संसद सत्रः हंगामे के आसार के बीच नागरिकता संशोधन समेत 35 बिलों को पारित कराना मोदी सरकार के लिए चुनौती

केंद्र सरकार इस सत्र में करीब 35 विधेयकों को पारित कराना चाहती है। इन विधेयकों में विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 भी शामिल है। मौजूदा समय में संसद में 43 विधेयक लंबित हैं।  इसमें 20 बैठकें होंगी।  इस सत्र में कई मुद्दों पर हंगामा होने के आसार हैं।

नई दिल्ली. संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार यानी 18 नवंबर से शुरू हो रहा है जो 13 दिसंबर को चलेगा। केंद्र सरकार इस सत्र में करीब 35 विधेयकों को पारित कराना चाहती है। इन विधेयकों में विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 भी शामिल है। मौजूदा समय में संसद में 43 विधेयक लंबित हैं।  इसमें 20 बैठकें होंगी।  इस सत्र में कई मुद्दों पर हंगामा होने के आसार हैं। जिसमें आर्थिक सुस्ती, किसानों की समस्या, जेएनयू में विरोध प्रदर्शन, उन्नाव और लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला की हिरासत का मामला अहम है। जिस पर विपक्ष सरकार को घेर सकता है। कांग्रेस की मांग है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम को सत्र में हिस्सा लेने की इजाजत मिलनी चाहिए मौजूदा सत्र में इस पर भी हंगामा होने के आसार हैं। 

संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार ने जिन विधेयकों को पास करने को लेकर मंजूरी प्रदान की है उनकी सूची में नागरिकता संशोधन विधयेक 2019 को 16 वें नंबर पर रखा गया है। आपको बता दें कि देशभर में राष्ट्रीय नागरिकता पंजीकरण को लेकर आगे कोई भी अभियान चलाने के लिए बीजेपी सरकार के लिए इस विधेयक को पास करवाना जरूरी है। इससे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान इस पर पूर्वोत्तर के राज्यों में कड़ा विरोध होने के मद्देनजर विधेयक को पास करवाने पर जोर नहीं दिया गया और पिछली लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के साथ विधेयक खारिज हो गया। 

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नागरिकता संशोधन विधेयक पर सरकार का जोर 

मोदी सरकार 2.0 में पिछली बार से ज्यादा बड़ा जनादेश के साथ दोबारा सत्ता में आई बीजेपी इसलिए सरकार इस बार नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद में पास करवाने की कोशिश करेगी। इस विधेयक से मुस्लिम आबादी बहुल पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आने वाले गैर-मुस्लिम अप्रवासियों के लिए भारत की नागरिकता लेना आसान हो जाएगा। हालांकि विधेयक में इसे स्पष्ट नहीं किया गया है लेकिन इसके तहत ऐसा प्रावधान किया गया है कि इन देशों में अत्याचार सह रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं और इसमें मुस्लिम को शामिल नहीं किया गया है। इस विधेयक में नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन किया गया। नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुसार, भारत की नागरिकता के लिए आवेदक का पिछले 14 साल में 11 साल तक भारत में निवास करना जरूरी है लेकिन संशोधन में इन तीन देशों से आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, और ईसाई समुदाय के लोगों के लिए इस 11 साल की अवधि को घटाकर छह साल कर दिया गया है। 

संसद में लंबित हैं 43 विधेयक 

आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक चिटफंड संशोधन विधेयक 2019 उन 12 लंबित विधेयकों में शामिल है, जिन्हें संसद में चर्चा कर पारित करवाने के लिए सूचीबद्ध किया गया है। फिलहाल संसद में 43 विधेयक लंबित हैं, इनमें से 27 विधेयक पेश करने, विचार करने और पारित करने के लिए लिस्टेड किए गए हैं जबकि सात विधेयक वापस लिए जाने हैं। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण चिटफंड अधिनियम 1982 में संशोधन के लिए विधेयक लाएंगी जिस पर विचार करने के बाद उसे पारित करवाने की कोशिश रहेगी।
 

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