ED के चीफ एसके मिश्र का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ा, केंद्र सरकार ने दिया आदेश

ईडी प्रमुख के कार्यकाल का विस्तार, कुछ दिनों पहले सरकार द्वारा जांच एजेंसियों के प्रमुखों के कार्यकाल को बढ़ाने के कार्यकारी आदेश जारी करने के बाद आया है। ईडी चीफ 18 नवम्बर 2022 को सेवानिवृत्त होने वाले थे। लेकिन एक दिन पहले उनकी सेवा को विस्तार दे दिया गया है।

Dheerendra Gopal | Published : Nov 17, 2022 4:50 PM IST / Updated: Nov 18 2022, 12:22 AM IST

ED Chief tenure extended: प्रवर्तन निदेशालय के चीफ का कार्यकाल तीसरी बार विस्तारित कर दिया गया है। ईडी चीफ एसके मिश्र को एक साल का अतिरिक्त विस्तार दिया गया है। यह उनकी नौकरी का तीसरा विस्तार है। अगले साल पर इस पद पर अपना पांचवां साल पूरा करेंगे। 

ईडी प्रमुख के कार्यकाल का विस्तार, कुछ दिनों पहले सरकार द्वारा जांच एजेंसियों के प्रमुखों के कार्यकाल को बढ़ाने के कार्यकारी आदेश जारी करने के बाद आया है। ईडी चीफ 18 नवम्बर 2022 को सेवानिवृत्त होने वाले थे। लेकिन एक दिन पहले उनकी सेवा को विस्तार दे दिया गया है। कार्मिक मंत्रालय के आदेश में बताया गया है कि 1984 बैच के आईआरएस अधिकारी संजय कुमार मिश्रा को 18 नवंबर, 2023 तक सेवा विस्तार दिया गया है। उन्हें 19 नवंबर, 2018 को दो साल की अवधि के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का निदेशक नियुक्त किया गया था। जिसके बाद 13 नवंबर 2020 को उनके दो साल के कार्यकाल को तीन साल कर दिया गया था।

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एक्सटेंशन का मामला पहले पहुंच चुका है सुप्रीम कोर्ट

जांच एजेंसी ईडी के चीफ का एक्सटेंशन पहली बार जब किया गया था तो इस आपत्ति जताते हुए मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था। 13 नवम्बर 2020 में हुए पहले एक्टेंशन के बाद सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई तो जजों ने इस मामले में हस्तक्षेप से साफ इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि सीवीसी अधिनियम कार्यकाल को दो साल तक सीमित नहीं करता है और चल रहे मामलों को खत्म करने के लिए विस्तार दिया जा सकता है।

विपक्ष ने सरकार पर किया कटाक्ष

जांच एजेंसी प्रमुखों के कार्यकाल को बढ़ाए जाने पर विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा था। कांग्रेस और टीएमसी ने कहा कि जांच एजेंसी प्रमुख जो सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं उनको पुरस्कृत करने के लिए कार्यकाल बढ़ाने का काम चल रहा है। कांग्रेस ने कहा कि सरकार ने ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो को सत्ता हड़पने और निर्वाचित सरकारों को अस्थिर करने के लिए अपने गुर्गे के रूप में इस्तेमाल किया है और उसके प्रमुखों को इसका इनाम स्वरूप कार्यकाल विस्तार दिया जा रहा है।

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