आतिशी ने 5 मंत्रियों के साथ ली शपथ: इन 10 चुनौतियां से करना होगा सामना
आतिशी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है और उनके सामने कई चुनौतियां हैं। युवा नेता होने के नाते, उन्हें अपनी सरकार और छवि को मजबूत करते हुए कई बाधाओं को पार करना होगा।
नई दिल्ली। दिल्ली के सीएम के रूप में शनिवार को आतिशी ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने उनको शपथ दिलाई। आतिशी के साथ पांच मंत्रियों ने भी शपथ ली। आतिशी दिल्ली की सबसे युवा सीएम बनीं हैं जबकि तीसरी महिला सीएम हैं।
किन लोगों ने ली मंत्रिपद की शपथ?
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आतिशी सरकार में पांच मंत्रियोंने भी पद एवं गोपनीयता की शपथ ली है। उनके मंत्रिमंडल में सौरभ भारद्वाज, गोपाल राय, कैलाश गहलोत, इमरान हुसैन और मुकेश अहलावत शामिल हैं। मुकेश पहली दफा मंत्री बने हैं।
शपथ के बाद केजरीवाल के छुए पैर
दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद आतिशी ने पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल का पैर छूकर आशीर्वाद लिया। समारोह में आतिशी के पिता विजय सिंह, मां तृप्तावाही, पूर्व सीएम केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, बीजेपी नेता विजेंद्र गुप्ता, सांसद मनोज तिवारी आदि मौजूद रहे।
सीएम आतिशी की टॉप 10 चुनौतियां...
युवा होने की वजह से अनुभवी सदस्यों से चुनौती: आतिशी दिल्ली की सबसे युवा चीफ मिनिस्टर हैं। 43 साल की उम्र में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाली आतिशी के सामने उन लोगों को अपनी बात मनवाने या समर्थन हासिल करने की चुनौती होगी।
आम आदमी पार्टी में मुख्यमंत्री के रूप में खुद को स्थापित करना भी उनके लिए एक बड़ी चुनौती होगी। उन पर डमी सीएम की आमधारणा को तोड़ने की भी चुनौती है।
शासन पर लिमिटेड कंट्रोल: दिल्ली में एडमिनिस्ट्रेशन स्ट्रक्चर बेहद जटिल है। यहां उप राज्यपाल के पास महत्वपूर्ण शक्तियां हैं। आतिशी को प्रभावी शासन करने के लिए उप राज्यपाल से कोआर्डिनेट करना होगा। उधर, एलजी पर केंद्र सरकार के इशारे पर काम करने का आरोप लगता रहा है। ऐसे में आतिशी के लिए शासन-सत्ता पर प्रभाव बनाए रखने बेहद चुनौतीपूर्ण है।
भ्रष्टाचार के आरोपों से निपटना: आप सरकार पर दिल्ली शराब नीति घोटाला सहित कई आरोप लगे हैं। आतिशी को भ्रष्टाचार के लगे आरोपों से भी निपटना और अपनी सरकार की छवि को बेहतर करने की चुनौती होगी। उन्हें पार्टी की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए जनता का विश्वास बहाल करने और इन मुद्दों को सीधे संबोधित करने पर काम करने की आवश्यकता होगी।
केजरीवाल की कठपुतली: आतिशी की छवि को जनता में अरविंद केजरीवाल की डमी या कठपुतली के रूप में बीजेपी ने पेश किया है। आतिशी को इस छवि से बाहर निकलने की सबसे बड़ी चुनौती होगी।
बुनियादी ढांचा को सुधारना: दिल्ली को हाल ही में बाढ़ सहित कई बुनियादी समस्याओं का सामना करना पड़ा था। आम आदमी पार्टी सरकार को इसके लिए काफी आलोचना सहना पड़ा। अब आतिशी के सामने बुनियादी ढांचा को बेहतर करने, वोटर्स का विश्वास बहाल करने की चुनौती होगी।
चुनावी रणनीति और आगामी चुनाव: विधानसभा नजदीक है। आतिशी को बेहतर शासन व्यवस्था देकर अपनी पार्टी की छवि को सुधारने का दबाव है। बीजेपी लगातार दिल्ली सरकार पर आक्रामक है। केजरीवाल और सिसोदिया चुनावी मोड में आ चुके हैं। ऐसे में आतिशी को अपने लेवल से पार्टी को मजबूती देने की चुनौती होगी।
महिला सशक्तिकरण: आतिशी एक महिला नेत्री हैं। आम आदमी पार्टी, राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के मारपीट के आरोपों से घिरी हुई है। महिला नेता के रूप में उनके पास महिलाओं के मुद्दों को बेहतर ढंग से समाधान का अवसर है। उनके सामने महिला मतदाताओं को रिझाने की चुनौती है।
संकट प्रबंधन कौशल: पानी की कमी जैसे संकटों के प्रबंधन के अपने पिछले अनुभव को देखते हुए आतिशी को अपनी नई भूमिका में मजबूत संकट प्रबंधन कौशल का प्रदर्शन की चुनौती होगी। विशेष रूप से सार्वजनिक शिकायतों का तेजी से और प्रभावी ढंग से जवाब देने में उनको काम करना होगा।
शिक्षा सुधारों को बनाए रखना: दिल्ली में स्कूली शिक्षा में सुधार का सबसे अधिक श्रेय आतिशी को जाता है। अब मुख्यमंत्री के रूप में इन सुधारों को जारी रखना और उसे बेहतर करने की चुनौती होगी।