कर्नाटक हाईकोर्ट ने विप्रो के संस्थापक अजीम प्रेमजी के खिलाफ एक ही मामले में कई याचिका दायर करने को लेकर दो वकीलों को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया और उन्हें जेल भेज दिया।
बेंगलुरु : कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने विप्रो के संस्थापक अजीम प्रेमजी (chairman of Wipro Azim Premji ) के खिलाफ एक ही मामले में कई याचिका दायर करने को लेकर दो वकीलों को जेल भेज दिया है। दोनों वकीलों ने एनजीओ इंडिया अवेक फॉर ट्रांसपेरेंसी की ओर से प्रमेजी के खिलाफ याचिका दायर दी थी।
जस्टिस बी वीरप्पा और जस्टिस केएस हेमलेका ( B Veerappa and K S Hemaleka) की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने अधिवक्ता आर सुब्रमण्यम और पी सदानंद (advocate R Subramanian and P Sadanand,) को दो हजार का जुर्माना लगाया तथा 2 महीने की जेल की सजा सुनाई। कोर्ट ने अदालत की अवमानना अधिनियम की धारा 12 (1) के तहत दोनों वकीलों को यह सजा दी है। इसके अतिरक्त कोर्ट ने आरोपियों को शिकायतकर्ताओं और उनकी कंपनियों के ग्रुप के खिलाफ किसी भी अदालत या कानून के किसी प्राधिकरण के सामने कोई कानूनी कार्यवाही शुरू करने से भी रोक लगा दी,
गौरतलब है कि कोर्ट ने 23 दिसंबर को आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे। अदालत ने 7 जनवरी को दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
23 दिसंबर के फैसले में कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने अपने 23 दिसंबर के फैसले में कहा था कि आप एक ही कारण से सभी रिट याचिकाओं को खारिज करने के बावजूद और कोर्ट के आदेश की तरफ से चेतावनी और निषेध के बावजूद, कई मुकदमे दायर किए और कार्यवाही जारी रखी और आपका आचरण कोर्ट पर हावी होने के अलावा और कुछ नहीं है और आपने न केवल एक या दूसरी तुच्छ कानूनी कार्यवाही दायर करके न्यायिक प्रक्रिया का मजाक उड़ाया है, बल्कि जनता के हितों को प्रभावित किया है, वह भी विभिन्न न्यायालयों के मंचों का दुरूपयोग करके, न्यायिक समय को नष्ट किया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि,इस तरह कोर्ट की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 2(C) के प्रावधानों के तहत आपराधिक अवमानना की श्रेणी में आता है, जो इस कोर्ट के संज्ञान में उक्त अधिनियम की धारा 12 के तहत दंडनीय है।
अवेक फॉर ट्रांसपेरेंसी पर लगा था जुर्माना
गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने पिछले साल फरवरी में प्रेमजी और दूसरे के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग करते हुए कार्रवाई के एक ही चलते पर कई याचिकाएं दायर करने के लिए इंडिया अवेक फॉर ट्रांसपेरेंसी पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।
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