Global Buddhist Summit: बुद्ध के उपदेशों से विश्व की समस्याओं का समाधान, भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध दिए: नरेंद्र मोदी

पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने ग्लोबल बौद्ध शिखर सम्मेलन (Global Buddhist Summit) का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि बुद्ध के उपदेशों से दुनिया की समस्याओं का समाधान हो सकता है।

Vivek Kumar | Published : Apr 20, 2023 9:08 AM IST

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने गुरुवार को दिल्ली में आयोजित ग्लोबल बौद्ध शिखर सम्मेलन (Global Buddhist Summit) का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज विश्व के सामने जो समस्याएं हैं उनका समाधान भगवान बुद्ध के उपदेशों से हो सकता है। भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध दिए।

प्रधानमंत्री ने कहा, "बुद्ध व्यक्ति से आगे बढ़कर बोध, स्वरूप से आगे बढ़कर सोच और चित्रण से आगे बढ़कर चेतना हैं। बुद्ध की चेतना चिरंतर और निरंतर है। ये सोच शाश्वत है। भारत ने आज अनेक अनेक विषयों पर विश्व में नई पहल की हैं इसमें हमारी बहुत बड़ी प्रेरणा भगवान बुद्ध हैं।"

नरेंद्र मोदी ने कहा, "बुद्ध का मार्ग परियक्ति (Theory), पटिपत्ति (Practice) और पटिवेध (Realization) है। पिछले 9 वर्षों में भारत इन तीनों बिंदुओं पर तेजी से आगे बढ़ा है। दुनिया के अलग-अलग देशों में शांति मिशन्स हों या तुर्किए में भूकंप जैसी आपदा। भारत अपना पूरा सामर्थ्य लगाकर हर संकट के समय मानवता के साथ खड़ा होता है।"

बुद्ध मंत्र है विश्व को सुखी बनाने का रास्ता

पीएम ने कहा, "हमें विश्व को सुखी बनाना है तो स्व से निकलकर संसार की सोच अपनानी होगी। संकुचित सोच को त्यागकर समग्रता का ये बुद्ध मंत्र ही एकमात्र रास्ता है। आज ये समय की मांग है कि हर व्यक्ति और राष्ट्र की प्राथमिकता अपने देश के हित के साथ ही विश्व हित भी हो।"

बुद्ध ने दिया था युद्ध और अशांति का समाधान

पीएम मोदी ने कहा, "आज दुनिया जिस युद्ध और अशांति से पीड़ित है, बुद्ध ने सदियों पहले इसका समाधान दिया था। आधुनिक विश्व की ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिसका समाधान सैकड़ों वर्ष पहले बुद्ध के उपदेशों में हमें प्राप्त न हुआ हो। जहां बुद्ध की करुणा हो वहां संघर्ष नहीं समन्वय होता है। अशांति नहीं शांति होती है। अगर विश्व, बुद्ध की सीखों पर चला होता तो क्लाइमेट चेंज जैसा संकट भी हमारे सामने नहीं आता। ये संकट इसलिए आया क्योंकि पिछली शताब्दी में कुछ देशों ने दूसरों के बारे में और आने वाली पीढ़ियों के बारे में नहीं सोचा।"

Share this article
click me!