भारत विकसित करेगा एयर लांच्ड अनमैन्ड एरियल व्हीकल, यूएसए के साथ किया समझौता

Published : Sep 03, 2021, 02:49 PM IST
भारत विकसित करेगा एयर लांच्ड अनमैन्ड एरियल व्हीकल, यूएसए के साथ किया समझौता

सार

रक्षा मंत्रालय और अमेरिकी रक्षा विभाग के बीच ALUAV के अनुसंधान, विकास, परीक्षण और मूल्यांकन (RDT&E) की खातिर यह समझौता किया गया। प्रारंभिक समझौता 2006 में हुआ था। बाद में 2015 में इसका नवीनीकरण किया गया। 

नई दिल्ली: भारत ने ड्रोन विकसित करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। नए समझौते के तहत, अमेरिकी तकनीकी सहायता से एयर लॉन्च्ड अनमैंड एरियल व्हीकल (ALUAV) का विकास और परीक्षण किया जाएगा।

रक्षा मंत्रालय और अमेरिकी रक्षा विभाग के बीच 30 जुलाई, 2021 को हुए समझौते के तहत रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (डीटीटीआई) में संयुक्त कार्य समूह वायु प्रणालियों के तहत एयर-लॉन्च किए गए मानव रहित हवाई वाहन (एएलयूएवी) के लिए काम करेंगे। 

रक्षा मंत्रालय और अमेरिकी रक्षा विभाग के बीच ALUAV के अनुसंधान, विकास, परीक्षण और मूल्यांकन (RDT&E) की खातिर यह समझौता किया गया। प्रारंभिक समझौता 2006 में हुआ था। बाद में 2015 में इसका नवीनीकरण किया गया। यह समझौता रक्षा को बेहतर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है जो रक्षा उपकरणों के विकास के माध्यम से दोनों देशों के बीच प्रौद्योगिकी सहयोग करेगा। 

डीटीटीआई का मुख्य उद्देश्य सहयोगी प्रौद्योगिकी एक्सचेंज को बढ़ावा देने के लिए निरंतर नेतृत्व पर ध्यान केंद्रित करना और भारतीय और अमेरिकी सैन्य बलों के लिए भविष्य की प्रौद्योगिकियों के विकास के अवसर पैदा करना है। 

डीटीटीआई के तहत, संबंधित डोमेन में परस्पर सहमत परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भूमि, नौसेना, वायु और विमान वाहक प्रौद्योगिकियों पर संयुक्त कार्य समूहों की स्थापना की गई है। 

समझौते के बाद रक्षा मंत्रालय ने कहा कि दोनों देश भारत-अमेरिका रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल के माध्यम से रक्षा अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में संयुक्त उत्पादन, अनुसंधान और विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं।

डीटीटीआई के माध्यम से, दोनों देशों का लक्ष्य प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और संयुक्त अनुसंधान के माध्यम से अपनी भूमि, नौसेना और वायु सेना के लिए अत्याधुनिक उपकरण विकसित करना है। इन समझौतों में सबसे अहम अब एयर सिस्टम्स ज्वाइंट कमेटी में दोनों देशों के रक्षा मंत्रालयों के बीच है।


 

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