दिल्ली में हर घंटे कट रहे 3 पेड़, हमारी नहीं AAP की मानेंगे न? अवैध ढंग से काटने वाले तो जुर्माना तक नहीं भरते

दिल्ली दुनिया के प्रदूषित शहरों में शुमार है। हर साल प्रदूषण यहां सैकड़ों जान ले रही लेकिन पर्यावरण के प्रति न तो लोग जागरूक हैं न ही सरकारें। दिल्ली में विकास के नाम पर हर घंटे तीन पेड़ काटे जा रहे हैं।
 

नयी दिल्ली। विकास के अंधे दौड़ में शामिल महानगरों की पर्यावरण को लेकर चिंताएं केवल विश्व पर्यावरण दिवस की गोष्ठियों और फोटोसेशन तक की सीमित रहती हैं। अनियमित मौसम परिवर्तन को झेल रही दिल्ली अपनी हरियाली को कायम करने में बेहद लापरवाह है। दिल्ली में विकास को गति देने के लिए हरियाली से समझौता किया जा रहा है। दिल्ली में हर घंटे कम से कम तीन पेड़ कट रहे हैं। हालांकि, एक पेड़ काटने के एवज में दस पौधे लगाने का आदेश तो है लेकिन वह सिर्फ फाइलों में ही सीमित है। 

तीन साल में 77 हजार पेड़ों के काटने का आदेश

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दरअसल, दिल्ली के वन विभाग ने पिछले तीन सालों में 77 हजार पेड़ों को काटने या प्रतिरोपण का आदेश दिया है। अधिकारियों ने एजेंसियों को पिछले तीन वर्षों में दिल्ली पेड़ संरक्षण अधिनियम (डीपीटीए) की धारा 9 के तहत 29,946 पेड़ों और अधिनियम की धारा 29 के तहत 47,474 पेड़ों को काटने या प्रत्यारोपण करने की अनुमति दी है। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो यह कि करीब 77 हजार पेड़ों को वन विभाग ने काटने का आदेश दिया यानी कि हर घंटे तीन पेड़ काटे गए या जा रहे हैं। हालांकि, पयार्वरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि वन विभाग के अधिकारिक आंकड़ें के अलावा अवैध रूप से काटे गए पेड़ों की संख्या को भी गिना जाए तो यह संख्या वास्तविक से कहीं अधिक हो सकते हैं।

दिल्ली में अत्यधिक पेड़ काटने से नाराज पर्यावरण प्रेमी

दिल्ली के विकास मार्ग इलाके में पेड़ों के कंक्रीटीकरण के खिलाफ तमाम पर्यावरण विद् कोर्ट भी पहुंचे हैं। अधिवक्ता आदित्य एन प्रसाद के माध्यम से आरटीआई कार्यकर्ता नीरज शर्मा ने अवमानना याचिका दायर कर आदेशों के जवाब में डेटा दिया गया है। आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम वन प्रभाग के अधिकारियों ने पिछले तीन वर्षों में राजधानी के सभी वन प्रभागों में से अधिकतम 8,953 पेड़ों को काटने और 13,486 पेड़ों के प्रत्यारोपण की अनुमति दी है। वन विभाग ने इस अवधि के दौरान केंद्रीय वन प्रभाग में 2,866 पेड़ काटने और 701 पेड़ लगाने की अनुमति दी। अधिकारियों ने एजेंसियों को उत्तरी वन प्रभाग में 689 पेड़ काटने और 269 पेड़ लगाने की अनुमति दी। उन्होंने दक्षिण वन प्रभाग में 982 पेड़ों की कटाई और 2,000 पेड़ों के प्रत्यारोपण की अनुमति दी।

राजधानी में कितने पेड़ काटे गए

दिल्ली सरकार ने 2019 से 2021 तक डीपीटीए की धारा 29 के तहत 52 अधिसूचनाएं जारी कीं, जिसमें राजधानी में कुल 15,426 पेड़ों की कटाई और 32,048 पेड़ों के प्रत्यारोपण की अनुमति दी गई। 18 मई की एक स्थिति रिपोर्ट में, वन विभाग ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में अधिनियम की धारा 9 के तहत प्रत्यारोपित किए गए 16,461 पेड़ों में से केवल एक-तिहाई (33.33 प्रतिशत) ही बचे हैं। विभाग द्वारा 31 मई को दायर एक हलफनामे में प्रतिपूरक वृक्षारोपण की एक गंभीर तस्वीर चित्रित की गई है। इसने कहा कि उपयोगकर्ता एजेंसियों ने पेड़ों को काटने के बदले पिछले तीन वर्षों में अनिवार्य 4,09,046 के मुकाबले सिर्फ 1,58,522 पौधे लगाए। DPTA के प्रावधानों के अनुसार, वन विभाग को यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक काटे गए पेड़ के लिए 10 पौधे लगाए जाएं।

अवैध पेड़ काटने वाले जुर्माना तक जमा करना आवश्यक नहीं समझते

आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले तीन वर्षों में अवैध रूप से पेड़ों को काटने, क्षतिग्रस्त करने, काटने और कंक्रीटिंग के लिए बड़ी संख्या में अपराध दर्ज किए गए हैं और अधिकांश मामलों में अपराधियों ने जुर्माना जमा नहीं किया है। याचिका पर सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति नजमी वज़ीरी ने 20 मई को निर्देश दिया था कि दिल्ली में 2 जून तक कोई पेड़ नहीं काटा जाएगा, यह कहते हुए कि राजधानी में बड़े पैमाने पर वायु प्रदूषण के कारण बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की अनुमति नहीं हो सकती है।
 

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