हेपेटाइटिस सी की दवा से हो सकता है मलेरिया का इलाज, JNU में रिसर्च से पता चला बेहद कारगर है यह मेडिसिन

मलेरिया का इलाज हेपेटाइटिस सी की दवा अलीस्पोरिविर से हो सकता है। अगर मलेरिया के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाले दवाओं से बीमारी ठीक नहीं हो रही हो तब भी अलीस्पोरिविर काम करता है।
 

नई दिल्ली। मच्छर के काटने से फैलने वाला रोग मलेरिया भारत में बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। हर साल हजारों लोग इसके शिकार होते हैं और सैकड़ों लोगों की जान इस बीमारी के चलते चली जाती है। सबसे खतरनाक बात यह है कि मलेरिया रोग जिस प्लास्मोडियम प्रजाति के परजीवी के कारण होता है उसने बीमारी के इलाज के लिए इस्तेमाल हो रहे दवाओं के प्रति प्रतिरोध विकसित कर लिया है।

प्रतिरोध के चलते पहले जिस दवा से मलेरिया की बीमारी का इलाज हो जाता था अब वह दवा पूरी तरह काम नहीं करता। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की प्रयोगशाला स्पेशल सेंटर फोर मॉलिक्यूलर मेडिसिन में हुए रिसर्च से इस परेशानी का हल मिला है। रिसर्च से पता चला है कि हेपेटाइटिस सी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा अलीस्पोरिविर से मलेरिया का भी इलाज हो सकता है। परजीवी द्वारा पैदा किए गए प्रतिरोध के कारण अगर दूसरी दवाओं से बीमारी ठीक नहीं हो रही है तब भी यह दवा काम करती है। 

Latest Videos

प्लास्मोडियम प्रजाति ने दवाओं के प्रति विकसित कर लिया है प्रतिरोध
जर्नल एंटीमाइक्रोबियल एजेंट्स एंड कीमोथेरेपी में प्रकाशित हुए रिसर्च के अनुसार मलेरिया पैदा करने के लिए जिम्मेदार प्लास्मोडियम प्रजाति ने मलेरिया के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली क्लोरोक्वीन, प्रोगुआनिल, पाइरिमेथामाइन, सल्फाडॉक्सिन-पाइरीमेथ-अमीन और मेफ्लोक्विन सहित कई दवाओं के प्रति प्रतिरोध विकसित कर लिया है। 

मलेरिया की नई दवाएं विकसित करना है जरूरी
जेएनयू के रिसर्च के अनुसार मलेरिया के दवाओं के प्रति प्रतिरोध की स्थिति में भी एंटी-हेपेटाइटिस सी दवा अलीस्पोरिविर से बीमारी दूर होती है। हालांकि रिसर्च में यह भी जानकारी मिली है कि आर्टेमिसिनिन-आधारित इलाज के खिलाफ भी प्लास्मोडियम प्रजाति द्वारा प्रतिरोध विकसित किया जा रहा है। इससे मलेरिया को खत्म करने के लिए चल रहा वैश्विक प्रयास खतरे में है। रिसर्च से पता चला है कि मलेरिया के खिलाफ नई दवाओं को विकसित करना आवश्यक हो गया है।

यह भी पढ़ें- जानें किस देश और शहर में जन्मा वो बच्चा, जिसके पैदा होते ही 8 अरब हो गई दुनिया की जनसंख्या

बता दें कि अलीस्पोरिविर साइक्लोस्पोरिन ए का एनालॉग है। इसके सेवन से इंसान की रोग निरोधी क्षमता कम नहीं होती। वहीं, साइक्लोस्पोरिन ए रोग निरोधी क्षमता घटाने वाली दवा है। इसका इस्तेमाल ऑर्गन ट्रांसप्लांट के दौरान होता है। रिसर्च में बताया गया है कि साइक्लोस्पोरिन ए से प्लाज्मोडियम परजीवी का विकास बाधित हो जाता है। रोग निरोधी क्षमता घटाने के चलते इसे कभी भी मलेरिया के इलाज के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाता है। 

यह भी पढ़ें- ठाणे का शॉकिंग मामलाः नशीले पदार्थ की तस्करी करते पकड़ाए रेलवे कर्मचारी, एटीएस की टीम ने की कार्यवाही

Share this article
click me!

Latest Videos

UPPSC Student Protest: प्रयागराज में क्या है छात्रों की प्रमुख मांग, चौथे भी डटे हुए हैं अभ्यर्थी
Iran Israel War: Hezbollah के साथ जंग का इजराइलियों में खौफ, कई लोगों ने छोड़ा देश। Netanyahu
SDM थप्पड़ कांड और बवाल, फरार नरेश मीणा आ गए सामने, जानें क्या कहा । Naresh Meena । Deoli Uniara
खाने में सोच समझकर करें नमक का इस्तेमाल, शरीर को पहुंचाता है कई नुकसान
टीम डोनाल्ड ट्रंप में एलन मस्क और भारतवंशी रामास्वामी को मौका, जानें कौन सा विभाग करेंगे लीड