भारत चीन सीमा विवाद पर सैनिक कंटीले तार, डंडे मारते हैं, लेकिन कोई सैनिक गोली क्यों नहीं चला सकता?

भारत और चीन के बीच एलएसी पर तनाव को लेकर लगातार खबरें आती रहती हैं। सैनिकों में झड़प भी होती है, लेकिन कभी भी फायरिंग की खबर नहीं आती है। इसके पीछे बड़ी वजह है। दरअसल, भारत और चीन ने समझौतों के तहत तय किया है कि मतभेद कितने भी हों, बॉर्डर पर हम उत्तेजना पर काबू रखेंगे। 

Asianet News Hindi | Published : May 26, 2020 2:16 PM IST

नई दिल्ली. भारत और चीन के बीच एलएसी पर तनाव को लेकर लगातार खबरें आती रहती हैं। सैनिकों में झड़प भी होती है, लेकिन कभी भी फायरिंग की खबर नहीं आती है। इसके पीछे बड़ी वजह है। दरअसल, भारत और चीन ने समझौतों के तहत तय किया है कि मतभेद कितने भी हों, बॉर्डर पर हम उत्तेजना पर काबू रखेंगे। जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी चीन आए थे, तब दोनों देशों ने आधारभूत राजनीतिक मापदंड तय किए गए थे, जिन्हें बाद में मनमोहन सिंह के कार्यकाल में दोहराया गया।

बंदूक नहीं रख सकते, जिन्होंने रखा भी तो नोजम जमीन की तरफ होगा
दोनों देशों के बीच यह किया गया कि फ्रंटलाइन पर जो भी सैनिक तैनात होंगे, उनके पास या तो हथियार नहीं होंगे और अगर रैंक के हिसाब से अफसरों के पास बंदूक होगी तो उसका नोजल जमीन की तरफ होना चाहिए।

 

भारत चीन के साथ 3488 किमी. लंबी सीमा साझा करता है
भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। ये सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुज़रती है। ये तीन सेक्टरों में बंटी हुई है। पश्चिमी सेक्टर यानी जम्मू-कश्मीर, मिडिल सेक्टर यानी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड और पूर्वी सेक्टर यानी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश।

लद्दाख के गलवान नदी इलाके में तनाव
चीन और भारत के बीच लद्दाख के गलवान नदी इलाके में तनाव चरम पर पहुंच चुका है। कई राउंड की बातचीत के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकलते देख भारत ने भी उस इलाके में सेना की तैनाती बढ़ा दी है। पिछले कुछ सप्ताह में चीन ने इस इलाके में अपनी स्थिति मजबूत की और करीब 5 हजार चीनी सैनिक वास्तविक नियंत्रण सीमा के करीब तैनात हैं और उसमें कई तो भारतीय सीमा के अंदर तक घुस आए हैं। इस बीच, भारत ने सीमा पर चीनी चाल को काउंटर करने के लिए सेना की तैनाती बढ़ाने के साथ ही निगरानी भी तेज कर दी है।

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स्टैंडिंग आर्डर्स का पालन करने को कहा गया है
चीन ने लद्दाख के गलवान नदी क्षेत्र पर अपना कब्जा बनाए रखा है। यह क्षेत्र 1962 के युद्ध का भी प्रमुख कारण था। जमीनी स्तर की कई दौर की वार्ता विफल हो चुकी है। सेना को स्टैंडिंग ऑर्डर्स का पालन करने को कहा गया है। इसका मतलब है कि सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC)से घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए बल का इस्तेमाल नहीं कर सकती है।

इस महीने तीन बार हुई है झड़प
- भारतीय सैनिकों और चीन के बीच इस महीने तीन बार झड़प हो चुकी है। पहली बार पूर्वी लद्दाख की पेंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर 5 मई को झड़प हुई। तब भारत-चीन के करीब 200 सैनिक आमने-सामने हो गए। पूरी रात टकराव की स्थिति बनी रही। सुबह होते ही सैनिकों में झड़प हुई। हालांकि बाद में अफसरों ने मामला शांत करवाया। 
- दूसरी झड़प 9 मई को उत्तरी सिक्किम में 16 हजार फीट की ऊंचाई पर नाकू ला सेक्टर में हुई। यहां भारत-चीन के 150 सैनिक आमने-सामने हो गए थे। सैनिकों ने एक-दूसरे पर मुक्कों से अटैक किया। 
- तीसरी झड़प भी 9 मई को ही हुई। सैनिकों के बीच झड़प होने पर चीन ने लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर अपने हेलिकॉप्टर भेजे थे। चीन के हेलिकॉप्टर सीमा तो पार नहीं कर पाए, लेकिन जवाब में भारत ने एयरबेस से अपने सुखोई 30 फाइटर प्लेन से खदेड़ दिया। 

6 दौर की बातचीत बेनतीजा, बढ़ाई गई सैनिकों की तैनाती
सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना के साथ 6 दौर की बात असफल रही है। पैंगोंग शो झील और गलवान फिंगर इलाके के करीब चीनी सेना ने स्थायी बंकर बनाने के लिए कुछ इलाके में खुदाई की है। इससे संकेत मिलता है कि चीनी सेना यहां नई पोस्ट बनाना चाहती है।

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