
नई दिल्ली: भारत ने वो कर दिखाया है जो दुनिया के कुछ ही देश कर पाए हैं। अब, भारत के लड़ाकू विमान उड़ते-उड़ते अपना आकार बदल सकेंगे। भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने हाई-टेक फाइटर जेट मॉर्फिंग विंग तकनीक का सफल परीक्षण किया है। इस तकनीक के इस्तेमाल से दुश्मन हमारी चाल को समझ नहीं पाएंगे। मॉर्फिंग विंग तकनीक में एक बड़ी सफलता यह है कि विमान ऑपरेशन के दौरान पल भर में अपने पंखों का आकार बदल सकते हैं। यह एक ऐसी क्षमता है जिसका परीक्षण पहले नासा, एयरबस और DARPA जैसी वैश्विक कंपनियों ने किया है। अब, भारत का अपना एविएशन इकोसिस्टम इस अत्याधुनिक तकनीक को उड़ान के लिए तैयार हार्डवेयर में लागू कर रहा है।
CSIR-नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरीज (NAL) के सहयोग से DRDO ने हवा में रियल-टाइम ज्यामितीय समायोजन का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है। इस प्रोजेक्ट में शामिल एक वरिष्ठ DRDO वैज्ञानिक के अनुसार, विमान का पंख हमेशा एक समझौता होता है। मॉर्फिंग हमें उड़ान के अलग-अलग चरणों के लिए बेहतर वायुगतिकीय दक्षता के साथ इसे फिर से बनाने की अनुमति देता है। यह विकास सिर्फ नई सामग्रियों के बारे में नहीं है। मॉर्फिंग विंग्स इस बात में एक बुनियादी बदलाव लाते हैं कि भारतीय जेट कैसे स्टील्थ, गतिशीलता और ईंधन दक्षता हासिल कर सकते हैं।
मॉर्फिंग विंग की एक अनोखी खासियत यह है कि विमान के पंख आसमान में सिर्फ एक सेकंड के हजारवें हिस्से में अपना आकार बदल सकते हैं। पंख जरूरतों के हिसाब से खुद को ढाल लेते हैं, टेक-ऑफ के दौरान अधिकतम लिफ्ट, क्रूजिंग के दौरान कम खिंचाव और लड़ाई में बेहतर गतिशीलता प्रदान करते हैं। यह तकनीक फाइटर जेट्स को ईंधन बचाने और रडार से बचने में भी मदद करती है।