भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश DY Chandrachud ने BBC से बातचीत में भारतीय न्यायपालिका की स्वतंत्रता, व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा और संवैधानिक मामलों पर खुलकर बात की।
Ex CJI DY Chandrachud special interview: भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने BBC के 'HARDtalk' में वरिष्ठ पत्रकार स्टीफन सैकर (Stephen Sackur) से बातचीत में भारतीय न्यायपालिका की स्वतंत्रता, व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा और संवैधानिक मामलों पर खुलकर बात की। इस इंटरव्यू में राम जन्मभूमि (Ram Janmabhoomi), अनुच्छेद 370 (Article 370), नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और न्यायपालिका में वंशवाद जैसे अहम मुद्दों पर उनसे सवाल किए गए।
साक्षात्कार में जब उनसे पूछा गया कि क्या भारतीय न्यायपालिका पर वंशवाद हावी है और क्या यह मुख्य रूप से उच्च जाति के हिंदू पुरुषों का गढ़ है, तो पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने इससे असहमति जताई। उन्होंने बताया कि जिला न्यायपालिका (District Judiciary), जो न्याय प्रणाली की आधारशिला है, वहां 50% से अधिक महिला जजों की भर्ती हो रही है। कई राज्यों में यह आंकड़ा 60-70% तक पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि हायर ज्यूडिशियरी में अभी 10 साल पहले की स्थिति झलकती है, लेकिन आने वाले वर्षों में यह संतुलन बदल जाएगा।
BBC के पत्रकार ने पूछा कि क्या उनके कार्यकाल में मोदी सरकार (Modi Government) की ओर से कोई राजनीतिक दबाव था? इस पर पूर्व CJI ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) ने यह साबित कर दिया कि भारत एक बहुदलीय लोकतंत्र है। उन्होंने बताया कि राज्यों में क्षेत्रीय दलों का प्रदर्शन यह दिखाता है कि भारत एकपक्षीय शासन की ओर नहीं बढ़ रहा है।
जब उनसे राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के मानहानि मामले पर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बाद में उनकी सजा पर रोक लगा दी थी। न्यायपालिका व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए खड़ी है।
अनुच्छेद 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि संविधान में इसे 'अस्थायी और संक्रमणकालीन व्यवस्था' के रूप में परिभाषित किया गया था। क्या 75 साल एक अस्थायी प्रावधान को हटाने के लिए पर्याप्त समय नहीं है? उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल हो गई है और अब वहां एक चुनी हुई सरकार है, जो केंद्र सरकार की पार्टी से अलग है।
जब CAA (Citizenship Amendment Act) पर सवाल किया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने इसे उनके कार्यकाल में क्यों नहीं सुना, तो उन्होंने जवाब दिया कि यह मामला लंबित है और इसे उचित समय पर सुना जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर यह मामला UK में होता तो वहां की अदालत के पास इसे अमान्य करने की शक्ति ही नहीं होती। लेकिन भारत में हमारी अदालत के पास यह अधिकार है।
राम मंदिर पर सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मैं आस्था का व्यक्ति हूं लेकिन हमारा संविधान यह नहीं कहता कि एक स्वतंत्र न्यायाधीश को नास्तिक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रार्थना और ध्यान मेरे लिए आत्म-संतुलन का तरीका है, लेकिन इससे न्यायिक निष्पक्षता पर कोई असर नहीं पड़ता।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के उनके घर गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) पर आने को लेकर उठे विवाद पर उन्होंने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के बीच शिष्टाचार मिलने-जुलने से न्यायिक फैसलों पर कोई असर नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि PM की यात्रा से पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के खिलाफ कई अहम फैसले दिए थे और इसके बाद भी ऐसे फैसले आते रहे। न्यायपालिका का काम विपक्ष की भूमिका निभाना नहीं, बल्कि कानून के अनुसार न्याय देना है।
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