आंदोलन का 28वां दिन: हम आज ही सरकार के पत्र का जवाब देंगे, लेकिन हमें पता है कि उनके मन में खोट है

सिंघु (दिल्ली-हरियाणा) बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, जो चिट्ठी सरकार ने भेजी है आज उसका जवाब दिया जाएगा। हम 24 घंटे बात करने के लिए तैयार हैं लेकिन वे बात नहीं करना चाहते क्योंकि उनके मन में खोट है।
 

Asianet News Hindi | Published : Dec 23, 2020 5:35 AM IST / Updated: Dec 23 2020, 11:10 AM IST

नई दिल्ली. कृषि कानूनों पर विरोध प्रदर्शन करते हुए 27 दिन बीत चुके हैं आज 28वां दिन है। सरकार ने रविवार को किसानों से बातचीत के लिए पत्र भेजा था। लेकिन 2 दिन बाद भी किसान उसपर फैसला नहीं ले पाए हैं। वहीं राजनाथ सिंह ने किसान दिवस के मौके पर ट्वीट कर कहा, आज किसान दिवस के अवसर मैं देश के सभी अन्नदाताओं का अभिनंदन करता हूं। उन्होंने देश को खाद्य सुरक्षा का कवच प्रदान किया है। कृषि कानूनों को लेकर कुछ किसान आंदोलनरत हैं। सरकार उनसे पूरी संवेदनशीलता के साथ बात कर रही है। मैं आशा करता हूं कि वे जल्द ही अपने आंदोलन को वापिस लेगें। 

वे बात नहीं करना चाहते, क्योंकि उनके मन में खोट
सिंघु (दिल्ली-हरियाणा) बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, जो चिट्ठी सरकार ने भेजी है आज उसका जवाब दिया जाएगा। हम 24 घंटे बात करने के लिए तैयार हैं लेकिन वे बात नहीं करना चाहते क्योंकि उनके मन में खोट है।

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कृषि कानूनों के खिलाफ टिकरी बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। एक प्रदर्शनकारी ने बताया,किसान दिवस पर मैं मोदी सरकार को एक ही बात बोलना चाहता हूं कि कृषि कानूनों को वापस लेकर हमें आज ये गिफ्ट में दें क्योंकि अबका किसान पढ़ा-लिखा है उन्हें इस कानूनों के बारे में पता है।

कांग्रेस ताली और थाली बजाकर करेगी प्रदर्शन
किसानों के समर्थन में कांग्रेस आज उत्तर प्रदेश में भाजपा नेताओं के दफ्तरों और घरों का घेराव करेगी और ताली और थाली बजाकर प्रदर्शन करेंगे। 

3 कानून कौन से हैं, जिसका किसान विरोध कर रहे हैं

1- किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) कानून, 2020  (The Farmers Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill 2020)
पहले क्या व्यवस्था-
किसानों के पास फसल बेचने के ज्यादा विकल्प नहीं था। किसानों को एपीएमसी यानी कृषि उपज विपणन समितियों  में फसल बेचनी होती थी। इसके लिए जरूरी था कि फसल रजिस्टर्ड लाइसेंसी या राज्य सरकार को ही फसल बेच सकते थे। दूसरे राज्यों में या ई-ट्रेडिंग में फसल नहीं बेच सकते थे।
नए कानून से क्या फायदा- 
1- नए कानून में किसानों को फसल बेचने में सहूलियत मिलेगी। वह कहीं पर भी अपना अनाज बेच सकेंगे। 
2- राज्यों के एपीएमसी के दायरे से बाहर भी अनाज बेच सकेंगे। 
3- इलेक्ट्रॉनिग ट्रेडिंग से भी फसल बेच सकेंगे। 
4- किसानों की मार्केटिंग लागत बचेगी। 
5- जिन राज्यों में अच्छी कीमत मिल रही है वहां भी किसाने फसल बेच सकते हैं।
6- जिन राज्यों में अनाज की कमी है वहां भी किसानों को फसल की अच्छी कीमत मिल जाएगी।

2- किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं कानून, 2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill 2020)
पहले क्या व्यवस्था थी-
यह कानून किसानों की कमाई पर केंद्रित था। किसानों की कमाई मानसून और बाजार पर निर्भर था। इसमें रिस्क बहुत ज्यादा था। उन्हें मेहनत के हिसाब से रिटर्न नहीं मिलता था। 
नए कानून से क्या फायदा- 
1- नए कानून में किसान एग्री बिजनेस करने वाली कंपनियों, प्रोसेसर्स, होलसेलर्स, एक्सपोर्टर्स और बड़े रिटेलर्स से एग्रीमेंट कर आपस में तय कीमत में फसल बेच सकेंगे। 
2- किसानों की मार्केटिंग की लागत बचेगी। 
3- दलाल खत्म हो जाएंगे।
4- किसानों को फसल का उचित मूल्य मिलेगा।
5- लिखित एग्रीमेंट में सप्लाई, ग्रेड, कीमत से संबंधित नियम और शर्तें होंगी। 
6- अगर फसल की कीमत कम होती है, तो भी एग्रीमेंट के तहत किसानों को गारंटेड कीमत मिलेगी। 

3- आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) कानून, 2020 (The Essential Commodities (Amendment) Bill 
पहले क्या व्यवस्था थी-
अभी कोल्ड स्टोरेज, गोदामों और प्रोसेसिंग और एक्सपोर्ट में निवेश कम होने से किसानों को लाभ नहीं मिल पाता था। अच्छी फसल होने पर किसानों को नुकसान ही होता था। फसल जल्दी सड़ने लगती थी।
नए कानून से क्या फायदा-  
1- नई व्यवस्था में कोल्ड स्टोरेज और फूड सप्लाई से मदद मिलेगी जो कीमतों की स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी। 
2- स्टॉक लिमिट तभी लागू होगी, जब सब्जियों की कीमतें दोगुनी हो जाएंगी।  
3- अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाया गया है। 
4- युद्ध, प्राकृतिक आपदा, कीमतों में असाधारण वृद्धि और अन्य परिस्थितियों में केंद्र सरकार नियंत्रण अपने हाथ में ले लेगी।
 

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