बॉर्डर पर चीन और पाकिस्तान की बढ़ती 'हरकतों' के बीच भारत की सैन्य क्षमता बमें लगातार ईजाफ हो रहा है। इंडियन नेवी की ताकत में नई उपलब्धि जुड़ी है। भारतीय नौसेना का पहला एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASWSWC) आज (16 दिसंबर) को लॉन्च किया जाएगा।
कोलकाता(Kolkata). बॉर्डर पर चीन और पाकिस्तान की बढ़ती 'हरकतों' के बीच भारत की सैन्य क्षमता(ndian military capability) में लगातार ईजाफ हो रहा है। इंडियन नेवी की ताकत में नई उपलब्धि जुड़ी है। भारतीय नौसेना का पहला एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (Anti-Submarine Warfare Shallow Water Craft-ASWSWC) आज (16 दिसंबर) को लॉन्च किया जाएगा, जिससे गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) लिमिटेड के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है। यह पोत चीन पनडुब्बियों पर कड़ी नजर रखेगा। जानिए इस पोत से जुड़ी 10 बड़ी बातें...
1 केवल 77.6 मीटर लंबा और 10.5 मीटर चौड़ा यह पोत(vessel) एक पंच पैक करेगा यानी हमला करके भारत के तट के करीब दुबकर बैठी हुईं दुश्मन की पनडुब्बियों को शिकार करने और बेअसर करने में सक्षम होगा।
2. इसे लॉन्च के बाद और नौसेना को सौंपे जाने से पहले जहाज को डेक इक्विपमेंट, सेंसर और वेपन्स सिस्टम्स से सुसज्जित(outfitted) किया जाएगा।
3.नौसेना ने ऐसे 16 जहाजों का ऑर्डर दिया है, जबकि आठ जीआरएसई द्वारा बनाए जा रहे हैं।बाकी कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में निर्माणाधीन हैं।
4.अतीत में जीआरएसई ने प्रोजेक्ट-28 के तहत नौसेना को चार एंटी-सबमरीन वारफेयर कॉर्वेट का निर्माण करके डिलेवरी दी है। कामोर्टा वर्ग के जहाज़ भारतीय नौसेना में शामिल होने वाले पहले एएसडब्ल्यू कार्वेट थे। 109 मीटर की लंबाई के साथ वे अभी बनाए जा रहे और ASWSWCs से बहुत बड़े हैं।
5. जीआरएसई में भारतीय नौसेना के युद्धपोत उत्पादन पर्यवेक्षक (डब्ल्यूपीएस) कमोडोर इंद्रजीत दासगुप्ता ने पिछले दिनों कहा था कि पहला जहाज 16 दिसंबर को तमिलनाडु के कट्टुपल्ली में लॉन्च किया जाएगा। इसमें अंडर वॉटर खतरों से निपटने के लिए सेंसर और हथियार प्रणालियों के अलावा जहाजों में अपनी सुरक्षा के लिए डेक बंदूकें(deck guns) होंगी।
6. इंद्रजीत दासगुप्ता ने बताया था-“हम पिछले कई वर्षों से ASW जहाजों का संचालन कर रहे हैं (INS कामोर्टा 2014 में नौसेना में शामिल हुआ)। हालांकि, ASWSWC का एक विशेष उद्देश्य होगा कि वह उप-सतह(f sub-surface threats) के खतरों की तलाश में देश की विशाल तटरेखा(vast coastline) पर गश्त करे।"
7.नौसेना के एक अन्य सीनियर आफिसर के मुताबिक, भारतीय जलक्षेत्र(Indian waters) के करीब चीनी पनडुब्बियों की आवाजाही को देखते हुए ये जहाज बेहद अहम भूमिका निभाएंगे।
8. इस पोत के जरिये समुद्र में आगे काम करने वाली पनडुब्बियों का पता लगाया जा सकता है। ASW कॉर्वेट्स और लंबी दूरी की निगरानी वाले विमानों द्वारा खतरों से निपटा जा सकता है।
9. दरअसल छोटी पनडुब्बियां समुद्र तट के बहुत करीब पहुंच सकती हैं और बंदरगाह के प्रवेश बिंदुओं(harbour entry points) और लंगर वाले युद्धपोतों(anchored warships) को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती हैं। दुश्मनों की पनडुब्बियां बंदरगाह के मुहाने पर भी माइन्स(ब्लास्टिंग चीजें) बिछा सकती हैं।
10. बता दें कि इस साल की शुरुआत में यह बताया गया था कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) ने छोटी पनडुब्बियों को विकसित और शामिल किया है, जो रक्षा के बहाने चुपके से अंदर घुस सकती हैं। ASWSWCs ऐसे खतरों से निपटने में बहुत सक्षम होंगे। वे अपने दम पर या विमान के साथ मिलकर काम कर सकते हैं। ये जहाज बारूदी सुरंगों का पता लगाने और जरूरी कदम उठाने में भी सक्षम होंगे।
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