मोरबी पुल Accident: गुजरात सरकार का एक्शन, मोरबी नपा के चीफ आफिसर संदीपसिंह जाला सस्पेंड

मोरबी शहर में माच्छू(मच्छू) नदी पर 30 अक्टूबर शाम 140 साल पुराने पुल के ढह जाने(Gujarat Bridge collapse) से हुई भीषण घटना में 135 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के लिए पुल के मेंटेनेंस में खामियां सामने आई थीं।

अहमदाबाद. गुजरात सरकार ने मोरबी पुल गिरने से हुए हादसे के सिलसिले में मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीपसिंह जाला(Morbi Municipality's Chief Officer Sandipsinh Zala) को निलंबित कर दिया है। मोरबी के कलेक्टर जीटी पंड्या ने कहा, "स्टेट अर्बन डेवलपमेंट डिपार्टमेंट ने जाला को निलंबित कर दिया है। मोरबी के रेजिडेंट एडिशनल कलेक्टर को अगले आदेश तक मुख्य अधिकारी का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।  

अधिकारियों ने बताया कि मोरबी नगर पालिका ने 15 साल के लिए ओरेवा समूह को पुल की मरम्मत और रखरखाव का ठेका दिया था। बता दें कि मोरबी शहर में माच्छू(मच्छू) नदी पर 30 अक्टूबर शाम 140 साल पुराने पुल के ढह जाने(Gujarat Bridge collapse) से हुई भीषण घटना में 135 लोगों की मौत हो गई थी। हादसे के तीसरे दिन यानी 1 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोरबी के सिविल अस्पताल में जाकर घायलों से मिले थे। उन्होंने एसपी आफिस में एक मीटिंग भी की थी। 

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इस मामले में पुलिस ने 9 लोगों को अरेस्ट किया है। मजिस्ट्रेट की अदालत ने गिरफ्तार किए गए चार आरोपियों-ओरेवा समूह(OREVA Group) के दो मैनेजरों और पुल की मरम्मत करने वाले दो सब-कॉन्ट्रेक्टर को शनिवार(5 नवंबर) तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था। अभियोजक एचएस पांचाल ने कहा कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एमजे खान ने सुरक्षा गार्ड और टिकट बुकिंग क्लर्क सहित पांच अन्य गिरफ्तार लोगों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया, क्योंकि पुलिस ने उनकी हिरासत की मांग नहीं की थी। पुलिस ने सोमवार(31 अक्टूबर) को भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत 9 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। 

3 नवंबर को सर्च ऑपरेशन बंद किया गया था
स्टेट कमिश्नर ऑफ रिलीफ हर्षद पटेल ने 3 नवंबर को राजधानी गांधीनगर से लगभग 300 किलोमीटर दूर स्थित मोरबी का दौरा किया था। उन्होंने रविवार शाम को शुरू किए गए तलाशी अभियान को समाप्त करने की घोषणा की। पटेल ने खोज एवं बचाव अभियान में शामिल विभिन्न एजेंसियों के प्रमुखों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की और स्थिति की समीक्षा के बाद अभियान को समाप्त करने की घोषणा की। हालांकि, एहतियात के तौर पर स्थानीय दमकल विभाग, स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (SDRF) और नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (NDRF) की एक-एक टीम अगले आदेश तक दुर्घटनास्थल पर तैनात रहेगी।

विशेष रूप से, भारतीय सेना, नौसेना, वायु सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, स्थानीय अग्निशमन विभाग के साथ-साथ पुलिस विभाग के कर्मियों को रविवार रात से क्षेत्र में पूरी नदी को स्कैन करने के लिए तैनात किया गया था, ताकि जीवित बचे लोगों को भी ढूंढा जा सके।  राजकोट रेंज के आईजी अशोक कुमार यादव ने कहा कि फिलहाल कोई लापता नहीं है और मरने वालों की संख्या 135 है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को लापता व्यक्तियों के बारे में कोई जानकारी या संदेह है, वे कभी भी संपर्क कर सकते हैं।

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