
Air force fighter jet crashes: राजस्थान के चूरू जिले में बुधवार को इंडियन एयरफोर्स का एक जगुआर लड़ाकू विमान (Jaguar fighter jet) क्रैश हो गया। हादसे में दो पायलट की मौत हुई है। इस घटना ने लोगों का दिल दुखा दिया है।
यह पहली बार नहीं है जब वायुसेना को पुराने लड़ाकू विमान के हादसे के चलते फाइटर पायलट खोने पड़े हैं। दिल्ली में 15 साल पुरानी पेट्रोल और 10 साल पुरानी डीजल कार चलाने पर रोक है। लेकिन लड़ाकू विमानों की कमी की ऐसी मजबूरी है कि भारतीय वायुसेना को 40 साल से भी पुराने लड़ाकू विमान इस्तेमाल करने पड़ रहे हैं। जगुआर भी उनमें से एक है। 40 साल से अधिक पुराने इन विमानों को बार-बार अपग्रेड कर इस्तेमाल किया जा रहा है।
80 के दशक में भारत ने ब्रिटेन से जगुआर विमान खरीदे थे। इस समय सिर्फ भारतीय वायुसेना द्वारा इसका इस्तेमाल किया जाता है। इनका मुख्य काम दुश्मन के इलाके में जाकर भारी बमबारी करना है। दो ताकतवर इंजन से लैस यह विमान भारी बमों को ले जाता है। इससे परमाणु बम गिराया जा सकता है। इसके चलते यह भारत के परमाणु त्रिकोण का अनिवार्य हिस्सा है।
भारतीय वायुसेना ने 2023 से जगुआर विमान को रिटायर करने की योजना बनाई थी, लेकिन इसके बदले कोई और विमान नहीं मिलता देख इसे लगातार इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत ने अधिक समय तक जगुआर को इस्तेमाल करने के लिए इसे अपग्रेड किया है।
26 जुलाई 1979 को भारतीय वायु सेना को पहला जगुआर फाइटर जेट मिला था। इसे अंबाला में 14वें स्क्वाड्रन, "द फाइटिंग बुल्स" में शामिल किया गया था। जगुआर ने पाकिस्तान के खिलाफ भारत की प्रतिरोधक क्षमता को काफी बढ़ा दिया था। एक अरब डॉलर से ज्यादा की लागत वाला यह विमान उस समय भारत की सबसे बड़ी रक्षा खरीद में से एक था। भारत को पहला जगुआर विमान मिले 46 साल हो गए।
भारत ने जगुआर खरीदने के लिए अप्रैल 1979 में कॉन्ट्रैक्ट किया था। कॉन्ट्रैक्ट पर साइन होने के चार महीने के भीतर पहले कुछ विमान भारत को मिल गए थे। चूंकि यह विमान परमाणु हमला कर सकता था अमेरिका ने इसकी बिक्री रोकने के लिए भारी दबाव डाला था। इसके बाद भी ब्रिटेन ने भारत को विमान दिए। इस समय भारत में जगुआर के करीब छह स्क्वाड्रन हैं।