किसान आंदोलन: पहले दौर की बातचीत बेनतीजा, किसान बोले- कुछ तो हासिल करेंगे चाहे गोली या शंतिपूर्ण हल

कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन जारी है। दिल्ली बॉर्डर पर किसान डेरा डाले बैठे हुए हैं। वे दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देने पर अड़े हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ बातचीत से समस्या के समाधान के लिए सरकार के बुलावे पर 35 किसान संगठनों के नेता विज्ञान भवन में बातचीत के लिए पहुंचे। सरकार की ओर से किसानों से एक समिति बनाने का प्रस्ताव दिया गया जिसे किसानों ने मानने से इंकार कर दिया। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 1, 2020 1:56 AM IST / Updated: Dec 01 2020, 08:56 PM IST

नई दिल्ली. कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन जारी है। दिल्ली बॉर्डर पर किसान डेरा डाले बैठे हुए हैं। वे दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देने पर अड़े हुए हैं। किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी बात नहीं सुनी गई तो दिल्ली को पड़ोसी राज्यों से कनेक्ट करने वाली सभी सड़कों को बंद कर देंगे। वहीं दूसरी तरफ बातचीत से समस्या के समाधान के लिए सरकार के बुलावे पर 35 किसान संगठनों के नेता विज्ञान भवन में बातचीत के लिए पहुंचे। सरकार की ओर से किसानों से एक समिति बनाने का प्रस्ताव दिया गया जिसे किसानों ने मानने से इंकार कर दिया। किसानो और सरकार के बीच चल रही बातचीत बेनतीजा रही, जिसके बाद किसानों ने आंदोलन जारी रखने का फैसला किया है। अब फिर से 3 दिसंबर को बैठक होगी।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बैठक अच्छी रही और हमने तय किया है कि तीन दिसंबर को फिर से बातचीत होगी। हम चाहते हैं कि किसान एक छोटा समूह बनाएं लेकिन किसान नेताओं का मानना है कि सभी के साथ बातचीत होनी चाहिए। हमें इससे कोई समस्या नहीं है।

वहीं किसानों के प्रतिनिधिमंडल सदस्य चंदा सिंह ने कहा कि कृषि कानून के खिलाफ हमारा आंदोलन जारी रहेगा। और हम सरकार से कुछ न कुछ वापस जरूर लेकर जाएंगे, चाहे वह गोली हो या फिर शांतिपूर्ण हल। हम फिर से उनके पास चर्चा के लिए आएंगे। 

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सरकार की तरफ से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर रहे। उनके साथ वाणिज्य मंत्री सोमप्रकाश और रेल मंत्री पीयूष गोयल मौजूद रहे।

किसानों के मुद्दे को लेकर सरकार और किसान नेताओं के बीच बैठक हुई। किसानों के 35 प्रतिनिधि इस बैठक में शामिल होने के लिए विज्ञान भवन पहुंचे। ऐसी उम्मीद जताई जा रही थी कि इस बैठक से जरूर कोई सकारात्मक हल निकलेगा।

पहले 32, नाराजगी के बाद 35 संगठन बात के लिए राजी
पहले 32 किसान संगठनों से बात होनी थी, लेकिन नाराजगी के बाद 4 और संगठन जोड़ दिए गए। इसमें पंजाब के 32 किसान संगठन, हरियाणा के प्रतिनिधि, AIKSCC के योगेंद्र यादव और उत्तर प्रदेश के एक-एक नेता शामिल हुए।

वहीं दूसरी तरफ किसानों से बातचीत से पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पर गृह मंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की बैठक हुई। बैठक में बातचीत के लिए मुद्दों और बीच का रास्ता निकालने पर चर्चा हुई। 

सिर्फ पंजाब के किसानों से बातचीत पर जताया विरोध? 
मंगलवार को सरकार ने किसानों के 32 संगठनों को बातचीत के लिए बुलाया था। यह सभी संगठन पंजाब के किसानों के हैं। इन्हीं संगठनों से इससे पहले भी बातचीत हुई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, किसानों में इस बात से नाराजगी थी कि सिर्फ 32 किसान संगठनों को बातचीत के लिए क्यों बुलाया है। किसानों का कहना है कि यह आंदोलन सिर्फ पंजाब के किसानों का नहीं बल्कि पूरे देश के किसानों का है। कृषि कानूनों के विरोध में देशभर के 500 किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में किसानों की नाराजगी थी कि सिर्फ 32 संगठनों को ही बातचीत के लिए क्यों बुलाया गया?

आज भी हरियाणा- दिल्ली के 2 बॉर्डर बंद
हरियाणा से लगे दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर को पुलिस ने लगातार दूसरे दिन भी बंद रखा है। दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिल्ली से हरियाणा आवाजाही के लिए झारोदा, धनसा, दौराला, कापसहेड़ा, बिजवासन, पालम विहार से मूवमेंट कर सकते हैं। ये बॉर्डर खुले हुए हैं। 

3 बजे किसान और सरकार के बीच बात
कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने 1 दिसंबर को दोपहर 3 बजे विज्ञान भवन में किसान यूनियन की बैठक बुलाई। जिन यूनियनों ने पहले दौर की वार्ता में भाग लिया था, उन्हें मंगलवार को वार्ता के लिए आमंत्रित किया गया है।

दिल्ली पुलिस ने दर्ज की है एफआईआर
किसान आंदोलन के दौरान सिंघु बॉर्डर पर हुई झड़प पर दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। पुलिस ने दंगा करने से लेकर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने सहित कई धाराए लगाई है। एफआईआर अज्ञात लोगों के खिलाफ लगाई गई है। 

किसानों के समर्थन में उतरे वामपंथी दल
वामपंथी दल भी किसानों के समर्थन में उतर चुके हैं। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने एक बयान जारी कर लेफ्ट संगठनों को एकजुट होने और किसान आंदोलन को समर्थन देने की आह्वान किया है। 

3 कानून कौन से हैं, जिसका किसान विरोध कर रहे हैं

1- किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020  (The Farmers Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill 2020)

अभी क्या व्यवस्था- किसानों के पास फसल बेचने के ज्यादा विकल्प नहीं है। किसानों को एपीएमसी यानी कृषि उपज विपणन समितियों  में फसल बेचनी होती है। इसके लिए जरूरी है कि फसल रजिस्टर्ड लाइसेंसी या राज्य सरकार को ही फसल बेच सकते हैं। दूसरे राज्यों में या ई-ट्रेडिंग में फसल नहीं बेच सकते हैं।

नए कानून से क्या फायदा- 
1- नए कानून में किसानों को फसल बेचने में सहूलियत मिलेगी। वह कहीं पर भी अपना अनाज बेच सकेंगे। 
2- राज्यों के एपीएमसी के दायरे से बाहर भी अनाज बेच सकेंगे। 
3- इलेक्ट्रॉनिग ट्रेडिंग से भी फसल बेच सकेंगे। 
4- किसानों की मार्केटिंग लागत बचेगी। 
5- जिन राज्यों में अच्छी कीमत मिल रही है वहां भी किसाने फसल बेच सकते हैं।
6- जिन राज्यों में अनाज की कमी है वहां भी किसानों को फसल की अच्छी कीमत मिल जाएगी।

2- किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill 2020)

अभी क्या व्यवस्था है- यह कानून किसानों की कमाई पर केंद्रित है। अभी किसानों की कमाई मानसून और बाजार पर निर्भर है। इसमें रिस्क बहुत ज्यादा है। उन्हें मेहनत के हिसाब से रिटर्न नहीं मिलता। 

नए कानून से क्या फायदा- 
1- नए कानून में किसान एग्री बिजनेस करने वाली कंपनियों, प्रोसेसर्स, होलसेलर्स, एक्सपोर्टर्स और बड़े रिटेलर्स से एग्रीमेंट कर आपस में तय कीमत में फसल बेच सकेंगे। 
2- किसानों की मार्केटिंग की लागत बचेगी। 
3- दलाल खत्म हो जाएंगे।
4- किसानों को फसल का उचित मूल्य मिलेगा।
5- लिखित एग्रीमेंट में सप्लाई, ग्रेड, कीमत से संबंधित नियम और शर्तें होंगी। 
6- अगर फसल की कीमत कम होती है, तो भी एग्रीमेंट के तहत किसानों को गारंटेड कीमत मिलेगी। 

3- आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020 (The Essential Commodities (Amendment) Bill 

अभी क्या व्यवस्था है- अभी कोल्ड स्टोरेज, गोदामों और प्रोसेसिंग और एक्सपोर्ट में निवेश कम होने से किसानों को लाभ नहीं मिल पाता। अच्छी फसल होने पर किसानों को नुकसान ही होता है। फसल जल्दी सड़ने लगती है।

नए कानून से क्या फायदा-  
1- नई व्यवस्था में कोल्ड स्टोरेज और फूड सप्लाई से मदद मिलेगी जो कीमतों की स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी। 
2- स्टॉक लिमिट तभी लागू होगी, जब सब्जियों की कीमतें दोगुनी हो जाएंगी।  
3- अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाया गया है। 
4- युद्ध, प्राकृतिक आपदा, कीमतों में असाधारण वृद्धि और अन्य परिस्थितियों में केंद्र सरकार नियंत्रण अपने हाथ में ले लेगी।

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