बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक समेत ये चार सरकारी बैंक होंगे प्राइवेट, जानिए क्या है सरकार का प्लान

केंद्र सरकार जल्द ही 4 सरकारी बैंक को निजी बना सकती है। सरकार ने निजीकरण के चरण में चार बैंकों का चयन किया है, इनका प्राइवेटाइजेशन होना है। सरकार ने जिन चार बैंकों का चयन किया है, वे बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक हैं। प्राइवेट की इस प्रक्रिया को शुरू होने में 5-6 महीने लगेंगे।

नई दिल्ली. केंद्र सरकार जल्द ही 4 सरकारी बैंक को निजी बना सकती है। सरकार ने निजीकरण के चरण में चार बैंकों का चयन किया है, इनका प्राइवेटाइजेशन होना है। सरकार ने जिन चार बैंकों का चयन किया है, वे बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक हैं। प्राइवेट की इस प्रक्रिया को शुरू होने में 5-6 महीने लगेंगे।

सरकार ने बजट में दो बैंकों के हिस्से को बेचने की बात कही थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा था कि सरकार दो बैंकों और एक सामान्य बीमा कंपनी का निजीकरण करना चाहती है। ताकि विनिवेश पर अधिक ध्यान दे रही है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सरकार बैंकों के निजीकरण से राजस्व कमाना चाहती है, जिससे इस पैसे का इस्तेमाल सरकारी योजनाओं के लिए हो सके। सरकार बड़े स्तर पर प्राइवेटाइजेशन का प्लान बना रही है। 
 
देश में अभी ये बड़ी बैंकें
देश में अभी भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और कैनरा बैंक हैं। हाल ही में सरकार ने 23 सरकारी बैंकों में से कई बैंकों को बड़े बैंकों में मिला दिया गया। इसमें बैंक, कॉर्पोरेशन बैंक, इलाहाबाद बैंक, सिंडीकेट बैंक शामिल हैं। 
 
नहीं जाएगी कर्मचारियों की नौकरी
सरकारी बैंकों के निजीकरण को लेकर हमेशा राजनीति होती है। दावा किया जाता है कि इसमें लाखों कर्मचारियों की नौकरियों को खतरा रहता है। हालांकि, सरकार पहले ही कह चुकी है कि निजीकरण से कर्मचारियों की नौकरी नहीं जाएगी। 

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बताया जा रहा है कि 2021-22 के वित्त वर्ष से दो सरकारी बैंकों को निजी बनाया जाएगा। जबकि बाकी दो बैंकों को आने वाले समय में निजी बनाया जाएगा। 
 
ज्यादातर हिस्सेदारी सरकार के पास रहेगी
सरकार बड़े बैंकों में अपनी ज्यादातर हिस्सेदारी रखेगी, जिससे नियंत्रण बना रहे। सरकार कोरोना के बाद काफी बड़े पैमाने पर सुधार करने की योजना बना रही है। सरकार इन बैंकों को बुरे फंसे कर्ज से भी पार करना चाहती है। अगले वित्त वर्ष में इन बैंकों में 20 हजार करोड़ रुपए डाले जाएंगे ताकि ये बैंक रेगुलेटर के नियमों को पूरा कर सकें।

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