देश में हर साल 19 मिलियन टन स्टील कचरा विभिन्न संयंत्रों से निकलता है। सड़कों के निर्माण में इस तकनीक का प्रयोग करने से सड़क की लागत में भी काफी कमी आ सकेगी और मजबूती कई गुना बढ़ जाएगी।
नई दिल्ली। गुजरात (Gujarat) एक बार फिर कीर्तिमान बनाने जा रहा है। गुजरात के सूरत शहर (Surat city) में देश का पहला स्टील रोड बनाया गया है। स्टील वेस्ट प्रोडक्ट (Steel waste roads) से बनी यह सड़क बेहद टिकाउ और अनुपयोगी संसाधन का उपयोग कर बनाई गई है। इस पायलट प्रोजेक्ट के सफल होते ही देश के विभिन्न संयंत्रों से निकलने वाले 19 मिलियन टन स्टील अपशिष्ट का उपयोग सड़क बनाने के लिए किया जा सकेगा।
कहां बनाई गई है स्टील सड़क?
स्टील वेस्ट प्रोडक्ट से बनने वाली सड़क का पहला प्रयोग गुजरात के सूरत शहर में स्थित औद्योगिक क्षेत्र में किया गया है। सूरत शहर में हजीरा औद्योगिक क्षेत्र (Hajira industrial area) में स्टील कचरे से बनी एक सड़क बनाई गई है।
स्टील कचरे से बनी यह सड़क वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) और केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (CRRI) द्वारा इस्पात और नीति आयोग (NITI Ayog) की सहायता से प्रायोजित है। यह परियोजना भारत सरकार (GoI) के अपशिष्ट से धन और स्वच्छ भारत अभियान पर भी टैप करती है।
सिक्स लेन की है यह सड़क...
पायलट प्रोजेक्ट रोड 1 किलोमीटर लंबा है और इसमें छह लेन हैं। यह 100 प्रतिशत प्रोसेस स्टील एग्रीगेट का उपयोग करके बनाया गया है। इस सड़क निर्माण में आम तौर पर सड़क निर्माण के लिए उपयोग की जाने वाली सामग्री का उपयोग नहीं किया गया है। सीएसआरआई के मुताबिक, सड़क की मोटाई भी 30 फीसदी कम कर दी गई है। माना जा रहा है कि यह नया तरीका सड़कों को मानसून के मौसम में होने वाले किसी भी नुकसान से बचा सकता है।
हजीरा पोर्ट की सड़क ट्रकों के आवागमन से थी खराब
गुजरात में हजीरा पोर्ट पर 1 किलोमीटर लंबी यह सड़क पहले कई टन वजन वाले ट्रकों के कारण खराब स्थिति में थी। इस सड़क को अब प्रयोग के तौर पर पूरी तरह से स्टील के कचरे से बनाई गई है। अब 1,000 से अधिक ट्रक, हर दिन 18 से 30 टप वजन के साथ गुजर रहे हैं। सीआरआरआई के प्रधान वैज्ञानिक सतीश पांडे ने कहा, इस प्रयोग से राजमार्ग और अन्य सड़कें मजबूत हो सकती हैं और लागत भी लगभग 30 प्रतिशत कम हो सकती है।
काफी मात्रा में इस्पात संयंत्रों से स्टील कचरा निकलता
भारत भर में इस्पात संयंत्र हर साल 19 मिलियन टन स्टील अपशिष्ट उत्पन्न करते हैं और एक अनुमान के अनुसार - 2030 तक 50 मिलियन टन तक बढ़ सकते हैं।
एएमएनएस के कार्यकारी निदेशक संतोष एम मुंद्रा ने कहा कि इस्पात संयंत्र स्टील कचरे के पहाड़ बन गए हैं। यह पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा है, इसीलिए नीति आयोग के निर्देश पर, इस्पात मंत्रालय ने हमें कई साल पहले निर्माण के लिए इस कचरे का उपयोग करने के लिए एक परियोजना दी थी। वैज्ञानिकों ने सूरत में एएमएनएस स्टील प्लांट में स्टील कचरे को संसाधित किया और स्टील कचरे से गिट्टी तैयार की। अपनी पहली पायलट परियोजना की सफलता के साथ, भारत सरकार भविष्य में सड़कों को मजबूत बनाने के लिए राजमार्गों के निर्माण में स्टील के कचरे का उपयोग करने की योजना बना रही है।
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