बीएचयू में एक मुस्लिम प्रोफेसर का संस्कृत पढ़ाने पर विवाद हो रहा है। संस्कृत विभाग के कुछ छात्रों का तर्क है कि प्रोफेसर फिरोज खान मुस्लिम हैं इसलिए वह संस्कृत नहीं पढ़ा सकते हैं। ऐसे में एक ऐसे शख्स की कहानी बताते हैं जो मुस्लिम समुदाय से हैं लेकिन संस्कृत के प्रकांड विद्वान हैं। 1967 में उनको एक राष्ट्रीय सम्मेलन में चतुर्वेदी की उपाधि दी गई।
नई दिल्ली. बीएचयू में एक मुस्लिम प्रोफेसर का संस्कृत पढ़ाने पर विवाद हो रहा है। संस्कृत विभाग के कुछ छात्रों का तर्क है कि प्रोफेसर फिरोज खान मुस्लिम हैं इसलिए वह संस्कृत नहीं पढ़ा सकते हैं। ऐसे में एक ऐसे शख्स की कहानी बताते हैं जो मुस्लिम समुदाय से हैं लेकिन संस्कृत के प्रकांड विद्वान हैं। 1967 में उनको एक राष्ट्रीय सम्मेलन में चतुर्वेदी की उपाधि दी गई।
कौशांबी के रहने वाले हैं हयातउल्ला
यूपी के कौशांबी में रहने वाले हयातउल्ला को संस्कृत भाषा का प्रकांड विद्वान माना जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन्हें चार वेदों की महारत हासिल है। यही वजह है कि इन्हें हयातउल्ला की जगह पंडित हयातउल्ला चतुर्वेदी के नाम से पुकारा जाता है।
बचपन से ही संस्कृत से खास लगाव
हयातउल्ला को बचपन से ही संस्कृत भाषा से खास लगाव है। कौशांबी के हर्रायपुर गांव में रहने वाले हयातउल्ला ने जब संस्कृत पढ़ने की शुरुआत की तो रिश्तेदारों ने विरोध किया। लेकिन पिता ने कहा कि नहीं, बेटा संस्कृत पढ़ेगा। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत भाषा में स्नातक किया।
30 साल तक बच्चों को संस्कृत पढ़ाया
हयातउल्ला ने इलाहाबाद के एमआर शेरवानी इंटर कॉलेज में करीब 30 साल तक संस्कृत पढ़ाया। रिटायर होने के बाद भी वह बच्चों को बिना फीस लिए संस्कृत पढ़ाते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने संस्कृत सीखने के लिए कई देशों का दौरा किया। वह अमेरिका, नेपाल और मॉरीशस की यात्रा कर चुके हैं।