हार के बाद यशवंत सिन्हा का पहला बयान, भगवान श्रीकृष्ण के भगवत गीता के दर्शन का जिक्र करते हुए कही बड़ी बात

NDA की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू देश की 15 वीं राष्ट्रपति होंगी। वे इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी। मुर्मू को जीत के लिए जरूरी 5 लाख 43 हजार 261 वोट तीसरे राउंड में ही मिल गए। थर्ड राउंड में ही मुर्मू को 5 लाख 77 हजार 777 वोट मिले। जबकि विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा को 2 लाख 61 हजार 62 वोट ही मिले हैं।

नई दिल्ली। एनडीए प्रत्याशी द्रौपदी द्रौपदी मुर्मु (Draupadi Murmu) देश की अगली राष्ट्रपति (15th President of India) होंगी। 15वें राष्ट्रपति के रूप में जीत हासिल करने वाली द्रौपदी मुर्मु देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति (First Tribal woman Presient) हैं। चुनाव परिणाम आने के बाद राष्ट्रपति चुनाव में रनर अप रहे यशवंत सिन्हा ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को बधाई दी है। सिन्हा ने कहा, मैं आशा करता हूं कि वह देश के संविधान की रक्षक साबित होंगी और बिना किसी भय या पक्षपात के राष्ट्रपति के रूप में संविधान के अनुरूप देश को संचालित करेंगी। उन्होंने विपक्ष के साथियों को भी एकजुटता बनाए रखने के लिए शुक्रिया अदा किया।

यशवंत सिन्हा ने क्या कहा...पढ़िए पूरा लेटर...

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मैं श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव 2022 में उनकी जीत पर दिल से बधाई देता हूं। मुझे उम्मीद है कि वास्तव में, हर भारतीय उम्मीद करता है-कि भारत के 15 वें राष्ट्रपति के रूप में वह बिना किसी डर या पक्षपात के संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करें। मैं अपने देशवासियों के साथ उन्हें शुभकामनाएं देता हूं।

इस चुनाव में मुझे अपने सर्वसम्मति के उम्मीदवार के रूप में चुनने के लिए मैं विपक्षी राजनीतिक दलों के नेताओं का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। मैं इलेक्टोरल कॉलेज के सभी सदस्यों को भी धन्यवाद देता हूं जिन्होंने मुझे वोट दिया। मैंने विपक्षी दलों के प्रस्ताव को पूरी तरह से भगवद गीता में भगवान कृष्ण द्वारा प्रचारित कर्म योग के दर्शन के अनुसार अनुसरण किया कि इसके फल की उम्मीद के बिना अपना कर्तव्य करो। मैंने अपने देश के प्रति अपने प्रेम के कारण ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाया है। मैंने अपने अभियान के दौरान जो मुद्दे उठाए थे, वे प्रासंगिक हैं।

चुनाव के परिणाम के बावजूद, मेरा मानना ​​है कि इसने भारतीय लोकतंत्र को दो महत्वपूर्ण तरीकों से लाभान्वित किया है। सबसे पहले, इसने अधिकांश विपक्षी दलों को एक साझा मंच पर लाया। यह वास्तव में समय की मांग है, और मैं उनसे ईमानदारी से अपील करता हूं कि वे वास्तव में जारी रखें, राष्ट्रपति चुनाव से परे विपक्षी एकता को और मजबूत करें। उपराष्ट्रपति के चुनाव में यह समान रूप से स्पष्ट होना चाहिए।

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