अप्रैल का महीना अभी खत्म नहीं हुआ है, लेकिन गर्मी चरम पर पहुंच चुकी है। देश के कई स्थानों में तापमान 46 डिग्री तक जा चुका है। ऐसे में बिजली की डिमांड भी काफी अधिक बढ़ी है। अब तक तीन राज्यों ने औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली की कटौती शुरू कर गांवों को बिजली देना शुरू कर दिया है।
नई दिल्ली। भीषण गर्मी (Heat wave In india) के दौर में लोगों को राहत देने के लिए राजस्थान (Rajasthan power cut) ने कारखानों के लिए चार घंटे बिजली कटौती निर्धारित की है। यह देश का तीसरा राज्य है, जिसने भीषण गर्मी के चलते बिजली की बढ़ती मांग का प्रबंधन करने के लिए इंडस्ट्रियल सेक्टर में कटौती करने का फैसला लिया है।
डिमांड और सप्लाई में नहीं बन रहा सामंजस्य
अप्रैल के आखिरी हफ्ते में पूरा देश गर्मी से झुलस रहा है। भारत में मार्च से ही गर्मी का प्रकोप शुरू हो गया था, जो लगातार जारी है। गर्मी के चलते गुजरात राज्य और आंध्र प्रदेश ने इस महीने इंडस्ट्रियल एक्टिविटीज को प्रतिबंधित करते हुए बिजली की डिमांड और सप्लाई के बीच सामंजस्य बनाने की कोशिश की। दरअसल, इंडस्ट्रीज में एयर कंडीशनिंग की मांग चरम पर है, ऐसे में राज्य के अन्य हिस्सों मंेे बिजली की आपूर्ति में दिक्कत हहो रही थी।
गांवों में हो रही चार घंटे की कटौती
रेगिस्तानी राज्य राजस्थान ने भी अब ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 4 घंटे की बिजली कटौती लागू की, जिससे रेगिस्तानी राज्य में हजारों परिवारों को तपती गर्मी में बिना बिजली के समय बिताना पड़ रहा है। अभी मई और जून की गर्मी बाकी ही है, ऐसे में लोगों को दो महीने कैसे बीतेंगे, इसकी चिंता सता रही है।
मौसम विभाग ने दी रिकॉर्ड लू की चेतावनी
मंगलवार को देश में बिजली की मांग रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई, जबकि इसी बीच मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में हीट वेव और बढ़ने की चेतावनी दी है। इस तरह की गर्मी में सबसे ज्यादा ऐसे श्रमिक परेशान होते हैं जो निर्माण गतिविधियों, खेतों और मजदूरी के काम में लगे हैं। हीट स्ट्रोक से लगातार हर साल हजारों जाने जाती हैं।
इंडस्ट्री के लिए कटौती ठीक नहीं
गर्मी के बीच इंडस्ट्री की बिजली कटौती एक बार फिर औद्योगिक गतिविधियों को कमजोर कर सकती है। कोरोनोवायरस लॉकडाउन के चलते पहले ही दो साल से हालात खराब हैं। इधर, कोयले की कमी से संकट और बढ़ रहा है। सूत्रों के मुताबिक इस साल कोयले का भंडार पिछले9 सालों में सबसे कम स्तर पर है, जबकि बिजली की मांग पिछले चार दशक में सबसे तेजी से बढ़ी है। ट्रेन रैक की कमी भी कोयला संकट बढ़ा रही हैं।