क्या चीन परखना चाहता है भारत की ताकत और तैयारी, अलग-अलग मौसम में हुई झड़पें दे रहीं इस बात का संकेत

चीन के सैनिक एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश में स्थित लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के पास भारतीय सैनिकों से भिड़ गए। इस खूनी झड़प में जहां भारत के 6 जवान घायल हुए हैं, वहीं चीन के दर्जनों सैनिक घायल हुए हैं। पिछले 5 साल में चीन सैनिकों ने अलग-अलग मौसम में भारतीय सैनिकों को उकसाने की कोशिश की है। आखिर क्या हो सकती है इसके पीछे वजह, आइए जानते हैं। 

India-China Border Dispute: चीन के सैनिक एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश में स्थित लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के पास भारतीय सैनिकों से भिड़ गए। इस खूनी झड़प में जहां भारत के 6 जवान घायल हुए हैं, वहीं चीन के दर्जनों सैनिक घायल हुए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, झड़प में चीनी सैनिकों की हड्डियां टूट गई हैं। वहीं, भारतीय जवानों को गुवाहाटी के अस्पताल में एडमिट कराया गया है। 

इस वजह से हुई भारत-चीन के सैनिकों की झड़प : 
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 9 दिसंबर को 600 से ज्यादा चीनी सैनिक तवांग के यंगस्टे में भारतीय पोस्ट को हटाने के लिए घुसपैठ कर रहे थे। कंटीले लाठी डंडों और इलेक्ट्रिक बैटन से लैस चीनी सैनिकों का भारतीय सेना ने भी उसी भाषा में  जवाब दिया। दोनों के बीची हुई खूनी झड़प में दर्जनों चीनी सैनिकों की हड्डियां टूटी हैं। बाद में दोनों देशों के अधिकारियों के बीच फ्लैग मीटिंग हुई और मसले को सुलझाया गया। इसके बाद दोनों देशों की सेनाएं विवादित जगह से हट गई हैं। बता दें कि तवांग के कुछ इलाकों पर दोनों ही सेनाएं अपने-अपने दावे करती हैं। यही वजह है कि पिछले 16 सालों से यहां विवाद चल रहा है। 

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क्या भारत की ताकत और तैयारी आंकना चाहता है चीन?
बता दें कि पिछले 5 सालों में चीनी सेना और भारतीय सैनिकों के बीच 3 बार झड़प हो चुकी है। चीनी सेना ने अलग-अलग मौसम में भारतीय सेना को उकसाने की कोशिश की है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या चीनी सेना अलग-अलग मौसम (बारिश, गर्मी और सर्दी) में भारतीय सेना की ताकत और तैयारियों को आंकना चाहती है। डोकलाम में जुलाई, 2017 में हुआ हमला हो, या फिर जून, 2020 का गलवान घाटी विवाद दोनों ही बारिश और गर्मी के सीजन में हुए। इसके बाद चीन की तरफ से दिसंबर, 2022 यानी सर्दी के मौसम में एक बार फिर भारतीय सेना को उकसाने की कोशिश की गई। 

1962 के बाद भारत-चीन के बीच बड़े विवाद : 
1967 - सिक्किम तिब्बत बॉर्डर के चो ला के पास भारत ने चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया। इसमें भारत के 80 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे। वहीं, चीन के 400 सैनिक मारे गए थे। 
1975 - अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में चीनी सैनिकों ने असम राइफल्स के जवानों पर हमला किया। इस हमले में 4 भारतीय जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे। 
1987 - अरुणाचन प्रदेश के तवांग जिले के समदोरांग चू इलाके में दोनों देशों के सैनिकों में टकराव हुआ। हालांकि, बातचीत के चलते मसले को सुलझा लिया गया था। 
2017 - डोकलाम में चीन ने सड़क बनाने का काम शुरू किया, जिसके चलते भारतीय सेना ने विरोध किया। करीब 73 दिन तक भारत-चीन की सेनाएं डटी रहीं। हालांकि, बाद में बातचीत के जरिए मामला शांत हो गया था। 
2020- लद्दाख की गलवान घाटी में एक बार फिर भारत-चीन की सेना में झड़प हुई। इसमें 20 भारतीय सैनिक बलिदान हो गए। वहीं, चीन के 38 सैनिक मारे गए थे। हालांकि, चीन की आर्मी ने सिर्फ 4 सैनिकों के ही मारे जाने की बात कही थी। 
2022 - अरुणाचल के तवांग में चीनी सैनिकों ने भारतीय पोस्ट पर घुसपैठ कर उसे हटाने की कोशिश की। इसमें भारत के 6 जवान घायल हो गए। वहीं दो दर्जन से ज्यादा चीनी सैनिकों की हड्डियां टूटी हैं। 

3488 KM लंबी है भारत-चीन सीमा : 
बता दें कि चीन 1993 में आधिकारिक रूप से एलएसी (LAC) को बॉर्डर मानने के लिए तैयार हुआ। भारत और चीन के बीच 3488 किलोमीटर लंबी सीमा है, जिसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) कहा जाता है। चीन की सीमा भारत के 5 राज्यों से मिलती है। इनमें उत्तर में लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड हैं। वहीं पूर्व में सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश हैं।   

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