कर्नाटक: प्रज्ञा ठाकुर ने हिंदुओं से कहा- घर की चाकू रखें तेज, गरिमा पर हमला हो तो जवाब देने का है हक

भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर (Pragya Thakur) ने कर्नाटक के शिवमोग्गा में कहा कि अगर कोई हिंदुओं पर या उनकी गरिमा पर हमला करता है तो हिंदुओं को भी जवाब देने का अधिकार है। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 26, 2022 8:31 AM IST / Updated: Dec 26 2022, 02:03 PM IST

शिवमोग्गा (कर्नाटक)। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर (Pragya Thakur) ने कर्नाटक के शिवमोग्गा में कहा कि अगर कोई हिंदुओं पर या उनकी गरिमा पर हमला करता है तो हिंदुओं को भी जवाब देने का अधिकार है। कर्नाटक में हिंदू कार्यकर्ता की हत्या पर उन्होंने यह बयान दिया। 

प्रज्ञा ठाकुर ने हिंदू समाज के लोगों से कहा कि कम से कम वे अपने घरों की चाकुओं को तेज रखें। हर किसी को अपनी रक्षा करने का अधिकार है। उन्होंने कहा, "उनके पास जिहाद की परंपरा है, वे अगर कुछ नहीं करते हैं तो लव जिहाद करते हैं। अगर वे प्यार भी करते हैं तो उसमें जिहाद करते हैं। हम (हिंदू) भी प्यार करते हैं। भगवान से प्यार करते हैं। एक संन्यासी अपने भगवान से प्यार करता है।"

हिंदू जागरण वैदिके के दक्षिण क्षेत्र के वार्षिक सम्मेलन में प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि सन्यासी कहते हैं कि भगवान द्वारा बनाई गई इस दुनिया में सभी पापियों को खत्म किया जाना चाहिए। लव जिहाद में शामिल लोगों को जवाब दिया जाना चाहिए। अपनी लड़कियों की रक्षा करें, उन्हें सही मूल्य सिखाएं।

चाकू की धार तेज रखें
शिवमोग्गा के हर्षा सहित अन्य हिंदू कार्यकर्ताओं की हत्या की ओर इशारा करते हुए प्रज्ञा ठाकुर  ने कहा "अपने घरों में हथियार रखो और कुछ नहीं तो कम से कम सब्जी काटने वाली चाकू की धार तेज कर रखो। पता नहीं कब कैसी स्थिति आ जाए। आत्मरक्षा का अधिकार सबका है। अगर कोई हमारे घर में घुसपैठ करता है और हम पर हमला करता है तो करारा जवाब देना हमारा अधिकार है।"

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मिशनरी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाते हैं तो वृद्धाश्रम में जाने के लिए रहें तैयार
प्रज्ञा ने कहा कि जो माता-पिता अपने बच्चों को मिशनरी स्कूलों में पढ़ाते हैं वे वृद्धाश्रम में जाने के लिए तैयार रखें। मिशनरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे आपके और आपकी संस्कृति के नहीं होंगे। वे वृद्धाश्रम की संस्कृति में बड़े होते हैं और स्वार्थी हो जाते हैं। अपने घर पर पूजा करें, अपने धर्म और शास्त्र के बारे में पढ़ें। अपने बच्चों को इसके बारे में पढ़ाएं, ताकि बच्चे हमारी संस्कृति और मूल्यों के बारे में जान सकें।

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