
Operation Sindoor: हाल के हफ्तों में भारत (India) ने यह साफ कर दिया है कि आज की आधुनिक वायु सुरक्षा (Modern Air Defence) सिर्फ हथियार खरीदने का खेल नहीं है बल्कि यह उस इंटीग्रेशन (Integration) की ताकत है जिससे अलग-अलग सिस्टम एकसाथ काम कर सकें।
भारत का मल्टी-लेयर्ड एयर डिफेंस नेटवर्क (Layered Air Defence Network) अब पूरी तरह सक्रिय है। इसमें स्वदेशी Akash और QRSAM (Quick Reaction Surface-to-Air Missile) से लेकर इजरायली Barak-8 और रूसी S-400 जैसे सिस्टम शामिल हैं, जो लंबी, मध्यम और कम दूरी की सुरक्षा एक साथ सुनिश्चित करते हैं।
वहीं दूसरी ओर, पाकिस्तान ने चीन से मिले HQ-9/P, LY-80, और FM-90 जैसे सतह से हवा में मार करने वाले सिस्टम तैनात किए हैं। ये सिस्टम कागज़ों पर जरूर ताकतवर लगते हैं लेकिन भारत ने हाल ही में ये दिखा दिया कि इन सिस्टम्स को भी Electronic Warfare, Kinetic Strikes और Smart Military Doctrine के जरिए भेदा जा सकता है।
भारत की एयर डिफेंस रणनीति अब सिर्फ रिएक्टिव नहीं बल्कि प्रोएक्टिव (Proactive) है। S-400 की लंबी दूरी की मारक क्षमता और Barak-8 की तेज़ प्रतिक्रिया क्षमताएं मिलकर एक ऐसा कवच बनाती हैं जो दुश्मन की किसी भी साजिश को नाकाम करने के लिए काफी है।
यह कहानी सिर्फ भारत-पाकिस्तान तक सीमित नहीं है। यूक्रेन (Ukraine) का युद्ध भी एक बड़ा सबक दे रहा है। 6 लाख वर्ग किलोमीटर से ज्यादा फैले देश में, केवल हाई-एंड सिस्टम से काम नहीं चलता। यूक्रेन को अपनी सुरक्षा के लिए Soviet-era Buk और S-300, Western SAMs, IRIS-T, MANPADS, और यहां तक कि पुराने Gepard Anti-Aircraft Guns को एक साथ इस्तेमाल करना पड़ रहा है।
भारत के लिए भी यह एक चेतावनी है कि अगला युद्ध केवल आधुनिक मिसाइलों का नहीं होगा। Multi-layered defence, Sensor Fusion, और AI-Driven Threat Analysis अब रणनीति का हिस्सा बन चुके हैं।