अमेरिका में जब कोरोना पीक पर था, तब भारत ने उसकी मदद की थी। इसी का आभार जताते हुए अमेरिका ने कहा है कि वो भारत की मदद करना चाहेगा। यह बात शुक्रवार को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के अमेरिका दौरे पर हैं कही। दोनों देश वैक्सीन के उत्पादन पर भी मिलकर काम करेगा। भारत और अमेरिका ने चीन सीमा विवाद, म्यांमार में तख्तापलट और अफगानिस्तान के मुद्दे पर भी बात हुई। लेकिन सबसे अधिक फोकस कोरोना से निपटने पर रहा।
वाशिंगटन डीसी, अमेरिका. कोरोना संकट के पीक में भारत से मिली मदद को लेकर अमेरिका ने प्रशंसा की है। साथ ही कहा है कि अब वो भी भारत मदद करना चाहेगा, क्योंकि उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। यह बात शुक्रवार को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के अमेरिकी दौरे पर हैं कही। दोनों देश वैक्सीन के उत्पादन पर भी मिलकर काम करेगा। भारत और अमेरिका ने चीन सीमा विवाद, म्यांमार में तख्तापलट और अफगानिस्तान के मुद्दे पर भी बात हुई। लेकिन सबसे अधिक फोकस कोरोना से निपटने पर रहा। बता दें कि जनवरी में बाइडेन के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत के किसी कैबिनेट मंत्री का यह पहला दौरा है। इसलिए माना जा रहा है कि यह दौरा दोनों देशों के रिश्तों के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगा।
वैक्सीन पर मिलकर काम करेंगे दोनों देश
वाशिंगटन डीसी में विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा-राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि यूएस कुछ वैक्सीन भेजना चाहेगा। हमने भी वैक्सीन आयात करने और US FDA द्वारा क्लियर की गईं वैक्सीन को स्वीकार करने की इच्छा जाहिर की है। इस संभावना पर चर्चा हुई लेकिन ये फैसला प्रशासन को लेना है। इस दौरे का मकसद यहां आकर यूएस द्वारा भारत में दूसरी वेव के दौरान दिखाई गई एकजुटता की प्रशंसा करना और वैक्सीन उत्पादन में यूएस के साथ काम करना है।
चीन विवाद और अन्य मुद्दों पर भी बातचीत हुई
विदेश मंत्री जयशंकर ने सोशल मीडिया के जरिये ब्लिंकेन से हुई मुलाकात के बारे में बताया। इस दौरान चीन सीमा विवाद, म्यांमार में तख्तापलट और अफगानिस्तान के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। लेकिन मुख्य फोकस कोरोना से निपटने मिलकर वैक्सीन उत्पादन करने पर रहा। विदेश मंत्री ने अमेरिका राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवान और डिफेंस सेक्रेटरी लॉयड ऑस्टिन से भी मुलाकात की थी। बताया जाता है कि ऑस्टिन और जयशंकर के बीच हुई बातचीत का मुख्य बिंदु दक्षिण एशिया, खासतौर पर अफगानिस्तान था। वहीं, हिंद और प्रशांत महासागर में चीन की बढ़ती घुसपैठ भी चर्चा हुई।