Independence Day:लाल किला से बोले PM- यह हमारा स्वर्णिम युग, बर्बाद नहीं कर सकते

Published : Aug 15, 2024, 08:51 AM ISTUpdated : Aug 15, 2024, 09:12 AM IST
PM Narendra Modi speech

सार

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किला से कहा कि यह हमारा स्वर्णिम युग है। इसे बर्बाद नहीं कर सकते। 2047 तक भारत को विकसित बनाना सिर्फ भाषण के शब्द नहीं हैं।

नई दिल्ली। पूरा देश आज 78वां स्वतंत्रता दिवस (Independence Day 2024) मना रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक लाल किले से देश को संबोधित किया है। उन्होंने 2047 तक भारत को विकसित बनाने पर बात की। पीएम ने कहा कि यह हमारा स्वर्णिम युग है। इसे बर्बाद नहीं कर सकते।

नरेंद्र मोदी ने कहा, "विकसित भारत 2047 ये सिर्फ भाषण के शब्द नहीं हैं। इसके पीछे कठोर परिश्रम चल रहा है। देश के कोटी-कोटी जनों के सुझाव लिए जा रहे हैं। हमने देशवासियों से सुझाव मांगे, मुझे प्रसन्नता है कि मेरे देश के करोड़ों नागरिकों ने विकसित भारत 2047 के लिए अनगिनत सुझाव दिए हैं। हर देशवासी का सपना उसमें दिख रहा है। हर देशवासी का संकल्प उसमें झलकता है। युवा, बुजुर्ग, गांव के लोग, शहर के लोग, कामदार, गरीब, आदिवासी, हर किसी ने 2047 में जब देश आजादी का 100 साल मनाएगा तब तक विकसित भारत के लिए अनमोल सुझाव दिए हैं।"

2047 विकसित भारत के लिए देश की जनता ने दिए हैं सुझाव

पीएम ने कहा, "मैं जब इन सुझावों को देखता था, मेरा मन प्रसन्न हो रहा था। कुछ लोगों ने भारत को दुनिया का स्टील कैपिटल बनाने का सुझाव हमारे सामने रखा। 2047 विकसित भारत के लिए कुछ लोगों ने भारत को मैनुफैक्चरिंग का ग्लोबल हब बनाने का सुझाव दिया। कुछ लोगों ने भारत के विश्वविद्यालय ग्लोबल बने इसके लिए सुझाव दिए। कुछ लोगों ने ये भी कहा कि क्या आजादी के इतने सालों के बाद हमारा मीडिया ग्लोबल नहीं होना चाहिए। कुछ लोगों ने ये भी कहा कि हमारा स्किल्ड युवा विश्व की पहली पसंद बनना चाहिए। भारत को जल्द से जल्द जीवन के हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना चाहिए। हमारे किसान जो मोटा अनाज पैदा करते हैं उसे दुनिया के हर डायनिंग टेबल तक पहुंचाना है।"

नरेंद्र मोदी ने कहा, “बहुत सारे लोगों ने यह सपना भी देखा है कि अंतरिक्ष में भारत का स्पेस स्टेशन जल्द से जल्द बनना चाहिए। अब देर नहीं होनी चाहिए। भारत जल्द से जल्द दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनना चाहिए। जब देशवासियों के इतने बड़े सपने हो तब हमारे भीतर एक नया दृढ़ संकल्प बनता है। आत्मविश्वास नई ऊंचाइयों पर पहुंच जाता है। देशवासियों का ये भरोसा अनुभव से निकला है।” 

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