आईटी पर बात करते हुए प्रोफेसर ई बालागुरूसामी ने कहा कि आज हर क्षेत्र में आईटी का इस्तेमाल किया जा रहा है। चाहे वह बिजनेस हो, मेडिकल फील्ड हो या एजुकेश हो सभी जगह आईटी का बोलबाला है। हम भ्रष्टाचार की बात करते हैं लेकिन इसे दूर करने के लिए ट्रांसपेरेंसी बहुत जरूरी है। यह ट्रासंपेरेंसी आईटी से ही संभव है।
Exclusive Interview Prof. E Balagurusamy. एशियानेट न्यूज डॉयलाग में इस बार हमारे साथ हैं अन्ना यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर प्रोफेसर ई बालागुरूसामी। प्रोफेसर बालागुरूसामी का भारत ही नहीं दुनिया के ज्यादातर अकादमिक कैंपस में अच्छी तरह से जाना-पहचाना जाता है। सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग पर लिखी उनकी किताब वर्ल्डवाइड फेमस है। एक बार उनसे अंडमान निकोबर का लेफ्टिनेंट गवर्नर बनने के लिए 25 करोड़ रुपए रिश्वत की मांग की गई थी, जाने तब उन्होंने क्या किया? पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के सहयोगी रहे प्रोफेसर ई बालागुरूसामी से एशियानेट न्यूज के अनूप बालाचंद्रन ने विशेष बाततीच की। आइए जानते हैं उन्होंने और क्या-क्या कहा...
केरल का इकॉनमिक और इंडस्ट्रियल विकास
इस सवाल के जवाब में प्रोफेसर ई बालागुरूसामी ने कहा कि पिछले कुछ दशकों से भारत में तेजी से विकास हुआ है। खासकर केरल, तमिलनाडु जैसे साउदर्न स्टेट्स में बहुत सारे बदलाव हुए हैं। आर्थिक स्तर पर ही नहीं बल्कि सामाजिक स्तर पर भी बदलाव हुए हैं। पिछले 5 दशक से तेजी से विकास हो रहा है। हम सिर्फ पिछले 10 साल की बात करें तो भारत ने तेज विकास किया है और दक्षिण भारत के इन राज्यों की सड़कें, इंफ्रास्ट्रक्चर भी तेजी से डेवलप हुआ है।
कैसी है केरल में कंप्यूटर लिट्रेसी
केरल में कंप्यूटर लिट्रेसी में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। हमने 1986 में ही इसे लेकर काम करना शुरू किया था। तब एनटी रामाराव की सरकार थी और उन्होंने पूरे प्रदेश का दौरा करके देखा कि आईटी सेक्टर में क्या हो रहा है। हमने भी 1986 में केरल का विजिट किया था। तब केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश का दौरा किया और आईटी सेक्टर के डेवलपमेंट के लिए नीतियां बनीं। आज खुशी होती है कि ये प्रदेश इ-गवर्नेंस जैसी चीजों में सबसे आगे हैं।
विरोध करने वाले भी करते हैं तकनीकी का इस्तेमाल
इस सवाल के जवाब में प्रोफेसर ई बालागुरूसामी ने कहा कि निश्चित तौर पर ऐसा हुआ है। आईटी की वजह से ही प्रोडक्टिविटी बढ़ी है, क्लालिटी में सुधार हुआ है और कास्ट में भी कमी आई है। यही कारण है कि आज आईटी हर सेक्टर में बेहतरीन काम कर रहा है। हमने 30 साल पहले ही भविष्यवाणी की थी और अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। आज हम दुनिया में सबसे ज्यादा आईटी और सॉफ्टवेयर इंजीनियर तैयार कर रहे हैं।
भ्रष्टाचार दूर करने में कारगर तकनीक
आईटी पर बात करते हुए प्रोफेसर ई बालागुरूसामी ने कहा कि आज हर क्षेत्र में आईटी का इस्तेमाल किया जा रहा है। चाहे वह बिजनेस हो, मेडिकल फील्ड हो या एजुकेश हो सभी जगह आईटी का बोलबाला है। हम भ्रष्टाचार की बात करते हैं लेकिन इसे दूर करने के लिए ट्रांसपेरेंसी बहुत जरूरी है। यह ट्रासंपेरेंसी आईटी से ही संभव है। आज कोई बच्चा फर्स्ट ईयर में एडमिशन लेता है तो उसके कॉलेज से निकलने तक सब कुछ डिजिटली मौजूद रहता है। पैरेंट्स भी बच्चे की प्रोग्रेस रिपोर्ट्स आदि जानते हैं। यह सब आईटी से ही संभव हुआ है। अब बच्चे भी पैरेंट्स को चीट नहीं करते सकते क्योंकि आईटी ने सब कुछ पारदर्शी बना दिया है।
सॉफ्टवेयर के साथ हार्डवेयर भी जरूरी
जब प्रोफेसर ई बालागुरूसामी से पूछा किया कि मौजूदा हालात से कितने संतुष्ट हैं तो उन्होंने कहा कि बहुत खुशी होती है लेकिन अभी बहुत कुछ हासिल करना बाकी है। प्रोफेसर गुरूसामी ने कहा कि हम दुनिया भर के मल्टीनेशनल कंपनियों के लिए सॉफ्टवेयर इंजीनियर तैयार कर रहे हैं लेकिन हार्डवेयर की तरफ हमारा ध्यान नहीं है। मैं यह मुद्दा स्व. वाजपेयी के सामने भी उठा चुका हूं। भारत ही नहीं दुनिया भर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर मेरी किताब पढ़ते हैं लेकिन मेरा मानना है कि सॉफ्टवेयर के साथ हार्डवेयर पर भी फोकस करना चाहिए। आज हम अपने बेस्ट ब्रेन को सॉफ्टवेयर इंजीनियर बना रहे हैं और यह गलत है। स्कूल से लेकर कॉलेज तक शिक्षा का पैटर्न बदलने की जरूरत है।
ब्रेन ड्रेन के बारे में क्या कहा
प्रोफेसर ई बालागुरूसामी ने कहा कि आज जब हम देखते हैं दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों को भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स चला रहे हैं तो बड़ी चर्चा होती है लेकिन मैं इससे खुश नहीं हूं। मैं चाहता हूं कि वे इंडिया में रहें और भारत के लिए कुछ करें। आजादी के 70 साल बाद भी हम विकासशील देश कहे जाते हैं। मेरा मानना है कि भारत की सबसे बड़ी समस्या आज भी ब्रेन ड्रेन है। भारत की जनसंख्या, भारत की भौगोलिक स्थिति, भारत के प्राकृतिक संसाधन सब कुछ दुनिया से ज्यादा हैं लेकिन हम विकासशील ही बने हुए हैं क्योंकि हम अपने लोगों के लिए इन रिसोर्सेज का सही इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। यह सिर्फ एटीट्यूट बदलने की जरूरत है। बच्चों में शुरू से ही देशभक्ति की भावना बढ़ानी चाहिए तभी यह संभव हो पाएगा।
हम सुपर पावर क्यों नहीं हैं
जब उनसे पूछा गया कि हम स्पेस से लेकर आईटी सब जगह लीड कर रहे हैं फिर भी सुपर पावर नहीं है। इस पर प्रोफेसर ई बालागुरूसामी ने कहा कि हम कुछ क्षेत्रों में तो बहुत अच्छा कर रहे हैं। जैसे पिछले 15 साल में भारत में रोड इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत अच्छा हुआ, बिल्डिंगें बन रही हैं लेकिन इसका कोई मतलब नहीं है, जब तक कि हम सभी क्षेत्र में बेहतर न करें।
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी कितनी जरूरी
प्रोफेसर ई बालागुरूसामी नेशनल एजुकेशन पॉलिसी की वकालत करते हैं लेकिन केरल और तमिलनाडु इसे मानने को तैयार नहीं हैं। इस उन्होंने कहा कि यह सिर्फ राजनीतिक मसला है। यह कोई आईडियोलॉजिक मुद्दा नहीं है। एजुकेशन पॉलिसी मतलब एजुकेशन के लिए है सिर्फ। हमारे पास रिसर्च की बेहद कमी है, इनोवेशन की बेहद कमी है। यह पॉलिसी प्राइमरी, हायर एजुकेशन को लेकर बनाई गई है और इसका इस्तेमाल सिर्फ एजुकेशन के लिए है। बाकी सारी चीजें काल्पनिक हैं। नई एजुकेशन पॉलिसी इन्हीं एरिया को बेहतर बनाने के लिए है कि कैसे बेरोजगारी दूर हो, कैसे रिसर्च, इनोवेशन को बढ़ावा मिले।
लेफ्टिनेंट गवर्नर के लिए हुई रिश्वत की मांग
प्रोफेसर ई बालागुरूसामी से जब पूछा गया कि क्या अंडमान निकोबार के लेफ्टिनेंट गवर्नर और गोवा का गवर्नर बनने के लिए आपसे रिश्वत की मांग की गई थी। तब उन्होंने कहा कि जी हां बिल्कुल की गई थी। प्रोफेसर ई बालागुरूसामी ने बताया कि 2010 की बात है तब वे यूपीएससी के सदस्य थे और उस वक्त पीएम मनमोहन सिंह थे। सरकार के पास एक लिस्ट होती है जिसमें गवर्नर और लेफ्टिनेंट गवर्नर के संभावितों के नाम होते हैं। उस वक्त एक नेता आए और कहा कि अंडमान निकोबार का लेफ्टिनेंट गवर्नर बनने के लिए संभावितों की लिस्ट में आपका नाम है तो क्या आप स्वीकार करेंगे। प्रोफेसर ई बालागुरूसामी ने कहा कि ऑफर मिलेगा तो जरूर स्वीकार करेंगे। तब उन नेता ने कहा कि इसमें कुछ ट्रिक है और हाइकमान से नाम पास कराने के लिए 25 करोड़ देने होंगे। ऐसे ही गोवा के गवर्नर के लिए 10 करोड़ देने होंगे। प्रोफेसर ई बालागुरूसामी ने कहा कि नेता ने यह भी कहा कि यह पैसा आपको स्पांसर कर दिया जाएगा बस आपको उनके कुछ प्रोजेक्ट्स पास करने होंगे। इसके बाद प्रोफेसर ई बालागुरूसामी ने दोनों पद के लिए मना कर दिया।
एपीजे अब्दुल कलाम के साथ का अनुभव
प्रोफेसर ई बालागुरूसामी ने कहा कि एपीजे अब्दुल कलाम से मैं हैदराबाद में मिला और तब उन्होंने कहा कि बाला मैंने तुम्हारी किताब पढ़ी है। वह किताब मैंने 1984 में लिखी थी। कलाम साहब का यह कहना मेरे लिए गर्व की बात थी। उन्होंने अपने स्पेस रिसर्च में मेरी किताब का इस्तेमाल किया। हम एक साथ रहे, एक साथ खाना खाया, मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि वे बहुत बड़े देशभक्त और ग्रेट ह्यूमन बीइंग थे।
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