धर्म संसद विवाद : 32 पूर्व IFS अफसरों का खुला पत्र, कहा- निंदा में दोहरा मापदंड आपकी नैतिकता पर सवाल उठाता है

Published : Jan 05, 2022, 07:00 PM ISTUpdated : Jan 06, 2022, 12:16 PM IST
धर्म संसद विवाद : 32 पूर्व IFS अफसरों का खुला पत्र, कहा- निंदा में दोहरा मापदंड आपकी नैतिकता पर सवाल उठाता है

सार

पिछले दिनों हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद (Dharma Sansad) में विवादास्पद टिप्पणी मामले में आर्म्स फोर्स के पूर्व प्रमुखों ने इसकी निंदा की थी। अब  32 पूर्व भारतीय विदेश सेवा (IFS) के अधिकारियों ने एक खुला पत्र लिखकर कहा है कि ऐसे लोगों ने सरकार को कलंकित करने का अभियान चला रखा है। निंदा किसी चयनित मामले की ही क्यों, यह सामान्य तौर पर होनी चाहिए। 

नई दिल्ली। हरिद्वार धर्म संसद में दिए गए भड़काऊ भाषणों की सशस्त्र बलों के पूर्व प्रमुखों और कई प्रमुख नागरिकों ने निंदा की थी। अब 32 पूर्व भाारतीय विदेश सेवा (IFS) के अफसरों ने इन्हें आईना दिखाया है। उन्होंने पूर्व सशस्त्र बलों के प्रमुखों, अफसरों और कुछ प्रमुख नागरिकों पर सरकार को कलंकित करने का अभियान चलाने का आरोप लगाया। पूर्व आईएफएस अफसरों का कहना है कि निंदा किसी विशेष चयनित मामले की नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह सामान्य तौर पर होनी चाहिए। 

हिंसा की निंदा के लिए धार्मिक, वैचारिक मूल की परवाह नहीं हो
कंवल सिब्बल, वीना सीकरी और लक्ष्मी पुरी सहित 32 आईएफएस अफसरों के समूह ने इस मामले में एक खुला पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि हिंसा के किसी भी आह्वान की निंदा की जानी चाहिए। इसमें धार्मिक, जातीय, वैचारिक या क्षेत्रीय मूल की परवाह किए बिना सिर्फ स्पष्ट रूप से निंदा होनी चाहिए। यदि निंदा में भी दोहरा मापदंड और चयनात्मकता होगी तो यह आपके उद्देश्यों और नैतिकता पर सवाल उठाती है। 

सरकार को कलंकित करने का अभियान चल रहा 
इस पत्र में रिटायर्ड अफसरों ने लिखा है कि सरकार को कलंकित करने वाले इस अभियान में कार्यकर्ताओं का पूरा समूह है। इनमें से कुछ माओवादियों के प्रति सहानुभूति रखने वाले वामपंथियों के नाम से जाने जाते हैं। कुछ पूर्व सरकारी अधिकारी, कुछ सशस्त्र बालों के दिग्गजों के साथ ही मीडिया के कुछ वर्ग भी इस अभियान में शमिल हो गए हैं। इनके अभियान ने 'हिंदुत्व विरोधी' की आड़ में 'हिंदू विरोधी' भावना ग्रहण की ली है। 

हिंदू नाम वाले हर बयान पर सरकार को दोष देने का एजेंडा 
पूर्व आईएफएस अधिकारियों के समूह का मानना है कि हरिद्वार धर्म संसद में की गई टिप्पणियों की निंदा सही सोच के साथ होनी चाहिए थी। इसे बढ़ा चढ़ाकर पेश किया जाता है तो आलोचकों के राजनीतिक झुकाव और नैतिक अखंडता पर सवाल उठने लगते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार पर ये हमले पूरी तरह से एकतरफा और झुकाव वाले हैं। वे देश में कहीं भी किसी भी समूह द्वारा 'हिंदू' नाम का उपयोग करने वाले हर बयान के लिए सरकार को दोष देना चाहते हैं।  

क्या है मामला : 
16 से 19 दिसंबर तक हरिद्वार में धर्म संसद का आयोजन किया गया था। इसमें समुदाय विशेष के खिलाफ कुछ टिप्पणियां सामने आई थीं। उत्तराखंड पुलिस ने इस मामले में अलग-अलग एफआईआर की हैं। इस बीच आर्म्ड फोर्स के पांच प्रमुखों, कुछ प्रमुख नागरिकों और नौकरशाहों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिाख था। इसमें उन्होंने नफरत भरे भाषणों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की मांग की। इनमें से 100 से अधिक लोगों ने मुस्लिम विरोधी टिप्पणी का उल्लेख किया और हिंसा को उकसाने की निंदा की थी। 

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