हैदराबाद लॉ यूनिवर्सटी देश की पहली जेंडर न्यूट्रल यूनिवर्सिटी, यहां अब LGBTQ या महिला-पुरुष की बात नहीं

Published : Mar 27, 2022, 12:54 PM ISTUpdated : Mar 27, 2022, 12:56 PM IST
हैदराबाद लॉ यूनिवर्सटी देश की पहली जेंडर न्यूट्रल यूनिवर्सिटी, यहां अब LGBTQ या महिला-पुरुष की बात नहीं

सार

हैदराबाद की नेशनल एकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च (NALSAR) ने जेंडर न्यूट्रल पॉलिसी की शुरुआत की है। इसके जरिये LGBTQ और अन्य ऐसे समुदायों के लिए परिसर में ही व्यवस्था  की गई है। परिसर के जीएच -6 को Gender-Neutral Space  के रूप में तैया किया गया है। इसमें एलजीबीटीक्यू + समुदाय के सदस्यों के के लिए कमरे आवंटित किए गए हैं। ऐसा करने वाली यह देश की पहली यूनिवर्सिटी है। 

हैदराबाद। हैदराबाद स्थित नेशनल एकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च ने लैंगिक समानता (Gender Eqality) की ओर एक बड़ा कदम उठाया है। यूनिवर्सिटी ने अब जेंड्रर न्यूट्रल ट्रांस पॉलिसी (Gender nutral policy) अपनाने का फैसला किया है। यूनिवर्सिटी की सोच है कि इस पहल से सिर्फ महिला और पुरुष की बात नहीं होगी। अब लेस्बियन, गे और ट्रांसजेंडर छात्र स्वेच्छा से अपनी पहचान के साथ कैंपस में रह सकेंगे।

विश्वविद्यालय के कुलपति फैजान मुस्तफा ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य एक सुरक्षित और समावेशी परिसर बनाना है। यूनिवर्सिटी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी ये जानकारी दी। इकसे मुताबिक एकेडमिक ब्लॉक के ग्राउंड फ्लोर का वॉशरूम तक जेंडर न्यूट्रल बनाया गया है। अभी जीएच -6 बिल्डिंग में लेस्बियन, गे और ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए कमरे आवंटिए किए गए हैं। 

दूर होगी भेदभाव की समस्या 
विश्वविद्यालय का अपने इस प्रयोग के बारे में कहना है कि इस पहल से ट्रांसजेंडर और LGBTQ+ समुदायों को भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ेगा। एक ही कैंपस में एक साथ रहने से इस तरह की दिक्कतें दूर होंगी। गौरतलब है कि 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने देश में मेल, फीमेल के अलावा हर फॉर्म में थर्ड जेंडर की शुरुआत करवाई थी। इसके बाद भी इस तरह के लोगों को अक्सर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। माना जा रहा है कि हैदराबाद लॉ यूनिवर्सिटी का यह फैसला छात्रों को शैक्षणिक गतिविधियों में आजादी देगा और उन्हें समान रूप से शैक्षणिक गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करेगा। 

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ऐसे आया आयडिया 
यूनिवर्सिटी सूत्रों के मुताबिक 2015 में 22 वर्षीय बीए एलएलबी के छात्र ने यूनिवर्सिटी से उसके स्नातक प्रमाणपत्र में उसके लिंग की पहचान का उल्लेख नहीं करने की मांग रखी थी। तब यूनिवर्सिटी ने छात्र की मांग काे स्वीकारा और उसके सर्टिफिकेट में लिंग का अनुरोध नहीं किया। इस यूनिवर्सिटी में तभी से जेंडर न्यूट्रल यूनिवर्सिटी बनाने की पहल के बीज पड़ गए थे। आखिरकार अब यूनिवर्सिटी इस दिशा में पहला कदम उठाकर देश की ऐसी पहली यूनिवर्सिटी बन भी गई। 

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