत्ता हासिल कर ली थी। भाजपा को हाल ही में हुए कर्नाटक मामले की याद दिलाई गई, क्योंकि भाजपा को अभी ही इस मामले से निजात मिला है। इसके बाद भी भाजपा राज्य की सबसे बड़ी पार्टी थी। इसी बात से जनता का मत स्पष्ट हो रहा था। चुनाव के नतीजे आने के बाद शिवसेना ने भाजपा का साथ छोड़ दिया था और अब इस पार्टी के पास गिने-चुने विकल्प ही मौजूद थे।
अजीत पवार ने राज्य की राजनीति में अपने पैर जमाने की कोशिश में एक जुंआ खेला और भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली। केन्द्र और राज्य दोनों जगह एक ही पार्टी की सरकार होने से समन्वय बेहतर रहता और सरकार ढंग से चल सकती थी। यही भारतीय राजनीति का आदर्श स्वरूप है। यहां नेताओं के बेटे या बेटी को ज्यादा महत्व दिया जाता है न कि उसे जिसने चुनाव जीता हो। हमने यह इससे पहले मुलायम सिंह यादव के साथ देखा था और अब एक बार फिर शरद पवार के साथ यही हुआ। अजीत पवार की यह सोची समझी राजनीति थी और उनके पास खोने के लिए कुछ भी नहीं था।
हमेशा से ही हिंदुत्व में भरोसा रखने वाली शिवसेना ने उन लोगों के साथ गठबंधन किया है जिनकी पहली मांग अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण को लेकर है। उद्धव ठाकरे ने यह सबकुछ सत्ता के लालच और मुख्यमंत्री पद की चाह में किया है। उद्धव ठाकरे ने बाला साहेब के बताए रास्ते पर चलने की बजाय झूठी धर्मनिरपेक्षता दिखाने और मुख्यमंत्री बनने का निर्णय लिया। खैर अभी भी यह देखने वाली बात होगी कि यह बेमेल गठबंधन कैसे चलता है और कितने दिनों तक चलता है।
कौन हैं अभिनव खरे
अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विद अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के 100 से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सफल डेली शो कर चुके हैं।
अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, कन्नड़ और तेलुगू भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA) भी किया है।