RSS की रिपोर्ट पर विपक्ष का फूटा गुस्सा, असदुद्दीन ओवैसी ने कहा- इनकी विचारधारा झूठ पर आधारित

अहमदाबाद में एक बैठक में पेश की गई एक रिपोर्ट को लेकर विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निशाना साधा है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सरकारी मशीनरी में प्रवेश करने के लिए एक विशेष समुदाय द्वारा विस्तृत योजना बनाई जा रही है।

नई दिल्ली। अहमदाबाद में एक बैठक में पेश की गई एक रिपोर्ट को लेकर विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर निशाना साधा है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सरकारी मशीनरी में प्रवेश करने के लिए एक विशेष समुदाय द्वारा विस्तृत योजना बनाई जा रही है।

आरएसएस की इस रिपोर्ट पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने ट्वीट किया कि आरएसएस की विचारधारा कायरता और झूठ पर आधारित है। इसकी विचारधारा चरमपंथी है। यह धार्मिक राज्य चाहती है, लेकिन एक सांस्कृतिक संगठन होने का दिखावा करती है। सरकारी मशीनरी में प्रवेश करने की कोई विस्तृत योजना नहीं है। सरकारी पदों पर मुसलमानों का प्रतिनिधित्व बहुत कम है।

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ओवैसी की यह टिप्पणी आरएसएस की उस रिपोर्ट के मीडिया में सामने आने के एक दिन बाद आई है जिसमें दावा किया गया था कि धार्मिक कट्टरता बढ़ रही है। आरएसएस की वार्षिक रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि केरल और कर्नाटक में हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं की निर्मम हत्याएं धार्मिक कट्टरता का एक उदाहरण हैं। संविधान और धार्मिक स्वतंत्रता की आड़ में साम्प्रदायिक उन्माद और सामाजिक अनुशासन का उल्लंघन बढ़ रहा है और मामूली कारणों से हिंसा को भड़काया जा रहा है।

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सीताराम येचुरी ने कहा- भारतीय इतिहास को फिर से लिखने की हो रही कोशिश
आरएसएस की रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए वाम मोर्चा ने दावा किया कि भारतीय इतिहास को फिर से लिखने के लिए एक लंबी कहानी गढ़ी जा रही है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि भारत की समृद्ध समकालिक दार्शनिक परंपराओं का अध्ययन हिंदू धर्मशास्त्र के अध्ययन के लिए कम किया जाना है। भारतीय इतिहास सांस्कृतिक संगमों के माध्यम से विकास है जिसे हिंदू पौराणिक कथाओं के अध्ययन में सीधे-सीधे शामिल किया जाना है। येचुरी ने आगे कहा कि भारत गणराज्य की संवैधानिक नींव को कमजोर करने की एक परियोजना है। प्रत्येक नागरिक अनुच्छेद 51 ए (एफ) के माध्यम से देश की समग्र संस्कृति की समृद्ध विरासत को संरक्षित कर सकता है। संविधान की रक्षा के लिए इस संकल्प को दोगुना करने की आवश्यकता है।

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