From the india gate: इधर सरकार ने खोज लिया 'लाल डायरी' का इलाज, उधर गली-मोहल्लों के PK ने डुबोई पार्टी की लुटिया

सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ घटता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' का 36वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है पॉलिटिक्स की दुनिया के कुछ ऐसे ही चटपटे और मजेदार किस्से।

From The India Gate: सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का 36वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है, सत्ता के गलियारों से कुछ ऐसे ही मजेदार और रोचक किस्से।

तो क्या सरकार ने खोज लिया है लाल डायरी का इलाज?

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राजस्थान में इन दिनों कांग्रेस सरकार से बर्खास्त पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा की लाल डायरी चर्चा में है। 2-3 दिन पहले गुढ़ा ने इस डायरी के 3 पेज सार्वजनिक किए थे, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। पूर्व मंत्री ने पहला बाउंसर मुखिया जी के बेटे के खिलाफ ही चला दिया। अब लोगों को अगले शॉट का इंतजार है। कई नेता परेशान हैं। कुछ का कहना है- यह एक मामूली डायरी है, लेकिन इसको लेकर सरकार टेंशन में दिख रही है। तभी तो सरकार ने इस डायरी का हल निकाल लिया है। कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में राजेंद्र गुढ़ा की लाल डायरी राजस्थान की राजनीति में धमाल नहीं मचा सकेगी। गुढ़ा के पास जो आखिरी दांव था, उसको निष्क्रिय करने की तैयारी सरकार ने शुरू कर दी है।

From The India Gate: कहीं सरेआम 'बगावत' तो कहीं टूटती दिख रही नेताजी की ‘उम्मीद’

चांडी के बहाने टूर पैकेज वालों की मौज..

केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी का निधन हुए तीन हफ्ते बीत चुके हैं, लेकिन मानवता के हित में किए गए उनके काम अब भी लोगों के दिल-ओ-दिमाग पर छाए हुए हैं। यही वजह है कि वर्किंग डेज में भी श्रद्धांजलि देने के लिए उनकी कब्र पर आम लोगों का हुजूम उमड़ रहा है। पूरे केरल से सैकड़ों लोग सुबह से शाम तक उनकी समाधि पर श्रद्धांजलि देने पहुंच रहे हैं। कुछ लोग उन्हें मौन धन्यवाद देते हैं तो वहीं ज्यादातर लोग उनकी आभा से आकर्षित होकर पहुंच रहे हैं। बड़ी संख्या में लोगों का हुजूम देखते हुए तिरुवनंतपुरम के एक टूर ऑपरेटर ने कोट्टायम जिले के पुथुपल्ली में चांडी की कब्र पर जाने के लिए एक टूर पैकेज लॉन्च किया है। पुथुपल्ली में चांडी की कब्र तक ​​कि यात्रा के इस कार्यक्रम के साथ दो दिन का पैकेज भी है, जिसमें आसपास के चर्चों में भी घुमाया जाएगा। दिलचस्प बात ये है कि टूर पैकेज में जाने वाले किसी भी शख्स को दिए जाने वाले सामानों की लिस्ट में कब्र पर जलाई जाने वाली मोमबत्तियां और सम्मान देने के लिए फूल आदि भी शामिल हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही दूसरे टूर ऑपरेटर भी चांडी के चाहनेवालों को पुथुपल्ली चर्च ले जाने का प्रयास करेंगे।

गली-मोहल्लों के PK..

ज्योतिषियों के उलट, एक चुनाव विश्लेषक चुनाव की दिशा की भविष्यवाणी करने के लिए जमीनी संकेतों को पढ़ता है। वहीं, नेता लोगों से जुड़े रहने के अपने कौशल की बजाय चुनाव विज्ञान पर अधिक भरोसा करता है। ऐसे कई राजनीतिक वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने इस संभावना पर विचार किया है। लेकिन इनमें से कई लोकल पीके (PK जो सबसे अधिक डिमांड वाले प्रशांत किशोर का शॉर्ट नेम है) के पास चुनाव विज्ञान की वैज्ञानिक समझ बहुत कम या शून्य के बराबर है। इनमें से ज्यादातर सिर्फ हवा में उड़ रही बातों को ध्यान में रखते हुए किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचते हैं, जो निश्चित रूप से उन चीजों से बहुत दूर है, जो वोटर्स के मन में चल रहा होता है। हालांकि, हाल ही में चुनाव हारने वाले ये बीजेपी लीडर इस तथ्य की पुष्टि जरूर करेंगे कि गणितीय सूत्रों और जातिगत समीकरणों से सजी किसी भी भविष्यवाणी पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। सलाह देने के लिए उनके पास 10 PK की एक टीम थी। उन सभी ने कम अंतर से ही सही लेकिन भाजपा की जीत की भविष्यवाणी की थी। हालांकि, चुनाव नतीजों ने सभी को गलत साबित कर दिया। दिलचस्प बात ये है कि उन सभी के पास यह बताने के लिए बहानों की एक ही लिस्ट थी कि उनकी भविष्यवाणियां गलत क्यों हुईं। और इस लिस्ट में सीएम उम्मीदवार की प्रोफाइल से लेकर आखिरी मिनट में वोटरों का यू-टर्न लेना तक शामिल है। इनमें से किसी भी PK को कभी भी ये कहते हुए नहीं सुना गया कि `माफ करें, हमसे गलती हो गई।'

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