Year Ender 2021: युद्धपोत विशाखापट्टनम से लेकर पनडुब्बी वेला तक, Indian Navy को मिले ये घातक हथियार

 हिंद महासागर में चीनी नौ सेना की बढ़ती उपस्थिति की चुनौतियों के बीच 2021 में भारतीय नौ सेना को कई ऐसे हथियार मिले हैं, जिससे इसकी क्षमता में काफी इजाफा हुआ है।

Asianet News Hindi | Published : Dec 21, 2021 1:52 AM IST / Updated: Dec 21 2021, 07:28 AM IST

नई दिल्ली। वर्ष 2021 समाप्त होने को है। यह साल भारतीय नौ सेना (Indian Navy) के लिए काफी खास रहा है। हिंद महासागर में चीनी नौ सेना की बढ़ती उपस्थिति की चुनौतियों के बीच भारतीय नौ सेना को कई ऐसे हथियार मिले हैं, जिससे इसकी क्षमता में काफी इजाफा हुआ है। युद्धपोत आईएनएस विशाखापत्तनम (INS Visakhapatnam) से लेकर पनडुब्बी आईएनएस वेला (INS Vela) तक इसमें शामिल हैं।

आईएनएस विशाखापत्तनम
आईएनएस विशाखापत्तनम 21 नवंबर 2021 को भारतीय नौ सेना में शामिल हुआ। इसे आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 75 फीसदी स्वदेशी उपकरणों से बनाया गया है। इसके शामिल होने से नौ सेना की ताकत काफी बढ़ गई है। यह एक स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर है। इसे इस तरह बनाया गया है कि दुश्मन की नजर में आए बिना उसपर प्रहार कर सके। समुद्र में मौजूद दूसरे युद्धपोत या फिर जमीन पर स्थित टारगेट को नष्ट करने के लिए आईएनएस विशाखापट्टनम 16 ब्रह्मोस मिसाइल से लैस है। इसमें एलएंडटी कंपनी के टॉरपीडो ट्यूब लॉन्चर, एंटी सबमरीन रॉकेट लॉन्चर और बीएचईएल की 76 एमएम सुपर रैपिड गन लगे हैं। हवाई हमले से बचने के लिए आईएनएस विशाखापट्टनम 32 बराक 8 मिसाइल से लैस है। भारत और इजराइल द्वारा मिलकर बनाया गया बराक मिसाइल सतह से हवा में मार करता है। इसे हमला करने आ रहे विमान, हेलिकॉप्टर, एंटी शिप मिसाइल, ड्रोन, बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और लड़ाकू विमान को नष्ट करने के लिए बनाया गया है।

आईएनएस वेला
आईएनएस वेला स्कॉर्पिन क्लास की पनडुब्बी है। इसे 25 नवंबर 2021 को भारतीय नौ सेना में शामिल किया गया था। 75 मीटर लंबी इस पनडुब्बी को साइलेंट कीलर कहा जाता है। यह समुद्र के अंदर 37 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चल सकती है। दुश्मन के जहाज या पनडुब्बी पर हमला करने के लिए वेला के पास 18 टॉरपीडो हैं। यह दुश्मन के जहाजों को तबाह करने के लिए समुद्र में बारूदी सुरंग भी बिछा सकती है। यह अपने साथ 18 टॉरपीडो या एंटी शिप मिसाइल और 30 माइंस लेकर चलती है। यह समुद्र के ऊपर 15 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से एक बार में 12 हजार किलोमीटर की यात्रा कर सकती है। पानी के अंदर यह 7.4 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से 1020 किलोमीटर की यात्रा कर सकती है।

MH-60R रोमियो मल्टी-रोल हेलिकॉप्टर
भारत ने अमेरिका से 2020 में 24 MH-60R रोमियो मल्टी-रोल हेलिकॉप्टर खरीदने का सौदा किया था। जून 2021 में पहला दो हेलिकॉप्टर भारतीय नौ सेना में शामिल हुआ। समुद्र की सतह पर लड़ाई हो या पानी के नीचे, यह हेलिकॉप्टर हर तरह के ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है। तीन क्रू मेंबर वाले इस हेलिकॉप्टर में पांच लोग सवार हो सकते हैं। इसका इस्तेमाल युद्धपोत पर सामान लाने और ले जाने में होता है। जंग के दौरान यह पानी के अंदर छिपी पनडुब्बियों और सतह पर मौजदू जहाजों के खिलाफ घातक वार करता है। पानी के अंदर हमला करने के लिए इसके पास MK46 और MK50 टॉरपीडो हैं। सतह पर मौजूद जहाज के खिलाफ यह AGM-119 Penguin missile और AGM- 114 हेल्लफायर मिसाइल इस्तेमाल करता है। इसके साथ ही यह Mk44 तोप से भी लैस है।  

P8I विमान
समुद्री इलाके की निगरानी के लिए भारतीय नौ सेना अमेरिकी कंपनी बोइंग द्वारा बनाए गए विमान P8I का इस्तेमाल करती है। रक्षा मंत्रालय ने 2009 में 8 P8I विमान के लिए सौदा किया था। बाद में चार और विमान का ऑर्डर दिया गया। सौदे के अनुसार 11वां विमान नौसेना को इसी साल अक्टूबर में मिला है। यह विमान समुद्र में लंबी दूरी तक निगरानी करने में इस्तेमाल होता है। सतह पर मौजूद जहाजों के साथ यह पानी के अंदर छिपी पनडुब्बियों का भी पता लगा सकता है। यह विमान सिर्फ निगरानी के काम नहीं आता। जरूरत पड़ने पर यह युद्धपोत और पनडुब्बियों को तबाह भी कर सकता है। इसके लिए विमान मार्क 54 टारपिडो, डेफ्थ चार्ज, बम और हवा से सतह पर मार करने वाले हारपून ब्लॉक टू मिसाइल से लैस है। पानी के अंदर छिपी पनडुब्बियों का पता यह  CAE AN/ASQ-508A मैग्नेटिक एनोमली डिटेक्शन सिस्टम से लगाता है। सतह पर मौजूद जहाजों को खोजने के लिए यह APS-143C(V)3 मल्टीमोड राडार का इस्तेमाल करता है। इसका रेंज 2222 किलोमीटर है।

INS Dhruv
भारतीय नौ सेना में आईएनएस ध्रुव को 10 सितंबर 2021 को शामिल किया गया था। यह भारत का पहला न्यूक्लियर मिसाइल ट्रैकिंग शिप है। यह न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइल को लंबी दूरी से ट्रैक कर सकता है। पाकिस्तान या चीन द्वारा भारत के खिलाफ न्यूक्लियर मिसाइल लॉन्च करने की स्थिति में यह पहले सतर्क कर देगा। इसे हिन्दुस्तान शिपयार्ड में डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) और नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन के सहयोग से बनाया गया था। इस शिप के नौ सेना में शामिल होते ही भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिसके पास न्यूक्लियर मिसाइलों को ट्रैक करने की क्षमता है। यह शिप दुश्मन के उपग्रह को ट्रैक करने के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक खुफिया जानकारी भी जुटाता है। इसका संचालन देश में परमाणु अस्तों को नियंत्रित करने वाले स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड द्वारा किया जाता है।

INS Karanj  
आईएनएस करंज स्कॉर्पिन क्लास की पनडुब्बी है। करंज के पहले वर्जन का इस्तेमाल भारतीय नौसेना ने 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए जंग में किया था। स्कॉर्पिन क्लास की तीसरी पनडुब्बी आईएनएस करंज को नौ सेना में 10 मार्च 2021 को शामिल किया गया था। यह एक पारंपरिक डीजल इलेक्ट्रिक सबमरीन है। दुश्मन की नजर से बचे रहने के मामले में यह अव्वल है। उन्नत एक्यूस्टिक साइलेंसिंग तकनीक और कम शोर पैदा करने के चलते इस पनडुब्बी का पता लगाना कठिन होता है। इसका इस्तेमाल नौसेना जासूसी, सूचनाएं जमा करने, पनडुब्बी और समुद्री जहाज के खिलाफ लड़ाई और समुद्र में बारूदी सुरंग बिछाने में करती है। इस पनडुब्बी में टारपिडो लॉन्च करने के लिए छह ट्यूब है। इसके साथ ही यह समुद्री जहाजों और जमीन पर हमला करने के लिए अपना साथ 18 एंटी शिप मिसाइल से लैस है। यह पनडुब्बी 21 दिन तक लगातार पानी के अंदर डुब्बी लगाए रह सकती है। इससे 350 मीटर से अधिक गहराई तक गोता लगाया जा सकता है। 

 

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