IIMC का सर्वे: 82% पश्चिमी मीडिया ने भारत में कोरोना महामारी पर पक्षपाती कवरेज किया...

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के पीक के दौरान लेकर पश्चिमी मीडिया के एक वर्ग द्वारा की गई कवरेज की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं। IIMC के एक सर्वे में सामने आया है कि कवरेज के दौरान पश्चिमी मीडिया की भूमिका पक्षपाती थी।

नई दिल्ली. भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार 82 फीसदी भारतीय मीडियाकर्मियों की राय में पश्चिमी मीडिया द्वारा भारत में कोविड-19 महामारी की कवरेज ‘पक्षपातपूर्ण’ रही है। 69% मीडियाकर्मियों का मानना है कि इस कवरेज से विश्व स्तर पर भारत की छवि धूमिल हुई है, जबकि 56% लोगों का कहना है कि इस तरह की कवरेज से विदेशों में बसे प्रवासी भारतीयों की भारत के प्रति नकारात्मक राय बनी है।

ऐसे हुआ था सर्वे
आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने बताया कि संस्थान के आउटरीच विभाग द्वारा यह सर्वेक्षण जून 2021 में किया गया। इस सर्वेक्षण में देशभर से कुल 529 पत्रकारों, मीडिया शिक्षकों और मीडिया स्कॉलर्स ने हिस्सा लिया। सर्वेक्षण में शामिल 60% मीडियाकर्मियों का मानना है कि पश्चिमी मीडिया द्वारा की गई कवरेज एक पूर्व निर्धारित एजेंडे के तहत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को खराब करने के लिए की गई। अध्ययन के तहत जब भारत में कोविड महामारी के दौरान पश्चिमी मीडिया की कवरेज पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो 71% लोगों का मानना था कि पश्चिमी मीडिया की कवरेज में संतुलन का अभाव था।
 विस्तार से खबर पढ़ने क्लिक करें

Latest Videos

pic.twitter.com/ZqxmnU1IAL

हेल्थ मिनिस्ट्री ने यूनिसेफ और WHO पर खड़े किए सवाल
इधर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यूनीसेफ और WHO के उस दावे को नकार दिया है, जिसमें कहा गया कि कोरोना के चलते भारत में 30 लाख बच्चों को दूसरे जरूरी टीके नहीं लग पाए। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत ने 2021 की पहली तिमाही में 99 फीसदी डीटीपी-3 कवरेज हासिल किया है, यह अब तक दर्ज उच्चतम कवरेज है। चिन्हित 250 उच्च जोखिम वाले जिलों में सघन मिशन इन्द्रधनुष (गहन टीकाकरण अभियान) चलाया गया, जिसमें 9.5 लाख से अधिक बच्चों और 2.24 लाख गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया गया। पोलियो के खिलाफ उच्च जनसंख्या प्रतिरक्षा बनाए रखने के लिए एक राष्ट्रीय टीकाकरण राउंड और दो उप-राष्ट्रीय राउंड आयोजित किए गए हैं।

बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बच्चों के सामान्य टीकाकरण अभियान को लेकर चिंता जताई थी। WHO ने कहा है कि दुनियाभर में 2019 की तुलना में 2020 में 3.5 मिलियन से अधिक बच्चों को डिप्टीथिरिया टेटनस पर्टुसिस कम्बाइंड वैक्सीन(DTP-1) की पहली खुराक नहीं मिली। भारत में यह संख्या 30 लाख बताई थी। कहा गया कि कोरोना इस अभियान में आड़े आया। WHO के अनुसार, दुनियाभर में 3 मिलियन से अधिक बच्चों को खसरे(measles) की खुराक नहीं मिल सकी। बता दें कि DTP का टीका मनुष्यों को इन तीन संक्रामक रोगों से बचाता है।

भारत में बुरी स्थिति बताई थी
WHO और संयुक्त राष्ट्रबाल आपातकालीन कोष(यूनिसेफ) ने ये आंकड़े प्रकाशित किए हैं। इसके अनुसार भारत में 2019 की तुलना में 2020 में पहली बार DTP-1 की खुराक नहीं ले पाने वाले बच्चों की संख्या में अधिक वृद्धि देखने को मिली। यानी 2019 में 1,403,000 की तुलना में 2020 में भारत में 3,038,000 बच्चों को DTP-1 की पहली खुराक नहीं मिल सकी।

मध्यम आय वाले देशों का हाल
WHO के आंकड़े बताते हैं कि मध्यम आय वाले देशों में टीके से वंचित बच्चों की संख्या बढ़ी है। अगर भारत की बात करें, तो यहां यहां वैक्सीन से वंचित बच्चों की आंकड़ा काफी गिरा है। यहां DTP-3 वैक्सीनेशन 91 प्रतिशत से गिरकर 85 प्रतिशत तक पहुंच गया।

कोरोना ने किया प्रभावित
WHO के अनुसार, दुनिया भर में 2020 में नियमित टीकाकरण सेवाओं के जरिये करीब 23 मिलियन बच्चे बुनियादी टीकों से वंचित रह गए। इसके पीछे एक वजह कोरोना संक्रमण के कारण बिगड़ी व्यवस्थाएं भी हैं। पिछले वर्ष 17 मिलियन तक बच्चों को एक भी टीका नहीं लगाया जा सका। इसके कारण यह आंकड़ा और बढ़ गया।

लॉकडाउन ने भी डाला असर
कोरोना संक्रमण के चलते कई देशों में सामान्य क्लिनिक बंद करने पड़े। वहीं, कइयों के खुलने का टाइम कम दिया गया। इससे अभिभावक अपने बच्चों को टीके लगवाने नहीं जा पाए। इसके अलावा संक्रमण के डर से भी लोग घरों से नहीं निकले। आवागमन के साधन बंद होने का भी असर पड़ा। इन बच्चों में झुग्गियों या दूरदराज के इलाकों में रहने वालों की संख्या अधिक है।

WHO ने कहा
WHO के डायरेक्टर जनरल डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस (Tedros Adhanom Ghebreyesus)ने कहा कि जब देश COVID-19 टीकों के लिए संघर्ष करते देखे गए, हम अन्य टीकाकरणों में पीछे चले गए हैं। इससे बच्चों में खसरा, पोलियो या मेनिन्जाइटिस(meningitis) यानी मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियों जैसी विनाशकारी लेकिन रोके जाने योग्य बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। उन्होंने चेताया कि  कई बीमारियों का प्रकोप पहले से ही है, ऐसे में COVID-19 से जूझ रहे बच्चों का इन टीकों से वंचित रहना और विनाशकारी हो सकता है। इसलिए इस दिशा में काम करने की जरूरत है।

(ANI इनपुट के साथ)   

Share this article
click me!

Latest Videos

Amit Shah Ambedkar विवाद के बीच Rahul Gandhi पर BJP महिला सांसद ने लगाया गंभीर आरोप । Rajyasabha
Jaipur tanker Blast CCTV Video: ट्रक का यूटर्न, टक्कर और आग, CCTV में दिखी अग्निकांड के पीछे की गलती
LIVE 🔴: "भारतीय संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा" पर चर्चा
Kiren Rijiju: 'हमारे पास संख्या, हम दबने वाले नहीं, कांग्रेस सदन और देश से माफी मांगे' #Shorts
Atul Subhash Case: 'कम उम्र में शादी और मां थी मास्टरमाइंड' निकिता के बयान ने उड़ाए होश