GOOD NEWS: कोरोना को हराने DRDO की दवा को इमरजेंसी अप्रूवल मिला, नहीं गिरने देती ऑक्सीजन लेवल

Published : May 08, 2021, 03:37 PM IST
GOOD NEWS: कोरोना को हराने DRDO की दवा को इमरजेंसी अप्रूवल मिला, नहीं गिरने देती ऑक्सीजन लेवल

सार

कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहे भारत के लिए एक अच्छी खबर है। कोरोना संक्रमण में बेहद 'कारगर' साबित होने जा रही DRDO द्वारा ईजाद की गई दवा 2-DG को DCGI ने इमरजेंसी अप्रूवल दे दिया है।  DRDO ने दावा किया है इस दवा के सेवन से ऑक्सीजन लेवल नहीं गिर पाता। इसके अलावा बाकी रोगियों की तुलना में इस दवा को लेने वाले मरीज की रिपोर्ट भी जल्द निगेटिव आ जाती है। बता दें कि मई, 2020 में इस दवा के फेज-2 ट्रायल्स को मंजूरी मिली थी, जो सफल रहा।

नई दिल्ली. भारत में कोरोना के पिछले 4 दिनों से लगातार 4 लाख केस मिल रहे हैं। इस बीच सबसे बड़ी चिंता तीसरी लहर की आशंका है। कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहे भारत के लिए एक अच्छी खबर है। कोरोना संक्रमण में बेहद 'कारगर' साबित होने जा रही DRDO द्वारा ईजाद की गई दवा 2-DG को DCGI ने इमरजेंसी अप्रूवल दे दिया है। DRDO ने दावा किया है इस दवा के सेवन से ऑक्सीजन लेवल नहीं गिर पाता। इसके अलावा बाकी रोगियों की तुलना में इस दवा को लेने वाले मरीज की रिपोर्ट भी जल्द निगेटिव आ जाती है। बता दें कि मई, 2020 में इस दवा के फेज-2 ट्रायल्स को मंजूरी मिली थी, जो सफल रहा।

हैदराबाद की डॉ. रेड्डी लैबोरेट्रीज में होगा उत्पादन
शनिवार को खबर मिली कि कि  रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन  यानी DRDO (Defence Research and Development Organisation) से संबद्ध 'इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड अलायड साइंसेस-INMAS' और हैदराबाद सेंट फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी-CCBM के संयुक्त उपक्रम में निर्मित दवा को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया(DCGI) ने इमरजेंसी अप्रूवल दे दिया है। इस दवा का अभी नाम  2-deoxy-D-glucose(2-DG) रखा गया है। इसे आमजनों की भाषा में बदला जा सकता है। इसके उत्पादन की जिम्मेदारी हैदराबाद स्थित डॉ. रेड्डी लैबोरेट्रीज को दी गई है। दावा है कि इस दवा के सभी क्लिनिकल ट्रायल सफल रहे हैं। इस दवा के सेवन ने कोरोना मरीज तेजी से रिकवर हुआ। 

2020 में शुरू हुआ था प्रयोग
इस दवा पर अप्रैल, 2020 में प्रयोग शुरू हुए थे। मई,2020 में DCGI ने इसे फेज-2 ट्रायल्स की मंजूरी दी थी। फेज-2 के तहत पहला ट्रायल 6 अस्पतालों में हुआ था, जबकि फेज-2 का दूसरा ट्रायल 11 अस्पतालों में कराया गया। इसमें 110 मरीजों को शामिल किया गया था। यह ट्रायल मई से अक्टूबर तक चला। इसमें साबित हुआ कि इस दवा के सेवन से मरीज जल्दी ठीक हुए। फेज-3 का ट्रायल दिसंबर, 2020 से मार्च तक चला। इसमें 27 अस्पतालों में 220 मरीजों को शामिल किया गया था। ये ट्रायल यूपी, बंगाल, गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों के अस्पताल शामिल किए गए थे।

दवा को लेकर किया गया दावा
DRDO का दावा है कि इस दवा के सेवन के बाद 42 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन की समस्या नहीं हुई। वे तीसरे दिन ही सामान्य हो गए। जिन्हें यह दवा नहीं दी गई थी, उनमें से 31 प्रतिशत मरीज ही दूसरी दवाओं से ठीक हुए। यानी इस दवा से ठीक होने का प्रतिशत अधिक रहा। यह ट्रेंड 65 साल से अधिक आयु के लोगों में देखा गया।

इस दवा को आम दवाओं की तरह पानी में घोलकर पीया जाता है। यह दवा संक्रमित कोशिकाओं में जाकर जम जाती है। इसके बाद यह सिंथेसिस और एनर्जी प्रोडक्शन कर वायरस को फैलने से रोक देती है। दवा खुद संक्रमित कोशिकाओं को ढूंढती है।

 

Asianet News का विनम्र अनुरोधः आइए साथ मिलकर कोरोना को हराएं, जिंदगी को जिताएं...। जब भी घर से बाहर निकलें माॅस्क जरूर पहनें, हाथों को सैनिटाइज करते रहें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। वैक्सीन लगवाएं। हमसब मिलकर कोरोना के खिलाफ जंग जीतेंगे और कोविड चेन को तोडेंगे। #ANCares #IndiaFightsCorona

 
 

PREV

Recommended Stories

सिडनी आतंकी हमला: कौन है साजिद अकरम जिसके पास मिला भारतीय पासपोर्ट, किस शहर से ताल्लुक?
दिल्ली: बिना PUC नहीं मिलेगा पेट्रोल-डीजल, गंभीर AQI से निपटने सरकार का बड़ा फैसला