
DRDO Technology Transfer: ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) की रणनीतिक पृष्ठभूमि में भारत की रक्षा वैज्ञानिक ताकत को और मज़बूती देने के लिए DRDO (Defence Research and Development Organisation) ने दो बड़ी उपलब्धियां दर्ज की हैं। महाराष्ट्र के अहिल्यानगर (VRDE, Ahmednagar) स्थित व्हीकल्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (VRDE) ने 9 अत्याधुनिक तकनीकों को 10 निजी और सार्वजनिक उद्योगों को हस्तांतरित किया है।
इसके साथ ही, दिल्ली के मेटकाफ हाउस में Quantum Technology Research Center (QTRC) की शुरुआत की गई है जो भारत को पोस्ट-क्वांटम साइबर सुरक्षा और सुरक्षित सैन्य संचार के क्षेत्र में विश्वस्तरीय बना देगा।
7 जून 2025 को VRDE में हुए एक विशेष कार्यक्रम में DRDO प्रमुख डॉ समीर वी कामत की उपस्थिति में तकनीकों के लाइसेंस सौंपे गए। इस मौके पर उन्होंने कहा: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जिन स्वदेशी प्रणालियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया, वह भारत के रक्षा उद्योग की सामूहिक क्षमता का प्रमाण हैं। हमें अगली चुनौतियों के लिए पहले से तैयारी करनी होगी।
DRDO ने COEP टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, पुणे के साथ एक MoU भी साइन किया, जिससे अनुसंधान और उच्च तकनीकी समाधान साझा रूप से विकसित किए जा सकें।
हालांकि, तकनीकों के नाम गोपनीय रखे गए हैं। सूत्रों के अनुसार इसमें ऑल-टेरेन व्हीकल सिस्टम, IED-प्रूफ प्लेटफॉर्म, हाइब्रिड व्हीकल कंट्रोल यूनिट, और इलेक्ट्रॉनिक स्टेयरिंग सॉल्यूशंस जैसी सैन्य ज़रूरतों को पूरा करने वाली टेक्नोलॉजीज़ शामिल हैं।
Quantum Technology Research Center (QTRC) का उद्घाटन DRDO प्रमुख डॉ समीर वी कामत ने किया। यह सुविधा विशेष रूप से सामरिक और रक्षा अनुप्रयोगों के लिए स्वदेशी क्वांटम क्षमताएं विकसित करने पर केंद्रित है।
QTRC भारत को Quantum Communication, Secure Satellite Links, Defence Grade Cryptography, और Post Quantum Cybersecurity जैसे क्षेत्रों में चीन, अमेरिका और यूरोप की बराबरी में ला सकता है।